शक के आधार पर टूटते रिश्ते_भाग ३
शक के आधार पर टूटते रिश्ते_भाग ३
डॉ वेद प्रकाश
नवादा (बिहार)
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आप लोगों के स्नेह के कारण ही आज मैं कुछ लिखने पर विवश हूं। हालांकि हम सभी ये जानते हैं कोई कितना भी झूठ क्यों न बोल रहा हो उसकी आदत और उस बात को कहने का लहजा सब कुछ बयां कर देता है। पति पत्नी का रिश्ता प्यार और विश्वास पर टिका होता है। अगर पति पत्नी के रिश्ते में प्यार और विश्वास ना हो तो वो रिश्ता केवल समझौता ही बन कर रह जाता है। पत्नियां अपने पति के छोटे छोटे झूठों से बहुत परेशान रहती हैं जैसे कि देर रात आने पर ऑफिस में काम का बहाना आदि।
कई बार पति पत्नी अपना रिश्ता बचाने या बात छुपाने के लिए झूठ बोलने लगते हैं जिससे उनके रिश्ते की नींव हिलने लगती हैं जो कि रिश्ते के लिए ठीक नही।
लेकिन आप जानती है कि आपके पति आपसे झूठ क्यों बोलते है। अगर नही तो आज डॉ वेद प्रकाश इस आर्टिकल के माध्यम से इसके पिछे के कारण बताते है।
कई बार पति अपने ईगो को संतुष्ट करने के लिए झूठ बोलते हैं। उनके लिए उनका ईगो सबसे पहले आता है, जिसके लिए वो झूठ बोलने से भी परहेज़ नहीं करते। कई बार पति अपनी पत्नी को इम्प्रेस करने के लिए झूठ बोलते हैं। भले ही वो उस व़क्त अच्छी न लग रही हो, मगर उसे ख़ुश करने के लिए झूठ बोलते हैं।
अधिकांश पुरुषों को महिलाओं पर विश्वास नहीं होता है। जिस वजह से पति अपनी पत्नी से बात शेयर नही करते और झूठ बोलने लगते हैं। कई बार पति ख़ुद को बहुत रफ एंड टफ दिखाते हैं, मगर दिल से अपनी हमसफ़र की बहुत केयर करते हैं। ऐसे में जब कभी उन्हें ऐसा लगता है कि उनके किसी सच से पत्नी आहत हो जाएगी, तो सच की बजाय वो झूठ बोलना बेहतर समझते हैं। कई बार घर की शांति बनाए रखने के लिए भी पति को झूठ बोलना पड़ता है।
कहते हैं कि पति-पत्नी के शक का असली निदान तो केवल पति-पत्नी ही कर सकते हैं। लेकिन जब शंका बढ़ती जाय तो हमारे मन में विकार पैदा करते हैं, जिन्हें हम मनोविकार कह सकते हैं। जैसे गुस्सा आना, ईर्ष्या होना, शक करना, अकेले में रहना, डर लगना आदि।
जब ये मनोविकार जब बहुत अधिक बढ़ जाते हैं तो मानसिक के साथ-साथ शारीरिक रोग भी होने लगते हैं। होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति हैं जिसमे मेडिसिन का परीक्षण स्वथ्य मनुष्य पर किया जाता हैं, जिससे शारीरिक के साथ-साथ मानसिक लक्षण भी मिलते हैं।
आज कल की व्यस्त होती जिन्दगी में मनोविकार बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। जिनके कारण बहुत से मानसिक और शारीरिक रोग होते हैं। यदि समय रहते इन विकारों को पहचानकर दूर कर दिया जाए तो बहुत से शारीरिक और मानसिक रोगों से बच सकते हैं। डॉ वेद प्रकाश का कहना है कि होम्योपैथी से इन मन के विकारों को दूर किया जा सकता हैं। मनोविकार कई प्रकार के हो सकते हैं। जैसे-
गुस्सा आना
कुछ लोगो को बहुत गुस्सा आता है। छोटी-छोटी बातों पर भी उन्हें इतना गुस्सा आता है कि गुस्से में सामान फेंकना, मार-पीट करना, चीखना ये सब करने लगते हैं। धीरे-धीरे उनका यह स्वाभाव बन जाता हैं। स्वाभाव चिड़चिड़ा हो जाता हैं।
कई बार यह विचार आता है कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे और इसी वजह से उसे बहुत क्रोध आता है। कभी-कभी जब कोई व्यक्ति इस गुस्से और अपमान को मन में दबा कर रखता हैं तो कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इस विकार की होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
केमोमिला (chamomila)
नक्स-वोमिका (Nux-Vomica)
स्टेफीसेंग्रिया (Staphy)
लायकोपोडियम (Lycopodium)
डर लगना
कुछ लोगों को हमेशा डर लगता हैं। जैसे अंधेरे से, अकेले रहने से, ऊंचाई से, मरने से, भीड़ से, एग्जाम से, रोड पार करने से और अकेलेपन से। धीरे-धीरे ये डर कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोग पैदा कर देता हैं। डर की होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
आर्जेंटिकम-नाइट्रीकम (Arg-Nit)
एकोनाईट (Aconite)
स्ट्रामोनियम (Stramonium)
एनाकार्डियम (Anacard)
रोना
अक्सर कुछ लोग खासकर महिलाएं जरा-जरा सी बात पर रो देती हैं। किसी ने कुछ कहा नहीं कि आंसू बहने लगते हैं। छोटी-छोटी बात पर रोना आता है, जो एक प्रकार का मनोविकार हैं। इसके लिए कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
नेट्रम-म्यूर(Nat-Mur)
पल्सेटिला(Puls)
सीपिया (Sepia)
आत्महत्या करने का विचार
कई बार बहुत से लोगों को छोटी-छोटी बात पर आत्महत्या करने का विचार मन में आने लगता है। जरा सी कोई परेशानी आई नहीं, कि वो मरने का सोचने लगते हैं। लेकिन होम्योपैथिक मेडिसिन देने से इस प्रकार के विचार धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। ऐसी ही कुछ दवाइयां हैं-
औरम-मेट (Aur-Met)
आर्स-एल्बम (Ars-Alb)
शक करना
कुछ लोगों को हर बात में शक करने की आदत होती है। छोटी-छोटी बातो में वो शक करते हैं। हर किसी को शक भरी नजर से देखते हैं। ऐसे लोगों के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिन्स हैं-
हांयसोमस (Hyos)
लेकेसिस (Lach)
झूठ बोलना
बहुत से लोगों की हर बात पर झूठ बोलने की आदत होती हैं जोकि आजकल ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है। इसे दूर करने के लिए कुछ होम्योपैथी दवाइयां हैं-
आर्ज-नाईट्रीकम (Arg-Nit)
कौस्टिकम (Caust)
ईर्ष्या करना
आज के समय में जहां हर जगह प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ रही है, वहीं लोगों में एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या की भावना भी बढती जा रही है। जब ये विचार मन में बार-बार आने लगते हैं तो मन और तन में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। ईर्ष्या से बचने के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिन्स हैं-
हांयसोमस (Hyos)
लेकेसिस (Lach)
एपिस-मेलिफिका (Apis-Melifica)
कहते हैं मन स्वस्थ हैं तो तन भी स्वस्थ रहता हैं, तो इन मनोविकारों को स्वयं पर हावी ना होने दे और स्वस्थ रहे।
नोट– होम्योपथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी पोटेंसी, डोज आदि उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपथी दवा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए डॉ वेद प्रकाश (what’s app/mob.__8051556455)से संपर्क कर सकते हैं।
पति या पत्नी के स्वभाव में एकाएक परिवर्तन नजर आते तो तुरंत संभल जाएं और ये देखना कि ये परिवर्तन कब से आया ।उस समय के घटित घटनाओं पर मनन करें और हल निकालने का प्रयास करें।