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शकुनी मामा के पैरो को क्या हुआ था?

शकुनी मामा के पैरो को क्या हुआ था?

गांधारी धृतराष्ट्र से शादी करने से पहले एक बकरे की विधवा थीं। किसी प्रकोप से मुक्ति के लिए ज्योतिषियों ने गांधारी का विवाह एक बकरे से करवाया था और फिर उस बकरे की बलि दे दी गई और उसके बाद धृतराष्ट्र से विवाह हुआ। यह जानकारी जब धृतराष्ट्र को मिली तब उन्होंने गांधार राज्य पर हमला कर दिया और गांधारी के पिता राजा सुबल और माता सुदर्मा, शकुनि समेत 100 पुत्रों को जेल में बंद कर दिया। जेल में सभी के साथ बुरा बर्ताव किया और रोज सिर्फ मुट्ठी आनाज सभी को दिया जाता था, जिसका एक एक दाना सभी के हिस्से में आता था। धीरे धीरे भूख से राजा सुबल के कई पुत्रों की मौत हो गई। राजा सुबल ने कुरु वंश से बदला लेने के लिए अपने पुत्रों में से बुद्धिमान और चतुर शकुनि को बचाने का फैसला किया और उसको प्रतिशोध के लिए तैयार किया। सभी लोग अपना अपना भोजन शकुनि को देने लगे और शकुनी ने अपनी आंखों के सामने अपने परिवार का अंत होते देखा। मृत्यु से पहले राजा सुबल ने धृतराष्ट्र से शकुनि को छोड़ने की विनती की, जिसको धृतराष्ट्र ने मान लिया। राजमहल की चकाचौंध में शकुनि अपना प्रतिशोध ना भूल जाए इसलिए सभी ने मिलकर उसका एक पैर तोड़ दिया, जिससे वह अपने परिवार के अपमान की बात याद रखे। तब से शकुनि लंगड़ाकर चलने लगा। इस तरह की कथा भी शकुनी के संदर्भ में प्रचलित है।

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