महाकाल की सवारी उज्जैन में क्यों निकलती है…
🕉️महाकाल की सवारी उज्जैन में क्यों निकलती है, जानिए इतिहास और इस बार क्यों है खास🕉️
*🪦उज्जैन महाकाल सवारी 2023 : ऐसा करीब 19 वर्षों बाद होगा कि इस बार दो माह का श्रावण मास होने के कारण महाकाल की 10 सवारी निकाली जाएगी। इस बार सावन का माह 4 जुलाई से प्रारंभ होकर 31 अगस्त तक चलेगा। आओ जानते हैं सवारी निकाले जाने की तारीखें और सवारी का इतिहास।*
*हिन्दू पंचांग अनुसार इस पर 19 साल बाद ऐसा योग बना है कि सावन माह में महाकाल बाबा की 10 बार पालकी निकलेंगे क्योंकि इस बार श्रावण माह में 8 सोमवार रहेंगे यानी 2 माह का श्रावण मास रहेगा। इस विशेष संयोग में शिव पूजा का महत्व बढ़ जाएगा और साथ ही उनका भरपूर आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।*
*📿उज्जैन महाकाल की सवारी पालकी :-*
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10 जुलाई को पहली सवारी सावन की प्रथम सवारी
17 जुलाई को दूसरी सवारी
24 जुलाई को तीसरी सवारी
31 जुलाई को चौथी सवारी
7 अगस्त को पांचवी सवारी
14 अगस्त को छठी सवारी
21 अगस्त को सातवीं सवारी
28 अगस्त को आठवीं सवारी
4 सितंबर को नौवीं सवारी
11 सितंबर को अंतिम शाही सवारी
*📿महाकाल सवारी का इतिहास :-*
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वैसे तो सम्राट विक्रमादित्य के काल से ही महाकाल बाबा के नगर भ्रमण की परंपरा होने की मान्यता है परंतु कहते हैं कि श्रावण मास में इन सवारी निकालने की परंपरा सिंधिया वंश के राजाओं से प्रारंभ हुई। तब महाराष्ट्रीयन पंचाग के अनुसार दो या तीन सवारी ही निकलती थी। विशेषकर अमावस्या के बाद ही यह निकलती थी।
बाद में उज्जयिनी के प्रकांड ज्योतिषाचार्य पद्मभूषण स्व.. पं. सूर्यनारायण व्यास, सुरेन्द्र पुजारी के पिता और कलेक्टर बुच के प्रयासों से सवारी को नया रूप दिया गया। तब प्रथम सवारी का पूजन सम्मान करने वालों में तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह, राजमाता सिेंधिया व शहर के गणमान्य नागरिक प्रमु्ख थे। सभी पैदल सवारी में शामिल हुए और शहर की जनता ने रोमांचित होकर घर-घर से पुष्प वर्षा की। इस तरह एक खूबसूरत परंपरा का आगाज हुआ। उस समय सवारी का पूजन-स्वागत-अभिनंदन शहर के बीचोंबीच स्थित गोपाल मंदिर में सिंधिया परिवार की और से किया गया। पहले महाराज स्वयं शामिल होते थे। बाद में राजमाता नियमित रूप से आती रहीं। आज भी उनका कोई ना कोई प्रतिनिधित्व सम्मिलित रहता है।
*🕉️ #जय_महाकाल🕉️*
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