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कुमारिछिद्र के संबध के कुछ भ्रांतियां

  1. कुमारिछिद्र के संबध के कुछ भ्रांतियां

युवकों और युवतियों में ही नही ,अनेक बच्चो के माता- पिता वृद्ध दम्पतियों और अपने आपको कामविज्ञान का विशेषज्ञ समझने वाले अनाड़ियों को जितनी अधिक मिथ्या (गलत) धारणाये और उल जलूल आशंकाएं कुमारीछिद्र के बारे में है ,उतना अन्य किसी के बारे में नही। कुमारी कन्या  यही सोच कर मन ही मन परेशान होती रहती है कि सुहागरात के समय पति के द्वारा प्रथम बार सेक्स करते समय जब यह कुमारिछिद्र खण्डित होगा तो वे लगभग मर ही जायेगी। यही कारण है कि कुछ बालिकाएं तो मात्र इसी doubt के कारण सुहागरात्रि (honeymoon night) में प्रेमालाप से पूर्व अचेत तक हो जाती है ,काँपने लगती है या पहली बार सेक्स होने से पूर्व ही निढाल सी हो जाती है ।उनका यह कार्य   सुहागरात के आनण्द को नष्ट कर देता है और सम्पूर्ण जीवन एक अवसाद(तनाव ) से भर जाता है ।जबकि reality यह है कि कुमारीछिद्र फटते समय उतनी भी  पीड़ा नही होती जितनी एक चींटि द्वारा काटने पर होती है और मात्र 2-4 बूंदे ही खून निकलता है।

कुमारीछिद्र के बारे में जितनी मिथ्या धारणा युवतियों को होती है उससे भी अधिक युवकों को ,वास्तव में युवकों को ही नही कई बार सेक्स कर चुके पुरुषों के मन- दिमाग  में भी भरी हुई है ।वे समझते  है कि कुमारिछिद्र फटते समय लड़की को बहुत पीड़ा होती है ,दर्द से वो चीख उठती है और यौनि से खून का दरिया बहने लगता है ।परंतु वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है क्योकि ईश्वर ने यह पतली जी नाजुक झिल्ली बनाई ही फटने के लिए है। जब पहली बार सेक्स के समय नव विवाहित दुल्हन का कुमारीछिद्र फटता है तो वह हल्की से हाय करके रह जाती है ।और खून की जो 2-4 बूंदे निकलती भी है तो वो लिंग के दबाव से यौनिपथ की दीवारों पर लगकर अंदर रह जाती है ।तब मिथ्या धारणाओं में जकड़ा हुआ युवक समझने लगता है कि उसकी पत्नी कुमारी नही थी। वह पहके किसी अन्य पुरुष के साथ सेक्स कर चुकी है (बेशक पति खुद 10 से अधिक gf से सम्बद्ध बनाया हो )। यद्यपि इसमे दोष उनकी पत्नी का लेशमात्र भी नही होता। वह कन्या पवित्र होती है। परंतु अपनी मिथ्या धारणाओं के कारण पति उसे कुलटा ,बदचलन और न जाने क्या क्या मानकर खुद भी दुखी होता है और पत्नी को भी तिरस्कार देकर अपने दाम्पत्य जीवन मे स्वंय आग लगा लेता है। आचार्य वात्सायन मानव मन की इस कमजोरी और समाज मे फैली इस मिथ्या धारणा से अच्छी तरह परिचित थे तथा इस कुमारिछिद्र कि वास्तविकता को भी अच्छी तरह जानते थे। इसलिए कामसूत्र में उन्होंने इसका विशद विवेचन किया है ।

आचार्य वात्सायन ने अपने ग्रन्थ कामशास्त्र में कुछ ऐसे कारणों का भी विशद विवेचन किया है जिनके कारण बिना सेक्स किये भी कभी कभी किसी लड़की का कुमारीछिद्र खण्डित (फट) जाता है। आचर्य वातसायन जी का कहना है कि घोड़ा पर चढ़ने से भी कुमारिछिद्र फट सकता है क्योंकि इसमे दोनो ओर  टाँगो फैलाकर बैठना पड़ता है और जब घोड़ा दौड़ता है तब उसकी पीठ पर बैठी कन्या उछलती भी है और उसके चूतड़ पर गहरे धक्के भी लगते है। आधुनिक युग में cycle ,मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि वाहन चलाने वाले किसी भी कन्या का मात्र इसी कारण से भी कुमारिछिद्र खण्डित हो सकता है। जबकि वास्तव में रमण सुख का स्वाद चखे विहीन परम पवित्र कुमारि ही होगी। अधिक दौड़ भाग ,ऊंचे स्थान से कूदने और खेलकूद में अधिक भाग लेने वाली युवतियों का कुमारिछिद्र खेल कूद के बीच कभी भी फट सकता है और मजे की बात ये है कि उन्हें इसका आभास भी नही होगा।  जिम्नास्ट व ब्रेक डांस जैसे उछल कूद भरे नाच अधिक शक्ति से खेले जाने वाले भाग दौड़ के खेल भी किसी भी कुमारी कन्या का कुमारिछिद्र का हनन कर सकते है  ।कुमारिछिद्र की विशेषताओं आदि का विस्तृत विवेचन करने का हमारा अभिप्राय मात्र इतना है कि यदि आपने भी इस बारे में कुछ मिथ्या धारणाएं पाल  रखी हो तो उनका त्याग करने की आपको प्रेरणा मिले ।

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