वर्षा ऋतु में उपयोगी कुछ बातें
वर्षा ऋतु में उपयोगी कुछ बातें
भोजन से पूर्व अदरक व नींबू के रस में जरा सा सेंधा नमक मिला के सेवन करने से वर्षाजन्य रोगों से सुरक्षा में बहुत मदद मिलती है ।
खाली पेट सुबह सूर्य की किरणें नाभि पर पड़ें इस प्रकार वज्रासन में बैठ जायें । श्वास बाहर निकालकर पेट को २५ बार अंदर-बाहर करते हुए “रं’ बीजमंत्र का जप करें । फिर श्वास ले लें । ऐसा ५ बार करें। इससे जठराग्नि तीव्र होगी ।
भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी पियें ।
सूखा मेवा, मिठाई, तले हुए पदार्थ, नया अनाज, सेम, अरवी, मटर, राजमा, अरहर, मक्का, नदी का पानी आदि त्याज्य हैं ।
जामुन, पपीता, पुराने गेहूं व चावल, तिल या मूँगफली का तेल, सहजन, सूरन, परवल, पका पेठा, टिंडा, शलजम, कोमल मूली व बैंगन, भिंडी, मेथीदाना, धनिया, हींग, जीरा, लहसुन, सोंठ, अजवायन सेवन करने योग्य हैं ।
श्रावण मास में पत्तेवाली हरी सब्जियाँ व दूध तथा भाद्रपद में दही व छाछ का सेवन न करें ।
दिन में सोने से जठराग्नि मंद हो जाती हैव त्रिदोष प्रकुपित हो जाते हैं। अतः दिन में न सोयें। नदी में स्नान न करें। बारिश में न भीगें । रात को छत पर अथवा खुले आँगन में न सोयें ।
औषधीय प्रयोग
१०० ग्राम हरड़ चूर्ण में १०-१५ ग्राम सेंधा नमक मिला के रख लें । रोज सुबह दो-ढाई ग्राम मिश्रण ताजे जल के साथ रसायन के रूप में लेना वर्षा ऋतु में हितकर है ।
२-२ हरड़ रसायन गोली भोजन के बाद चूसकर सेवन करने वर्षाजन्य तकलीफों में लाभ है ।
अदरक व तुलसी के रस में शहद मिलाकर लेने से व उपवास रखने से वर्षाजन्य सर्दी, खाँसी, जुकाम, बुखार आदि में आराम मिलता है । एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।