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शरीर रचना

अखण्ड स्वास्थ्य

शरीर रचना

मुख

  – किसान है जो आहार तैयार करता है ।

जीभ

  – उसकी सहायक कर्मचारी है जो खेत जोतती है ।

 दांत 

  – उसके हल है जो अन्न को बोते हैं ।

दाढ़ 

-उसकी चक्की है जो अन्न को पीसती है ।

 

गला

-उसका भोजनालय द्वार है जो भोजन को पेट में पहुंचाता है ।

 

पेट 

  -रसोई है जहां भोजन पकता है ।

यकृत 

-लीवर रसोईया है जो भोजन को पकाता है (यानी रस बनाता है)

 

पित्ताश्य

-मसाला दानी है जो उसमें पित्त मिलाता है ।

 

अग्नाशय

  -भट्टी है जहां से अग्नि मिलती है ।

आंते

  -मुख है जो भोजन को ग्रहण करती है ।

 

मलाशय 

  -कूड़ा दान है जहां कचरा इकट्ठा होता है ।

रक्त 

  -शुद्ध भोजन है जो शरीर कोषों का पोषण करता है ।

 

 हृदय 

  -परोसने वाला कर्मचारी है जो सब तक रक्त रूपी भोजन पहुंचाता है ।

धमनिया 

  -मार्ग है जिससे भोजन पहुंचया जाता है ।

 

फेफड़े 

  -खिड़कियां है जिससे शुद्ध वायु घर में आती है ।

 

रीढ़

  -बिजली का खंबा है जिस पर ट्रांसफार्मर लगा कर तार जोडे जाते है ।

चक्र

  -ट्रांसफार्मर है जो विभिन्न संस्थानों को विद्युत सप्लाई देते हैं ।

 

 नाड़ी संस्थान

   -तार की लाइनें हैं जिससे विद्युत आपूर्ती होती है ।

मांसपेशियां 

  – क्रेन है जो सामग्री को उठाने का कार्य करती है ।

 

आंखें 

  -हेड लाइट व कैमरा है जिसमें शरीर रूपी गाड़ी चलती है तथा दृश्य रिकॉर्ड होते हैं ।

कान 

  -संदेश ग्रहण यंत्र (रिसिवर) है जिससे संदेश प्राप्त होता है ।

 

नाक

-एयर कंडीशनर व एयर फिल्टर है, जो तापक्रम को ठीक रखते हैं व वायु को छानते है ।

 

अंगुलियां

-हुक है, जो पकड़ने का काम करती है ।

 

मस्तिष्क 

-कंप्यूटर रूम है , जहां सूचनाएं इकट्ठी रहती है तथा उनका आदान प्रदान होता है ।

 

गुदा

  -सीवर  लाइन है जहां से रद्दी सामान बहता है ।

गुर्दा

  -सफाई कर्मचारी है जो रक्त की सफाई करता है ।

मुत्राशय

– नाबदान है । जहां बेकार पानी भरता है ।

होंठ

-मुख्य द्वार है शरीर रूपी घर में जाने का ।

पैर

-पहिया है शरीर रूपी गाड़ी को चलाने का ।

नाभि

-शरीर रूपी गाड़ी का मुख्य धूर्रा व अग्निकुंड का मुख्य भाग है ।

यौनांग

  -फैक्ट्री है नई मशीन बनाने की ।

घुटने

  -गियर बॉक्स है शरीर रूपी गाड़ी के ।

कोष (शैल)

-इस शरीर रूपी घर में रहने वाले सभी सदस्य हैं ।

प्राण

  -विद्युत शक्ति है जिससे शरीर चलता है प्रकाशित होता है ।

जीवनी शक्ति 

  -गृहणी है जो घर के सारे कार्य करती है ।

मन

  -इस शरीर का संचालक घोड़ा है ।

बुद्धि

  -इस शरीर की सारथी है ।

आत्मा  शरीर पर सवार यात्री है ।

आत्मा रूपी सवार के उतरते ही , बुद्धि रूपी सारथी व मन रूपी घोड़ा भी शरीर रूपी गाड़ी से अलग हट जाते हैं व आत्मा रूपी राजा के साथ चले जाते हैं ।

हे मानव यही सत्य है तुम्हारी इस काया का ।

ऐसा कोई सुख भोग नहीं ।
जिसके पीछे कोई दु:ख रोग नहीं ।

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