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विश्वकर्मा जयंती आज

विश्वकर्मा जयंती आज

हर साल कन्या संक्रांति 17 सितंबर को भगवान विश्कर्मा की जयंती मनाई जाती है। दक्षिण भारत में ये पर्व सितंबर तो वहीं उत्तर भारत में इसे फरवरी के महीन में मनाई जाती है। इस दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विधान है।
शिव का त्रिशूल, लंका महल, द्वारका आदि देवी-देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और भवन का निर्माण भगवान विश्कर्मा की ही देन है। कारीगर, फर्नीचर बनाने वाले, मशीनरी और कारखानों से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम से मनाते हैं।

विश्कर्मा पूजा का मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा के दिन 17 सितंबर 2023 को सुबह 07.50 मिनट से लेकर दोपहर 12.26 मिनट तक शुभ मुहूर्त है।
वहीं दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक भी विश्वकर्मा पूजा की जा सकती है।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व 

“विश्वं कृत्यस्नं वयापारो वा यस्य सः” अर्थात् जिसकी सम्यक सृष्टि व्यापार है, वहीं विश्वकर्मा है। प्राचीन काल से ब्रम्हा-विष्णु और महेश के साथ विश्वकर्मा की पूजा-आराधना का प्रावधान हमारे ऋषियों-मुनियों ने किया हैं। भगवान विश्वकर्मा को प्राचीन काल का सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है। इस दिन  औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े उपकर, औजार, की पूजा करने से कार्य में कुशलता आती है। शिल्पकला का विकास होता है। कारोबार में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा ?

विश्वकर्मा पुराण के अनुसार नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की। ब्रह्माजी के निर्देश पर ही विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, त्रेता में लंका, द्वापर में द्वारिका एवं हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथ पुरी का निर्माण किया। इसके साथ ही प्राचीन शास्त्रों में  वास्तु शास्त्र का ज्ञान, यंत्र निर्माण विद्या, विमान विद्या आदि के बारे में भगवान विश्वकर्मा ने ही जानकारी प्रदान की है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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