कौन हैं आपके इष्टदेव, कुंडली के जरिए कैसे मिल सकती है इसकी जानकारी
कौन हैं आपके इष्टदेव, कुंडली के जरिए कैसे मिल सकती है इसकी जानकारी
जन्म और पुनर्जन्म चक्र से जुड़ी एक अवधारणा है मोक्ष वैदिक ज्योतिष हर इंसान के लिए जीवन में मोक्ष की प्राप्ति को एकमात्र उद्देश्य के रूप में परिभाषित करता है। हमारे इष्ट देवता या चुने हुए देवता वह हैं जिनसे हम प्रार्थना करते हैं, और जो हमें हमारे वास्तविक उद्देश्य – मोक्ष – की ओर मार्गदर्शन कर सकते हैं। इष्ट देवता का शाब्दिक अर्थ है ‘इष्ट देवता’ जिनकी हम पूजा करते हैं, और वह उच्च शक्ति हैं, जिनसे हम आध्यात्मिक रूप से जुड़ते हैं। वह जीवन भर हमारा मार्गदर्शन करता है, हमें एक पूर्ण और संरक्षित जीवन जीने में मदद करता है, और फिर अंततः हमें एक सर्वोच्च स्व के साथ एकता का अनुभव करने के लिए पुनर्जन्म के चक्र को छोड़ने के लिए निर्देशित करता है। हमारे कुल देवता के विपरीत, इष्ट देवता प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय है, और इसे हमारी जन्म कुंडली के माध्यम से आसानी से खोजा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति को अपने विशिष्ट इष्ट देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। आपके चुने हुए देवता की पूजा के पीछे के अनुष्ठानों का पालन करना काफी आसान है और मुख्य रूप से उनसे संबंधित मंत्रों के जाप पर आधारित हैं।
व्यक्ति की जन्म कुंडली में पांचवां स्थान शिक्षा, संतान और अपने इष्ट देवता का होता है। जन्म कुंडली में सबसे ऊपर पहले खाने में जहां लग्न लिखा हुआ होता है, उससे बाईं और पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। इस पंचम भाव में जो भी अंक लिखा होता है उसी के अनुसार हमारे इष्ट देव का पता चलता है।
पांचवें स्थान में मेष राशि होने पर व्यक्ति के इष्ट देव हनुमान जी होते हैं। हनुमान जी की पूजा करने पर उन्हें शीघ्र फल मिलते हैं। पांचवे स्थान में मिथुन राशि होने पर आपके इष्ट देव दुर्गा मां हैं। दुर्गा मां की पूजा करने से आपके कष्ट दूर होंगे। पंचम भाव में तुला राशि होने पर आपके इष्ट देव लक्ष्मी माता होती हैं जिनकी कृपा से आप धनधान्य से पूर्ण सकते हैं।
पंचम भाव में कर्क राशि होने से आपके इष्ट देव भगवान शंकर अथवा गणेश जी होंगे। पांचवे भाव में कन्या राशि होने से आपके इष्ट देव मां दुर्गा, सरस्वती होती हैं। पांचवें भाव में वृषभ राशि होने पर आपके इष्ट देव महालक्ष्मी होती हैं। महालक्ष्मी के विशेष रूप से पूजा करने से सारे कब कार्य सफल होते हैं।
पंचम भाव में वृश्चिक राशि होने पर आपके इष्ट देवता हनुमान हैं। पंचम भाव में सिंह राशि होने पर आपके इष्ट देव सूर्य,भगवान विष्णु या नृसिंह देव होते हैं। इनकी विशेष पूजा करने से कार्य से ग्रह फलीभूत होते हैं। पंचम भाव में धनु या मीन राशि होने पर आपके इष्टदेव भगवान विष्णु, श्री राम, श्रीकृष्ण होंगे। इनकी पूजा आपके लिए लाभदायक रहेगी।
पंचम भाव में मकर और कुंभ राशि होने से आपके इष्ट देव काली माता, भैरव या शनिदेव होंगे क्योंकि यह तीनों देव तामसिक पूजा के अंतर्गत आते हैं तो इनके स्थान पर आप मां दुर्गा की पूजा भी कर सकते हैं।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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