नींबू का शरबत :
नींबू का शरबत :
निंबू के शरबत का उपयोग करने से, पित्त विकार, मंदाग्नि, तृष्णा, अरूचि, उबकाई, मलावरोध, रक्तदोष आदि रोगों में उपयोगी है।
1- घटक द्रव्य और निर्माण ——–
नींबू के रस में, उसकी मात्रा से , ढाई गुना चीनी की दो तार की चाशनी बना लें और फिर गरम – गरम को ही छान ले ठंडा होने पर छनता नही है। ( र. त सा. )
2- गुणकारी और उपयोगी ——–
* पित्त के बिगड़ने से , उत्पन्न विकारों को शांत करता है।
* भोजनसे अरूचि होने पर या भूख न लगने वाली स्थिति में, नींबू रस का सेवन करें।
* प्यास की अधिकता व बार – बार उबकाई आने से बचने के लिए, इसके रस का सेवन लाभप्रद होता है।
* पेट के अजीर्ण ( भोजन न पचना ) एवं मल का न आने में भी इस रस के सेवन से लाभ होता है।
* रक्तदोष के उत्पन्न होने पर, इस रस का सेवन करना चाहिए।
* गर्मी के मौसम में , गर्मी में घुमने के कारण उत्पन्न व्याकुलता में भी , इस रस का सेवन करने से आराम मिलता है और गर्मी के कारण बिगडे़ पित्त को भी नियंत्रित करता है।
* गर्मी के कारण होने वाले बुखार तथा जलन को शांत करता है।
* शारीरिक थकान को दूर करके , मानसिक प्रसन्नता उत्पन्न करता है।
* गर्मियों में , नींबू का शरबत का सेवन अवश्य करना चाहिए।
3- मात्रा और अनुपान ——–
10 से 20 ग्राम तक, आवश्यकता अनुसार पानी मिलाकर पीना चाहिए।
विशेष ——
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