क्या कहती है हाथ की अंगुलियाँ
क्या कहती है हाथ की अंगुलियाँ
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हाथ देखते समय अंगुलियों की उतनी ही महता है जितनी कि प्रारंभ के निर्णय में कर्म की। अत: अंगुलियों का भली-भांति निरीक्षण करने पर फलादेश कहने में सुविधा ही नहीं, बल्कि अभूतपूर्व सफलता मिलती है। अंगुलियों का बारीकी से अध्ययन करके ही फलादेश कहना श्रेयष्कर है|
तर्जनी अंगुली
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इसे बृहस्पति की अंगुली भी कहते हैं। अंगूठे के पास की पहली अंगुली तर्जनी या बृहस्पति की अंगुली कहलाती है| इस अंगुली के छोटे- बडे़ का ज्ञान करने के लिए इसकी तुलना सूर्य की अंगुली यानी तीसरी अंगुली से की जाती है।
मध्यमा अंगुली
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इसे शनि की अंगुली भी कहते हैं शनि की अंगुली विशेष लम्बी होना उत्तम लक्षण है।| ऐसे व्यक्ति संगीतप्रिय, कलाकार, एकांतवासी तथा ईश्वर चिन्तन में रुचि रखने वाले, कला-प्रेमी और जानवरों से प्रेम करने वाले होते हैं|
अनामिका अंगुली
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इसे सूर्य की अंगुली कहते हैं सूर्य की अंगुली सीधी होने पर व्यक्ति में आत्म- सम्मान, प्रसिद्धि या महत्व की भावना अधिक पाई जाती है| दोनों हाथों में यदि केवल सूर्य की अंगुली ही सीधी हो तो ये धन की अपेक्षा सम्मान को अधिक महत्व देते हैं|
कनिष्ठिका अंगुली
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इसे बुध की अंगुली भी कहते हैं अत: हाथ देखते समय इसका अध्ययन भी विशेष बारीकी से ही करना चाहिए| बुध की अंगुली कुछ- न – कुछ तिरछी अवश्य ही होनी चाहिए
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076