Search for:

हरियाली तीज 7 अगस्त को

हरियाली तीज 7 को

इस बार बन रहे हैं विशेष शुभ योग
सावन मास में मनाई जाने वाली तीज को हरियाली तीज कहते हैं। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए गौर और गणेश की आराधना करेंगी। इस साल 7 अगस्त को हरियाली तीज मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और 16

शृंगार का महत्व
अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं गौर और गणेश की आराधना करेंगी। सावन मास में मनाए जाने वाले तीज को हरियाली तीज कहते हैं। इस वर्ष यह सात अगस्त को पड़ रहा है। हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार हरियाली तीज पर शिव योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसको लेकर अभी से महिलाओं ने तैयारी शुरू कर दी है। हरियाली तीज वैसे तो मुख्यत: मारवाड़ी समाज के लोग मनाते हैं लेकिन अब अन्य समाज में भी इस व्रत की परंपरा चल पड़ी है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त :
इस साल सावन माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 06 अगस्त को शाम 07 बजकर 52 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 07 जुलाई 2024 को रात 10  बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 07 जुलाई को हरियाली तीज मनाया जाएगा।

शिव योग का होगा निर्माण :
हरियाली तीज के दिन सुबह 11 बजकर 41 मिनट से लेकर अगले दिन तक शिव योग का निर्माण होगा।

मिट्टी की बनी शिव-पार्वती की प्रतिमा को पूजने की परंपरा
सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए शिव पार्वती की आराधना करती हैं। इस दिन हाथों में मेहंदी रचाना शुभ माना गया है। हरी चूड़ियां और हरे परिधान व सोलह शृंगार करके संध्या में मिट्टी से बने शिव पार्वती की पूजा करती हैं। माता पार्वती को शृंगार का सामान चुनरी, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि चढ़ाया जाता है जबकि महादेव को पंचामृत का भोग लगाकर अखंड सौभाग्य व सुखी दांपत्य जीवन की कामना की जाती है। एक दिन पूर्व छह अगस्त को नवविवाहितां सिंधारा पर्व मनाती हैं, जिसमें साथ अपनी नई नवेली बहुओं को सुहाग का सामान देती हैं, इसी सुहाग की सामग्री को लेकर अगले दिन सुहागिन तीज का व्रत करती हैं।

हरियाली तीज की व्रत कथा
भगवान शिव ने पार्वतीजी को उनके पूर्व जन्म के बारे में याद दिलाने के लिए यह सुनाई थी। हरियाली तीज व्रत कथा इस प्रकार है :
शिवजी कहते हैं- हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे। किसी भी मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे। ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे।

जब तुम्हारे पिता ने नारदजी से उनके आगमन का कारण पूछा, तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।’

नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी। यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं, तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।’

फिर शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं- ‘तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी।तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली।

तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे।’ पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह किया।’

भगवान शिव ने इसके बाद कहा कि- ‘हे पार्वती! तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

Loading

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required