कर्तव्यनिष्ठ शिक्षिकों के जिन्हें हमें इस मुक़ाब तक पहुंचाया
Dr Ved Prakash:
#गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
#शिक्षक यदि दौड़ता है,तो विद्यार्थी चलता है।
#शिक्षक यदि चलता है, तो विद्यार्थी बैठ जाता है।
#शिक्षक यदि बैठ जाता है, तो विद्यार्थी सो जाता है।
#शिक्षक यदि सो जाता है, तो विद्यार्थी died …………..
#मेरे और हमारी टीम के तरफ से उन #सभी गुरुजनों को हार्दिक #शुभकामनाएं, जिन्होंने पल-पल हमें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया।।।
#हम ऋणी है,उन #कर्तव्यनिष्ठ शिक्षिकों के जिन्हें हमें इस मुक़ाब तक पहुंचाया।।
#हम ऋणी है ,उन सभी #शिक्षिकों के जिन्होंने हमे कर्तव्य के पथ पर चलना सिखाया।।
#हम आभारी है, उन सभी शिक्षकों का जिन्होंने हमे हर मार्ग पर आस्वत्व किया।।
#हम_नत_मस्तक है हमारे उन गुरुओं के चरणों में,जिन्होंने हमारी #सफलता के मार्ग की नींव रखी।।
#ह्रदय की गहराइयों से प्रणाम ,मेरे उन सभी शिक्षिकों को जिन्होंने हमे हमारी मंजिल की राह दिखाई।।
मेरे प्यारे दोस्तों ! मैं आप लोगों को एक बात आज के दिन बताना चाहता हूं कि शिक्षक कोई अंतरिक्ष से आया व्यक्ति नही होता वो भी समाज से आता हैं । अगर आप को चरित्रवान शिक्षक चाहिए हो समाज सुधार और नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना होगा ।
शिक्षा को नेताओ के हाथो से हटा के स्वतंत्र संस्था बनाने की आवश्यकता है । शिक्षा को शिक्षित और चरित्रवान व्यक्तियों के हाथों में देने की आवश्यकता हैं तभी कोई बदलाव आ सकता हैं।
नही तो ये भारतीय शिक्षा को बहुत गर्त में ले जायेगा और लोग बस बाते ही करते राह जाएंगे मुझे आज पूरी तरह से यकीन है कि वह समय अब दूर नहीं रह गया है जब हमारे भारत मां के पैरों में पुनः जंजीर पड़ी नजर आएगी। यानी वह समय अब दूर नहीं है जब भारत पुनः गुलाम होने के कगार पर आ चुका है । जिस तरह से आज हिंदुओं के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश में चल रहा है यह तो मात्र एक टेलर है। पूरी पिक्चर तो हमारे भारत में चलनी अभी बाकी है। आपको याद होगा कि कोरोनावायरस का भी ट्रेलर हमारे यहां नहीं बल्कि चीन में चालू हुआ था ।लेकिन पूरी पिक्चर पूरे संसार को देखना पड़ा।
इसलिए मेरे प्यारे बंधु अगर आप चाहते हैं कि हमारे भारत में कोई अच्छी सी पिक्चर चले या हमारे भारत मां के पैरों में जंजीर के बंधन दूर रहे तो इसके लिए मुझे शिक्षक नहीं है बल्कि गुरु की आवश्यकता पड़ेगी।शिक्षक वेतन लेने वाले मात्र एक शिक्षा कर्मी हैं जो किसी विषय से संबंधित शिक्षा तय मापदंडों पर विद्यार्थियों को प्रदान करते हैं । शिक्षक आध्यात्मिक भी हो सकते हैं और नहीं भी जबकि गुरु अपने शिष्यों को खुशहाल जीवन जीने हेतु आवश्यक आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं ।
हर गुरु शिक्षक होता है किंतु हर शिक्षक का गुरु बनना संभव नहीं है । अभी के जमाने में आप अक्सर सुनते आ रहे होंगे कि फलाने शिक्षक ने अपने ही शिक्षा संस्थान के किसी छात्र अथवा शिक्षिका को लेकर के फरार हो गया ,किसी के साथ कोई गलत संबंध बना लिया तो किसी के साथ कुछ और हो गया । लेकिन क्या आपने कभी सुना कि पहले जमाने की जो गुरु होते थे वह ऐसे ही कुकर्मी होते थे। नहीं ना ……… चाहे वह शिक्षक तबला, हरमोनिया और डांस सिखाने वाले हो या फिर किताब पढ़ने वाले । मुझे शिक्षकों की नहीं बल्कि गुरु की आवश्यकता है। जहां तक मैं मानता हूं कि बच्चों में अब शिक्षा की उतनी आवश्यकता नहीं है जितनी आवश्यकता उसे संस्कार प्राप्त करने में है।
बात संक्षेप में कही है उम्मीद करता हूं समझ आ जाएगी ।
Dr Jyoti :
“गुरु बिना ज्ञान कहां, उसका जीवन सुनसान, गुरु ही हैं जो सिखाते हैं, इंसानियत की पहचान।”
“शिक्षक दिवस है आज, शिक्षक को नमन, उनकी शिक्षा से ही बने, हमारे जीवन में उजाला।”
“शिक्षक वो दीपक है, जो जलता खुद है, और सबको रोशनी देता है, सच्चा मार्ग दिखाता है।”
-“आपकी मूरत इस दिल में बस जाती है, हर बात आपकी हमें सिखा जाती है।
ये गुरु दक्षिणा है मेरी स्वीकार करें, मुझे हर परीक्षा में आपकी याद आती है।”
अध्यापक शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। अध्यापक के बिना शिक्षा की प्रक्रिया सफल रुप से नहीं चल सकती।अध्यापक न केवल छात्रों को शिक्षा प्रदान करके ही अपने दायित्वत से मुक्ति पा लेता है वरन उसका उत्तर दायित्व है तो इतना अधिक और महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति उन्हें पूर्ण करने में समर्थ नहीं है। शिक्षक की क्रिया और व्यवहार का प्रभाव उसके विद्यार्थियों,विद्यालय और समाज पर पड़ता है।इस दृष्टि से कहा जाता है कि अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है।अतः अध्यापक अपने कार्यों को सफलतापूर्वक एवं उचित प्रकार से करने के लिए आवश्यक है कि उसमें कुछ गुण अथवा विशेषताएं होनी चाहिए। सामान्यतः एक अच्छे अध्यापक में निम्नलिखित गुणों का होना अति आवश्यक है-
शिक्षक में मुख्य रुप से 4 गुण होने जरुरी है
1.शैक्षिक गुण/ योग्यताएं
2.व्यावसायिक गुण
3.व्यक्तित्व संबंधी गुण और
4. संबंध स्थापित करने का गुण
1. शैक्षिक योग्यता –
एक अध्यापक में अध्ययन के लिए स्तरअनुसार न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का होना अनिवार्य है। साथ ही अध्यापक का प्रशिक्षित होना भी आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर-
प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए अध्यापक को कम से कम हायर सेकेंडरी कक्षा पास होना तथा एस.टी.सी. के रूप में शिक्षण कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ होना चाहिए।
इसी प्रकार सेकण्डरी कक्षाओ को पढ़ाने वाले अध्यापक के लिए कम से कम शैक्षिक योग्यता के रूप में स्नातक एवं B.Ed किया हुआ होना चाहिए।
उच्च माध्यमिक कक्षा को पढ़ाने वाला अध्यापक संबंधित विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्री लिया हुआ होना चाहिए।साथ ही B.Ed की डिग्री भी उसके पास होना आवश्यक है।
कई विद्यालयों में अप्रशिक्षित अध्यापक या अध्यापिकाओ को रख लिया जाता है जो उचित नहीं है।अतः अध्यापक का चयन करते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि उसमें न्यूनतम योगिता हो तथा प्रशिक्षित हो।
2. व्यावसायिक गुण– एक अच्छा अध्यापक बनने के लिए आपमें व्यवसायिक गुणों का होना भी आवश्यक है-
1. व्यवसाय के प्रति रुचि निष्ठा
एक अध्यापक को अध्यापन व्यवसाय में रुचि ओर उसके प्रति निष्ठा होनी चाहिए।वह उसे केवल अपनी कमाई का साधन ही ना समझे ।अध्यापक यदि मजबूरी में अध्यापक बनता है तो वास्तव में वह अध्यापक बनने के योग्य नहीं है।
2. विषय का पूर्ण ज्ञान
एक कुशल अध्यापक में इस गुण का होना अति आवश्यक है।अध्यापक को विषय का पूर्ण ज्ञान नहीं होगा तो वह विद्यार्थियों की विषय संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं कर पाएगा जिससे छात्र उसका आदर सम्मान नहीं करेंगे और न ही उसे आत्म संतुष्टि हो पाएगी।
3. शिक्षण विधियों का प्रयोग
एक अच्छा अध्यापक में यह गुण होना भी आवश्यक है कि छात्र उसकी बात को अच्छी तरह से समझ सके इसके लिए उसे छात्रों के स्तर अनुसार एवं विषय की प्रकृति अनुसार उचित शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए। जैसे छोटे बालको के लिए खेल विधि,प्रदर्शन विधि और कहानी विधि का प्रयोग प्रभावशाली रहता है तथा उच्च कक्षाओं में व्याख्यान प्रयोगशाला प्रयोगात्मक विधि उपयुक्त रहती है।
4. सहायक सामग्री का प्रयोग-
वर्तमान समय में विषय वस्तु की जटिलता कि समाप्ति की दृष्टि से अध्यापन में शिक्षा तकनीकी के साधनों का प्रयोग किया जा लगा है एक अच्छा अध्यापक वही है जो छात्रों के स्तर, उनकी योग्यता एवं क्षमता तथा विषय-वस्तु की प्रकृति को ध्यान में रखकर वस्तु को सरल और रुचिकर बनाने की दृष्टि से समुचित शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करें।
5. मनोविज्ञान का ज्ञान-
एक कक्षा में अलग-अलग प्रकार के बालक होते हैं उनकी भिन्न समस्या होती है वह अधिगम भली-भाति कर सके इसके लिए उनकी समस्याओं का समाधान होना आवश्यक है।एक शिक्षक उसी स्थिति में बालको की समस्याओं का समाधान कर सकता है जब वह उन से परिचित हो और समस्याओं के संबंध में जानने के लिए शिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है।
मनोविज्ञान का ध्यान होने पर ही शिक्षक बालक की रूचि योगिता क्षमता बुद्धि आदि को समझ सकता है और उसके आधार पर अपना जो शिक्षण है उस और निर्देशन का कार्य सफलतापूर्वक कर सकता है।
6. ज्ञान पिपासा –
एक अच्छा शिक्षक वही है जिसमें हमेशा सीखने की ललक बनी रहती है दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि’ एक अच्छा अध्यापक वही है जो हमेशा विद्यार्थी बना रहता है ‘इससे अध्यापक का खुद का ज्ञान तो बढ़ता ही है साथ ही वह अपने विद्यार्थियों को भी लाभ दे सकता है।
7. पाठ्य सहगामी क्रियाओं में रूचि –
एक अच्छे अध्यापक के लिए यह आवश्यक है कि वह विद्यालय में विभिन्न पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करने एवं उन्हें सफलतापूर्वक संपन्न कराने में रूचि ले।साथ ही इसके लिए उसे अपने विद्यार्थियों में रुचि विकसित करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए।
8. समय का पाबंद –
अच्छे अध्यापक का एक महत्वपूर्ण गुण उसका समय के प्रति पाबंद होना है।वह समय पर विद्यालय में जाएं,प्रार्थना सभा में उपस्थित हो तथा कालांश प्रारंभ होते ही कक्षा में जाएं और कालांश समाप्ति के पूर्व क्लास छोड़े अध्यापक यदि समय का पाबंद नहीं है तो उसके विद्यार्थी भी समय के पाबंद नहीं हो सकते।
9. कुशल वक्ता –
एक शिक्षक को अपनी बात को छात्रों तक पहुंचाने के लिए उसे रुचिपूर्ण,अच्छे स्तर तथा निश्चित अर्थ वाले शब्द का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही प्रवाह पूर्ण तरीके से बोलने में उसे झिझकना नहीं चाहिए।अत्यधिक गति से भी नहीं बोलना चाहिए। दूसरे शब्दों में उसे अपनी बात इस प्रकार के रखनी चाहिए कि विद्यार्थियों पर उसका प्रभाव पड़े और वे उसे सुनने में रुचि ले।
10. छात्रों के प्रति प्रेम व सहानुभूति –
एक शिक्षक केवल अध्यापक के प्रति रुचि रखें यह पर्याप्त नहीं है।उसे अपने विद्यार्थियों में भी रुचि रखनी चाहिए।साथ ही विद्यार्थियों से प्रेम, सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। विद्यार्थियों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का संतोषजनक रूप से उत्तर देना चाहिए।उनकी समस्याओं का सहानुभूतिपूर्ण समाधान करना चाहिए।इससे विद्यार्थी भी अध्यापक आदर करेंगे।
3.व्यक्तित्व संबंधी गुण – एक अच्छे शिक्षक का व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होना आवश्यक है टीचर का व्यक्तित्व प्रभावशाली तब ही हो सकता है जब उसमें निम्न गुण हो-
1.वेशभूषा –
टीचर का व्यक्तित्व प्रभावशाली होने के लिए उसका बाहरी स्वरूप अध्यापक के सम्मान ही होना आवश्यक है।अध्यापक के समान बाहरी सवरूप होने का अर्थ उसके सुंदर या असुंदर होने से न होकर उस की वेशभूषा आदि से है।अध्यापक को साफ सुथरी प्रेस किये हुए तथा उचित कपड़े पहने चाहिए। बालों को ढंग से सँवारकर कक्षा में जाना चाहिए। इससे शिक्षार्थी के ऊपर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
2. अच्छा स्वास्थ्य –
एक अच्छे अध्यापक का शारीरिक रूप से स्वस्थ होना भी आवश्यक है।यदि शिक्षक स्वस्थ नहीं होगा तो वह कक्षा में क्या पढ़ाएगा वह किस रूप से पढायेगा। शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर मानसिक रुप से भी अस्वस्थ रहेगा और साइकोलॉजिस्ट के द्वारा कहा गया है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है” शिक्षक का शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है।
3. उच्च गुणवत्ता-
एक शिक्षक को चारित्रिक रुप से दृढ़ होना चाहिए।क्योंकि शिक्षक के चरित्र का प्रभाव उसके विद्यार्थियों पर शीघ्र ही पड़ता है। अतः अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के समक्ष अपने आपको अच्छे रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। कभी भी उनके सामने कोई गलत या अनैतिक हरकत नहीं करनी चाहिए।
4. नेतृत्व शक्ति-
एक अच्छे शिक्षक में नेतृत्व शक्ति भी होनी चाहिए।उसे अपने विद्यार्थियों को प्रत्येक क्षेत्र, शिक्षक अधिगम, पाठ्य सहगामी प्रक्रिया, किसी विषय में विचार-विमर्श अनुशासन बनाए रखने आदि में कुशल एवं प्रभावशाली नेतृत्व प्रदान करना चाहिए।जिससे विद्यार्थी इन सभी क्षेत्रों में सफलता पूर्वक कार्य कर सकें।
5. धैर्यवान –
एक अच्छे शिक्षक में धैर्य का गुण होना आवश्यक है।छात्रों के प्रश्न पूछने पर उसे उखड़ना नहीं चाहिए। बात-बात में झुंझलाना नहीं चाहिए। बल्कि धैर्य के साथ सोच समझकर उनके प्रश्नों के उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए।
6. विनोदप्रिय –
विनोद प्रिय का तात्पर्य हंसी-मजाक करने वाले व्यक्ति से होता है। यदि कोई शिक्षक अपना चेहरा गुस्से से लाल रखता है तो विद्यार्थी उस अध्यापक से अप्रसन्न रहते हैं। उससे प्रश्न पूछना वह बात करना पसंद नहीं करते हैं अतः अध्यापक को विद्यार्थियों से प्रेम पूर्व मधुर संबंध बनाने एवं कक्षा शिक्षण में रस और रुचि उत्पन्न करने के लिए विनोद प्रिय होना आवश्यक है।
7. उत्साह –
प्रभावशाली अध्यापक उत्साह ही होता है जो भी कार्य उसे दिया जाता है वह पूर्ण उत्साह के साथ उसे करता है इससे छात्रों में भी रुचि उत्पन्न होती है और वह भी अध्यापक का पूर्ण उत्साह के साथ सहयोग करते हैं जिससे कार्य मैं पूर्ण सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
8. आत्म-सम्मान –
जिस शिक्षक में आत्म सम्मान की भावना नहीं होती है। वे अध्यापक कहलाने के योग्य नहीं है। एक अच्छा और प्रभावशाली अध्यापक वह है जो विद्यार्थियों,प्रधानाध्यापक तथा अन्य के सामने इसी गलत बात के लिए नहीं झुकता है। किसी प्रकार का अन्याय सह नहीं करता है,गलत बात का समझोता नहीं करता है। जो अध्यापक अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति सचेत रहता है वही अपने आत्मसम्मान की रक्षा कर पाता है।
4. संबंध स्थापित करने का गुण-
एक अच्छा अध्यापक वह है जो हमें लोगों के साथ अच्छा संबंध रखता है और उन्हें बनाए रखता है एक अच्छे शिक्षक का निम्न लिखित व्यक्तियों से अच्छे संबंध होने चाहिए-
1. विद्यार्थियों के साथ संबंध-
अध्यापक का कार्य सिर्फ़ इतना ही नहीं है कि वह कक्षा में जाकर अपना पाठ पढ़ा दे।उसे यह भी देखना चाहिए कि छात्रों पर उसका कितना प्रभाव पड़ता है। वह इस बात को तब ही देख सकता है जब उसका विद्यार्थियों के साथ मधुर संबंध स्थापित हो। इसके लिए उसे प्रत्येक छात्र की और व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना चाहिए। उनकी समस्याओं का उचित समाधान करना चाहिए उनके साथ मित्रता करें।
2. साथी अध्यापकों के साथ संबंध-
अध्यापक को अपने साथी अध्यापकों के साथ मैं भी मधुर संबंध बनाने चाहिए। अच्छा शिक्षक वही है जो अपने साथी अध्यापक के साथ प्रेम और सहयोग का व्यवहार करें।उनके विचारों का आदर करे,उनकी नींद न करें।
3. प्रधानाध्यापक के साथ संबंध-
एक अच्छा टीचर वही है जो प्रधानाध्यापक की साथ सहयोग पूर्ण व्यवहार करता है।विद्यालय में चलने वाली विभिन्न क्रियाओं को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में अपना योगदान करता है।
4. अभिभावको के साथ संबंध-
एक अच्छा टीचर वह है जो छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता से भी मधुर संबंध बनाता है। इसके लिए उसके विद्यार्थियों को माता-पिता को समय-समय पर बालक की प्रगति से परिचित कराते रहना चाहिए। बल्कि समस्याओं के समाधान के लिए विचार विमर्श करना चाहिए, अध्यापक को शिक्षक अभिभावक संघ बनाने में अधिकाधिक रुचि लेनी चाहिए।
5. समाज के साथ संबंध-
जिस समाज मे विद्यालय स्थित है। अध्यापकों को चाहिए कि वह उस समाज से भी अच्छे संबंध बनाएं इससे समाज के व्यक्ति विद्यालय की उन्नति में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।समुदाय के साथ संबंध बनाने की दृष्टि से टीचर विद्यार्थियों का सहयोग ले सकता है।
एक श्रेष्ठ वह अच्छे शिक्षक मैं शिक्षक के गुण होना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उस में उपयुक्त सभी गुणों का होना आवश्यक है। जिस शिक्षक में उपयुक्त सभी गुण होंगे तो कहा जा सकता है कि वह अध्यापक कुशल और प्रभावशाली है।
अध्यापक केवल व्यक्ति का मार्गदर्शन ही नहीं करता बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के भाग्य का निर्माण करता है।अतः अध्यापकों को समाज के प्रति अपने विशिष्ट कर्तव्य को पहचानना चाहिए।
RJ:
सबसे पहले आज मैं आप लोगों को शिक्षक दिवस की ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं। मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है कि हमारे परम गुरुदेव डॉक्टर वेद प्रकाश जी का कथन था कि✍️ एक लेखक, लेखक से पहले, पाठक होता है और एक पाठक, पाठक से पहले, इंसान होता है।
ऐसे ही एक अच्छा इंसान ही अच्छा पाठक बन सकता है और एक अच्छा पाठक ही अच्छा लेखक बन सकता है। इसमें संदेह नहीं है।
एक अच्छा इंसान कौन होता है, जो विनम्र हो और सामने वाले को सम्मान देने वाला हो पर साथ में एक ज्ञानी पुरष भी हो।
अब एक ज्ञानी पुरष को दूसरे ज्ञानी पुरष से विचारक मतभेद भी होंगे तो वो अच्छे तर्क वितर्क से आलोचना और प्रसंशा करेंगे, चाहे गिनती में वो 10 हों।
वहीं अज्ञानी 2 बहुत होते हैं और वो बहुत जलद तर्क वितर्क को बहस में बदल देने का मादा रखते हैं।
अब आपका जैसा व्यक्तित्व होगा, आप वैसा ही लिख पाओगे।
👉 जैसे अगर आप हसमुख यां गुस्से वाली प्रवृत्ति के हैं तो आप की कोशिश के बगैर ही आपके लेखों में से उसकी झलक अवश्य मिलेगी।
👉 अगर आप देश प्रेमी हैं तो इसकी झलक भी आपके लेखों में अवश्य मिल जायेगी।
👉 अगर आप धार्मिक तौर पर कट्टर हैं तो उसकी भी झलक आप के लेखों में आवश मिलेगी।
👉 अगर आप उदार और स्वतंत्र और खुले दिमाग के हैं तो उसकी झलक भी आपके लेखों में अवश्य मिल जायेगी।
क्योंकि आपके विचार ही आपके लेखन में नजर आते हैं।
नि:संदेह यहां इस व्हाट्सएप मंच पर ऐसे लेखक और पाठक है जो बेहतरीन और अच्छे इंसान भी है। जिस कारण वो अच्छा और बेहतरीन लिखने में कामयाब रहते हैं। उनकी लेखनी में ईमानदारी भी झलकती है।
हालांकि इनकी गिनती कम होने से हमे अच्छे लेखकों की कमी निरंतर महसूस होती रहती है।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि हमे अपने व्यक्तित्व में लगातार सुधार करते रहना चाहिए। क्योंकि लेखनी, एक लेखक के व्यक्तित्व का आइना होती है, जिसमे एक लेखक के व्यक्तित्व की झलक मिलती है।
तो अच्छे लेखक बनने केलिए पहले आपके व्यक्तित्व का अच्छा होना अनिवार्य है। क्योंकि आपकी लेखनी का मुख्य बिंदु, आकाश तत्व विचार यहीं से जन्म लेंगे।
मैं एक सरकारी विद्यालय में व्यावसायिक शिक्षक हु। मैं 9वी से 12 वी तक के बच्चो को पढ़ता हूं। एक दिन में 9वी में बच्चो को पढ़ा रहा था अचानक मेने देखा कि लड़कों की भीड़ में से एक कागज उछल कर लड़कियों की भीड़ में गिरा। पहले तो मुझे लगा शायद गलती से गिरा होगा लेकिन कुछ देर में ही मैं समझ गया कि ये प्यार व्यार वाला ही मामला है मेने तुरंत ही उस लड़की से वो कागज मंगा लेकिन तब तक वो उसे फाड चुकी थी फिर मेने उस मेटर को ज्यादा छेड़ना उचित नही समझा। क्योंकि आजकल के बच्चो को इस बारे में अगर कुछ भी कह दे तो वो कोई भी गलत कदम उठा सकते है। लेकिन उनकी कक्षा के ही कुछ बच्चो से उस बारे में पूछ ताछ की तो पता चला कि उनके बीच ये पिछले साल से ही चल रहा है मतलब 8वी से…..वो उम्र जब ज्यादातर बच्चो के खेलने की उम्र है तब तो प्यार का मतलब पता नही होता है।
तभी मेने सोच लिया कि उन बच्चो को समझाऊंगा ओर इसके होने वाले नुकसान के बारे में बताऊंगा लेकिन एक बार मन में विचार आया कि अगर मेरी बातों को उन्होंने गलत तरीके से ले लिया या अपनी बदनामी समझ के कोई गलत कदम उठा लिया तो….इसलिए मैंने अभी तक इस बारे में कोई बात नही की।
अब आप लोग बताओ मुझे क्या करना चाहिए।