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सूर्य षष्ठी व्रत आज

सूर्य षष्ठी व्रत आज

सूर्य षष्ठी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह व्रत 09 सितंबर को मनाया जाएगा। यह पर्व भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करके भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्य का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। वे ही इस दिन पौधों और जीवों को जीवन और ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसलिए, इस दिन भगवान सूर्य की पूजा भक्तों द्वारा विधि-विधान से की जाती है। लोग उपयुक्त जीवनसाथी, संतान या समृद्धि की प्राप्ति के लिए सूर्य षष्ठी व्रत रखते हैं। सूर्य देव की महिमा का वर्णन विभिन्न प्राचीन शास्त्रों में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सूर्य षष्ठी व्रत अनुष्ठान
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सूर्य षष्ठी के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर अपने घर के पास स्थित किसी तालाब, झील या नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद नदी के किनारे खड़े होकर सूर्योदय के समय सूर्य की पूजा करनी चाहिए। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और कपूर, धूप और लाल फूलों से भगवान की पूजा करें।
नदियों में स्नान करने के बाद, व्रती को उगते हुए सूर्य को सात प्रकार के फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल अर्पित करना चाहिए। उसे अपना सिर झुकाना चाहिए और सूर्य मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” और “ॐ सूर्याय नमः” का 108 बार जाप करते हुए भगवान को प्रार्थना करनी चाहिए।
अनुष्ठान करने के बाद, साधक को पूरे दिन भगवान सूर्य के नाम और उनके मंत्र का जाप करना चाहिए तथा अपनी शक्ति के अनुसार ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना चाहिए। साथ ही पुजारी या किसी गरीब व्यक्ति को वस्त्र, भोजन, अनाज आदि का दान करना चाहिए।

सूर्य षष्ठी का महत्व
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सूर्य षष्ठी व्रत भगवान सूर्य की पूजा के लिए किया जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत से सभी प्रकार के नेत्र रोग दूर होते हैं। सूर्य को ब्रह्मांड का जीवन और ऊर्जा माना जाता है। कई लोग संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत से पुत्र और पिता के बीच का रिश्ता मजबूत होता है।

सूर्य षष्ठी व्रत की पूजा विधि
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सूर्य षष्ठी/लोलार्क षष्ठी पर नदी या साफ तालाब में स्नान कर लें और अगर आप कहीं दूर नदी या तालाब में स्नान करने जा सकते हैं तो आप अपने घर में ही साफ पानी से स्नान कर लें।
इसके बाद सूर्यदेव का स्मरण करते हुए चंदन, चावल, तिल और चंदन मिले हुए जल से उगते सूरज को अर्घ्य दें।
इसके बाद सूर्य देव घी का दीपक या धूप जलाकर सूर्यदेव के मंत्र का यथा शक्ति जप करते हुए सूर्य देव की पूजा करें।
आदित्यहृदयस्त्रोत्र का पाठ करें।
आज के दिन ब्राह्मणों को दान देने का भी खास महत्व होता है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175

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