श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले मुख्य नियम
श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले मुख्य नियम
महालय श्राद्ध, जो 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक है, एक महत्वपूर्ण अवधि है जिसमें हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इस अवधि में कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है जो हमारे पूर्वजों को संतुष्ट करने में मदद करते हैं।
*1. भगवद्गीता का पाठ*
श्राद्ध के दिन भगवद्गीता के सातवें अध्याय का महात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
*2. श्राद्ध मंत्र*
श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें:
“देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।”
*3. पितरों को संतुष्ट करने का मंत्र*
श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आप के कुल-खानदान को आशीर्वाद देते हैं:
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा।”
*4. श्राद्ध करने के नियम*
जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं। कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है।
*5. पूजा के नियम*
पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुँआ भी न करें।
*6. सूर्य नारायण के आगे श्राद्ध*
अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें:
“हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का पुत्र, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।”
*7. द्वादश अक्षर मंत्र का जप*
श्राद्ध पक्ष में १ माला रोज द्वादश अक्षर मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” की जप करनी चाहिए और उस जप का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
*8. ब्राह्मणों को निमंत्रण*
विचारशील पुरुष को चाहिए कि जिस दिन श्राद्ध करना हो उससे एक दिन पूर्व ही संयमी, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे दें। परंतु श्राद्ध के दिन कोई अनिमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर पर पधारें तो उन्हें भी भोजन कराना चाहिए।
*9. भोजन के नियम*
भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार
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