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आयु अर्थ जीवन + वेद अर्थ ज्ञान

आयुर्वेद 🚩
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आयु अर्थ जीवन + वेद अर्थ ज्ञान। आयुर्वेद अर्थ जीवन जीने का ज्ञान।

प्राणो हि यस्माद्भूतानां प्राणिनामायुर्जीवनम्। अर्थ प्राण ही प्राणियों का आयु जीवन है।

यावद्धयस्मिञ्शरीरे प्राणो वसति तावदायुः। कौषीतकि ब्राह्मणोपनिषद् ३.२ अर्थ जब तक इस शरीर में प्राण रहता है तभी तक आयु है।इस श्रुति से सिद्ध होता है।

आयुर्वेद हमें रोग से पीड़ित होने पर औषधि देकर मात्र स्वस्थ करने की विधा ही नहीं बल्कि हम जीवन परियन्त्र आरोग्य रहे ऐसी जीवनशैली प्रदान करने वाली
स्वस्थ विधा है।

आयुर्वेद ने रोगों को ३ भागों में विभाजित किया है
१. कफ
२. पित्त
३. वात वायु

हृदय से ऊपरी भाग में कफ, हृदय के मध्य भाग से नाभि तक पित्त और नाभि से निचले भाग में वात का आश्रयस्थान है।

पंचमहाभूतों में आकाशतत्त्व अवकाश खाली स्थान के रूप में शरीर में रहता है और पृथिवीतत्त्व आधारस्वरूप है, अतएव ये दोनों निष्क्रिय हैं, अर्थ इन दोनों में किसी प्रकार की क्रिया नहीं होती है।

शेष तत्त्वों का विवरण इस प्रकार है जलतत्त्व कफ अग्नितत्त्व ‘पित्त’ और वायुतत्त्व वात है।
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