घेंघा गलगण्ड तथा थायराइड
घेंघा, गलगण्ड तथा थायराइड —
यह रोग आयोडीन की कमी के कारण होता है। इस रोग के कारण थायराइड ग्रंथ में सूजन आ जाती है। तथा यह सूजन गले पर हो जाती है किस रोग से पीड़ित रोगी के गले पर कभी-कभी यह सूजन नजर नहीं आती है लेकिन त्वचा पर यह महसूस की जा सकती है।
लक्षण- –
(१). इस रोग से पीड़ित रोगी की एकाग्रता शक्ति (सोने की शक्ति) कमजोर हो जाती है।
(२). रोगी को आलस्य आने लगता है तथा उसे उदासी भी हो जाती है।
(३). रोगी व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है।
(४). मानसिक संतुलन खो जाता है और वजन भी कम होने लगता है।
(५). किसी भी कर को करने में रोगी का मन नहीं लगता।
(६). धीरे-धीरे शरीर के भीतरी भाग में रुकावट आने लगती है।
चिकित्सा…..
(१). क्वाथ- – ब्राह्मी ,शंखपुष्पी ,अश्वगंधा, जटामांसी, उस्तेखददूस, मालकांगनी, सौंफ, गाज़वा,पुनर्वाय, भूमि आंवला, अमलतास, मकोय इन सभी को समान मात्रा में लेना है।
एक चम्मच 10 ग्राम की मात्रा में 400 मल पानी में पकाए 100 मल शेष रहने पर छान कर प्रातः सांय खाली पेट सेवन ।
(२). त्रिकटु चूर्ण 50 g + प्रवाल पिष्टी 10 g + गोदंती भस्म 10 g + बहेड़ा चूर्ण 20 g + शीला सिन्दूर 2 g + ताम्र भस्म ,1 g + मुक्ता पिष्टी 4 g
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाकर। प्रातः सांय नाश्ते एवं रात्रि को भोजन के आधा घंटा पहले शहद/मलाई से सेवन करें।
(३). कांचनार गुग्गुल १ गोली+ वृद्धिवाधिका १ गोली + आरोग्यवर्धिनी १ गोली* सुबह – दोपहर – शाम दिन में तीन बार । प्रातः नाश्ते, दोपहर भोजन, सांय भोजन के आधे घंटे बाद सुखोष्ण ( गुनगुने) जल से सेवन करें।
(४). दिन में एक समय गोधन अर्क का सेवन करें 20 ml
वैद्य अंकित सिंह प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,
धन्यवाद
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