घमौरियों के कारण लक्षण और उपचार :
घमौरियों के कारण लक्षण और उपचार :
★ इस रोग को घमोरियां ,अनूरिया, अंघौरी, इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।
★ शरीर के छिद्रों या ग्रन्थियों में पसीना रुक जाने से शोथ(सूजन) आ जाया करती है । जिसके फलस्वरूप बाजरा के दानों अथवा उससे भी छोटे दानों के रूप में दाने चर्म पर निकल आते हैं। जिनमें खुजली होती है और सुइयां सी चुभती हैं।
★ यह रोग गर्मी की अधिकता, बहुत अधिक पसीना आना, चर्म की सफाई न रखना, गर्म प्रकृति के भोजनों का अधिक खाना और गरम कपड़े पहनना इत्यादि कारणों से हो जाया करता है।
आहार विहार :
★ यह रोग प्रायः गरमियों में पसीना आने के कारण शरीर में हवा लग जाने से उत्पन्न होता है, अतः रोगी को अधिक पसीना आने से बचायें।
★ धूप में चलने-फिरने से रोकें ।
★ ठण्डी हवा में रखें तथा हल्के कपड़े पहनायें ।
★ कब्ज को दूर करें ।
★ गरम और तेज मिर्च-मसालेयुक्त भोजनों से परहेज रखें।
★ ठण्डे और शान्तिदायक शर्बत और पेय जैसे-अनार का शरबत, सन्तरे का शर्बत, चन्दन का शर्बत आदि पिलायें ।
घमोरियों का देसी इलाज :
1• मुर्दासंग एवं असली हींग समभाग लेकर खरल करें और चने के समान गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रख लें । प्रतिदिन 1 से 3 गोली सुबह-शाम खिलायें। गर्मी के दानों के लिए अतीव गुणकारी है योग केवल 3-4 दिनों में दाने पूर्णरूपेण नष्ट हो जाते हैं और फिर नहीं निकलते हैं।
2• घमौरियों पर खरबूजे का गूदा निकालकर लगाने से राहत मिलेगी।
3• गुलाब के फूलों का तेल 12 मि.ली., सिरका 48 मि.ली., गुलाब जल 60 मि.ली., कपूर 1 ग्राम और फिटकरी 3 ग्राम लें। सभी को खरल करके गर्मी के दानों पर लगाना लाभकारी है।
4• नौशादर, कपूर, नीला थोथा, गन्धक आमलासार (प्रत्येक 9 ग्राम) सभी को पीसकर 3 भाग कर लें । फिर 1 भाग को दही में मिलाकर दानों पर मलें। जब औषधि खुश्क हो जाये, तो थोड़ी देर बाद स्नान कर लें । इसी प्रकार प्रयोग 3 दिन तक करें । आराम हो जाएगा ।
*5• मुलतानी मिट्टी को रेशा खातमी के लुआब में मिलाकर दानों पर मलें । अथवा मक्खन और कतीरा (कतीरा एक कांटेदार पेड़ का गोंद है) मिलाकर दानों पर मलें । अथवा
खशखश के बीज 12 ग्राम बकरी के 60 मि. ली. दूध में पीसकर गर्मी के दानों( घमौरियों ) पर मलें । तत्पश्चात् आधा घन्टे बाद पानी से स्नान करें । गर्मी के दानों हेतु सभी लाभप्रद योग हैं।*
*6• बर्फ (ice) को गर्मी के दानों पर मलना भी गर्मी के दानों में अतुलसी और गिलोय का रस एक एक चम्मच सुबह शाम
त्यन्त लाभप्रद है।*
7• चार नग कोकम को दो गिलास पानी में रातभर भिगोकर रखें। अगले दिन सुबह इस पानी को तब तक उबालना है जब तक की पानी एक गिलास न रह जाए। अब ठंडा होने पर उसमें 3 चम्मच मिश्री पाउडर मिलाकर पी जाएं। यह शरीर की गर्मी दूर करता है और घमौरियों को भी मिटाता है।
8. निम या तुलसी या फ़िटकिरी या पुदिना या धनिया युक्त उबलाहुया पानी ठंडा कर इससे सफाई करें
निरोगी रहने हेतु महामन्त्र
मन्त्र 1 :-
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)
• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)
• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें
मन्त्र 2 :-
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
भाई राजीव दीक्षित जी के सपने स्वस्थ भारत समृद्ध भारत और स्वदेशी भारत स्वावलंबी भारत स्वाभिमानी भारत के निर्माण में एक पहल आप सब भी अपने जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी को अवश्य सुनें
स्वदेशीमय भारत ही हमारा अंतिम लक्ष्य है :- भाई राजीव दीक्षित जी
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डॉ ज्योति ओमप्रकाश गुप्ता 9399341299 वन्देमातरम जय हिंद