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प्रकृति का जवाब

प्रकृति का जवाब

आज हम कई किस्सों का जिक्र करेंगे, जो हमें यह समझाते हैं कि प्रकृति हमेशा अपना रास्ता खुद बना लेती है। चाहे कितनी भी बाधाएं क्यों न आएं, सच्ची मेहनत और ईमानदारी का फल जरूर मिलता है।

एक गाँव में राजेंद्र नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह दशकों से एक छोटे से खेत में मेहनत करके अपने परिवार का पेट पाल रहा था। उसका सपना था कि वह अपने खेत को और उपजाऊ बनाए और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सके। लेकिन उसी गाँव में नरेंद्र नाम का एक व्यक्ति भी रहता था, जो बहुत चालाक और स्वार्थी था। नरेंद्र को राजेंद्र की सफलता से ईर्ष्या थी।

एक बार राजेंद्र ने अपने खेत में नई फसल उगाने का फैसला किया। उसने बीज खरीदे, खेत तैयार किया और मेहनत से पौधे लगाए। लेकिन नरेंद्र ने अपनी चालाकी से राजेंद्र के काम में रुकावट डाल दी। उसने गाँव के लोगों को भड़काया कि राजेंद्र की नई फसल से उनके खेतों को नुकसान होगा। इस वजह से राजेंद्र को अपना काम रोकना पड़ा।

राजेंद्र बहुत निराश हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने ठान लिया कि अगली बार वह नरेंद्र को बिना बताए अपना काम पूरा करेगा। उसने चुपचाप अपने खेत में फसल उगाने की तैयारी शुरू कर दी। इस बार उसने नरेंद्र की बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी मेहनत पर भरोसा रखा।

कुछ महीनों बाद, राजेंद्र के खेत में सुनहरी फसल लहलहाने लगी। उसकी मेहनत रंग लाई और उसने न केवल अपने परिवार की जरूरतें पूरी कीं, बल्कि गाँव के लोगों को भी अपनी फसल से लाभ पहुंचाया। नरेंद्र की चालाकी इस बार काम नहीं आई, क्योंकि प्रकृति ने राजेंद्र की मेहनत को सफलता दिला दी।

सीख:
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हम ईमानदारी से मेहनत करें और अपने लक्ष्य पर डटे रहें, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। प्रकृति हमेशा सच्चे और मेहनती लोगों का साथ देती है। इसलिए, कभी हार न मानें और अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें।

प्रकृति का जवाब हमेशा सही होता है।

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