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रंग से नहीं, हौसले से पहचान – निधि की कहानी

रंग से नहीं, हौसले से पहचान – निधि की कहानी

“जब लोग मुझे देखते थे, तो मैं झुक जाती थी। लेकिन अब, जब मैं खुद को देखती हूँ, तो सिर ऊँचा कर मुस्कुराती हूँ!” – निधि

शुरुआत में संघर्ष

निधि 12 साल की थी जब उसके चेहरे और हाथों पर सफेद दाग (Vitiligo) दिखने लगे। पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जैसे-जैसे दाग बढ़ने लगे, लोग उसे अजीब नज़रों से देखने लगे। स्कूल में बच्चे फुसफुसाते, कुछ अजीब नामों से बुलाते। रिश्तेदारों ने माता-पिता को तरह-तरह के टोटके करने की सलाह दी।

निधि का आत्मविश्वास कमजोर होने लगा। उसने खुद को आईने में देखना बंद कर दिया, खुलकर हँसना बंद कर दिया।

परिवर्तन की शुरुआत

एक दिन, निधि की मुलाकात एक महिला से हुई, जिनका पूरा शरीर सफेद दाग से ढका था, लेकिन उनके चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक थी। उन्होंने निधि से कहा:

“तुम्हारी सुंदरता तुम्हारे रंग में नहीं, तुम्हारी आत्मा में है। लोग क्या कहते हैं, इस पर ध्यान मत दो।”

उस दिन निधि ने फैसला किया कि अब वो खुद को छिपाएगी नहीं, बल्कि दुनिया को दिखाएगी कि सौंदर्य आत्मविश्वास से आता है, रंग से नहीं।

सफ़र आत्म-स्वीकृति का

  • निधि ने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें पोस्ट करना शुरू किया और अपनी Vitiligo जर्नी को शेयर किया।
  • धीरे-धीरे लोग उसे सपोर्ट करने लगे।
  • आज, निधि एक मॉडल, स्पीकर और मोटिवेशनल लीडर बन चुकी है, जो दूसरों को प्रेरित कर रही है।
  • वह Vitiligo को सुंदरता की एक अलग परिभाषा मानती है।

“तुम्हारे दाग तुम्हारी कमजोरी नहीं, तुम्हारी अनोखी पहचान हैं!”

आज निधि गर्व से कहती है – “मैं अपने दागों को नहीं, अपनी मुस्कान को दिखाती हूँ!”

❤️ अगर आप भी सफेद दाग से जुड़े डर और भेदभाव से जूझ रहे हैं, तो याद रखें – आप अकेले नहीं हैं!
💬 अपनी कहानी शेयर करें और इस बदलाव का हिस्सा बनें!

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