कुक्कुर खांसी (कुत्ता खांसी) क्या है..?
बाल रोग चिकित्सा
कुक्कुर खांसी (कुत्ता खांसी) क्या है..?
*एलोपैथ के मतानुसार -* कुक्कुर खांसी जिसे काली खांसी या परटूसिस (pertussis) भी कहते हैं। एक तीव्र संक्रामक रोग है। जो एक विशेष प्रकार का प्रावेशिक कास (खांसी) एवं ज्वर तथा सामान्य स्वरूप के जुकाम के लक्षणों के साथ बी.परटूसिस के ड्रॉपलेट इंफेक्शन के रूप में होता है। *प्रारंभ में तेज खांसी और कुत्ते के हुप – हुप करने जैसी आवाज, मंद ज्वर, हंसते-हंसते दम रुक जाने की अवस्था, खांसते हुए वमन एवं मितली होना, बच्चों में नींद ना आना, चेहरा तमतमाया हुआ, आंखें लाल, शरीर का प्रतिदिन दुर्बल हो जाना*, आदि लक्षणों से युक्त रोग *हुपिंग कफ* कहलाता है।
यह रोग खांसी में *हुप* का प्रारंभ होने के एक सप्ताह पहले तथा दो सप्ताह पश्चात अत्यंत संक्रामक हो जाता है।
साधारणता है यह रोग 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे को होता है। किंतु कभी-कभी इसका आक्रमण बड़ों को भी हो जाता है।
*आयुर्वेद के मतानुसार -* कुक्कुर कास रूक्ष कास (वातज) के अंतर्गत आता है। अतः इसमें वात की प्रधानता रहती है। चरक संहिता अध्याय १८ में वातीज का की चिकित्सा में बतलाया गया है ।
*योग no – (१).*- कच्ची फिटकरी का चूर्ण 10 तोले , सोमकल्प चूर्ण 5 तोला।
दोनों को अच्छी तरह से मिलाकर घोटकर जल के सहयोग से गोली बना ले। सुखाकर सीसी में रख ले। कुत्ता खांसी की उग्रावस्था के 8 – 10 दिन व्यतीत होने पर देने से निश्चयपूर्वक 7 से 10 दिन में आराम भी हो जाता है।
*मात्रा बलानुसार-* 1 से 2 वर्ष की आयु वाले बच्चों को १ रत्ती।
5 वर्ष वाले को तीन से चार रत्ती। कथा बड़े बालकों के लिए 6 से 8 राती दिन में तीन बार । उष्ण जल या शहद में मिलाकर चटावें।
*योग no (२).*- केले के पत्तों को सुखाकर (छाया में ) मिट्टी के बर्तन में कंडो में जलाकर भस्म बनाएं। १२५ mg की मात्रा शहद या मलाई में मिलाकर दिन में ३ से ४ बार चटावें। १५ दिनों तक पूर्ण आराम मिल जाएगा।
यह दोनों नुस्खे मेरे स्वानुभुत है।
बैद्यनाथ आयुर्वेदिक चिकित्सक,
वैद्य अंकित सिंह प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,
प्रणाम
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