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वनौषधियों के लुप्तप्राय प्रयोग

वनौषधियों के लुप्तप्राय प्रयोग

वनौषधि लेखमाला के अंतर्गत इस बार के अंक में भिन्न-भिन्न वनौषियों के अप्रचलित पारंपरिक विशेष प्रयोगों को प्रस्तुत किया जा रहा है। आयुर्वेद के पुनर्रुद्धार के लिए उन लुप्तप्राय प्रयोगों को लोक कल्याण के हेतु से जन-जन तक पहुंचाकर उन प्रयोगों को अक्षुण्ण बनाने का एक प्रयास मात्र है

वनौषधियों के लुप्तप्राय प्रयोग

सिरदर्द के लिए अंकोल का प्रयोगः

सिरदर्द की समस्या आमतौर पर लोगों में देखी जाती है। जब सिर का दर्द अनेक उपायों से शांत होता हुआ दिखाई न दे तब अंकोल के तेल का प्रयोग अद्भुत परिणाम देता है। एक पूर्ण आयु प्राप्त बलवान शरीर वाले व्यक्ति के लिए अंकोल के तेल की पंद्रह बूंदें पर्याप्त रहती हैं। अंकोल के तेल का उपयोग करने के लिए दो सौ मिली गोदुग्ध की आवश्यकता होती है। गोदुग्ध में अंकोल के तेल की पंद्रह बूंदें डालकर प्रति बूंद प्रति ग्राम के हिसाब से शुद्ध शहद पंद्रह ग्राम मिलाकर पीने से अनेक उपायों के बाद भी नही शान्त होने वाला सिरदर्द शांत हो जाता है।

कफज श्वांस, दमा, एलर्जी और नजला-जुकाम पर श्वेतार्क का प्रयोगः

श्वेतार्क की बंद कली को छाया शुष्क कर कढ़ाई में डाल हलका गुलाबी होने तक भून लें और ठंडा होने पर बारीक कपड़छन चूर्ण बनाएं एवं आवश्यकता पड़ने पर शुद्ध देशी कपूर मिलाकर सुबह-शाम दो सौ पचास से पाच सौ मिलीग्राम ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चटाएं। इस अवधि में कफ वर्धक आहार जैसे चावल, प्याज, कटहल, उरद आदि आदि पूर्णतः बंद करा दें।

पेट के अल्सर पर आल का प्रयोगः

आल के पेंड़ के तने की छाल का काढ़ा बनाकर इसमें शहद मिलाकर नियमित पीने से पेट के छाले (अल्सर) ठीक हो जाता है।

वातज बवासीर पर इमली के फूलों का प्रयोगः

इमली के फूलों की पुल्टिस बनाकर बवासीर की गांठों पर बांधने से मस्सों में बहुत लाभ होता है यदि इमली के फूलों काढ़ा बानाकर भी साथ-साथ लिया जाए तो बवासीर के मस्से पूर्णतः शुष्क हो जाते हैं।

मुख के छालों पर उतरन का प्रयोगः

उतरन की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर गरगरा करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।

 

डॉ आर टी राजपूत
प्राकृतिक चिकित्सक, आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट
वनौशधि विषेशज्ञ
संचालक-सृष्टि क्लीनिक,
होलिस्टिक नेचुरल हेल्थ सेंटर, हरदोई, उत्तर प्रदेश
मो.नं. 9452319 885

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