अति-आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था: एक सच्चाई जो आपको झकझोर देगी!
📌 दवा या बीमारी? सच्चाई जानिए!
कल्पना कीजिए — आपको बस हल्का बुखार था, आराम और घरेलू नुस्खों से ठीक हो सकते थे, लेकिन आप डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने ढेरों टेस्ट लिख दिए, जिनमें कुछ मामूली रिपोर्ट्स देखकर आपको नई-नई बीमारियों का नाम बता दिया गया।
अब आप मरीज नहीं — कोलेस्ट्रॉल, शुगर, बीपी, हार्ट, थायरॉइड, किडनी, अनिद्रा — सबके मरीज हैं!
दवाओं की गिनती बढ़ती गई — 1 से 3, फिर 5, फिर 7 और फिर 11 तक! आप अपनी असली बीमारी भूलकर दवाओं के दुष्प्रभाव के लिए नई दवाएं खा रहे हैं। यही है अति-आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था।
❗ सवाल उठता है — ये मापदंड कौन तय करता है?
क्या सच में इतनी जल्दी शुगर बढ़ जाती है?
क्या हल्का कोलेस्ट्रॉल ही आपको हार्ट अटैक का मरीज बना देता है?
तथ्य:
✅ 1979 में शुगर 200 mg/dl से ऊपर होने पर ही डायबिटीज मानी जाती थी।
✅ 1997 में इसे घटाकर 126 कर दिया गया — करोड़ों लोग मरीज बन गए।
✅ 2003 में इसे और घटाकर 100 mg/dl कर दिया — अब आधी दुनिया डायबेटिक घोषित!
💉 दवाओं का खेल: मुनाफा पहले, मरीज बाद में
क्या आप जानते हैं?
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2012 में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी कंपनी पर $3 बिलियन का जुर्माना लगाया क्योंकि उनकी दवा से हार्ट अटैक के केस बढ़े।
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कंपनियों को सब पता था, लेकिन मुनाफे के लिए उन्होंने सच छुपाया।
🧘 आपके पास उपाय है!
✅ जीवनशैली में सुधार करें
✅ ताजे फल-सब्ज़ियां खाएं
✅ पानी खूब पिएं
✅ सैर और योग करें
✅ खुद को ‘गंभीर रोगी’ न मानें
स्वस्थ रहना उतना मुश्किल नहीं, जितना आपको बताया जाता है!
👉 बुखार हो, छोटी बीमारी हो — पहले शरीर को मौका दीजिए।
👉 छोटी बीमारी में खुद को गंभीर रोगी मत मानिए।
👉 सही जानकारी रखें — आँख बंद कर दवाओं पर निर्भर मत बनिए।