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प्रसाद: जीवन की सबसे बड़ी सौगात

प्रसाद: जीवन की सबसे बड़ी सौगात

“प्रसाद” का अर्थ है – तुम्हारे कारण नहीं, प्रभु के कारण।
भेंट है, सौगात है – और यह जीवन खुद एक प्रसाद है।

🕊️ एक सुंदर उदाहरण से शुरुआत:

कल्पना कीजिए, एक पक्षी आपके कमरे में घुस आता है। जिस द्वार से वह आया, वह अभी भी खुला है, लेकिन वह पक्षी खिड़की के कांच से टकराता है। बार-बार चोंच मारता है, घबराता है, पंख फड़फड़ाता है – लेकिन लौटने का रास्ता भूल चुका है। जो रास्ता खुला है, उस पर ध्यान ही नहीं है।

हम मनुष्य भी कुछ ऐसे ही हो गए हैं – परमात्मा ने जिस दरवाजे से हमें जीवन में भेजा है, उसे भूल गए हैं, और हम अपने प्रयासों से बंद खिड़कियों को तोड़ने में लगे हैं।

🌿 जीवन: एक प्रसाद

क्या आपने कभी सोचा कि आपने इस जीवन को मांगा कब था?
क्या किसी ने आपसे पूछा था कि “क्या आप जन्म लेना चाहेंगे?”
नहीं। यह बिना मांगे मिली हुई भेंट है – एक प्रसाद

पर हम भूल जाते हैं। हमें लगता है कि हम श्वास ले रहे हैं, हम जी रहे हैं –
जबकि सत्य यह है कि श्वास हमें ले रही है, जीवन हमें जी रहा है।

🔍 प्रसाद को समझने की चाबी

  • तुम श्वास लेते नहीं हो, श्वास खुद चलती है।

  • तुम जागे हो, पर तुम्हारे जागने में तुम्हारा कोई योगदान नहीं।

  • जब तुम गहरी नींद में होते हो, तब भी जीवन चलता है।

  • यह दिखाता है कि हमारा होना हमारा किया नहीं, बल्कि दिया हुआ है

🙏 सच्ची अनुभूति कब होती है?

जब अहंकार गलता है,
जब हम यह मान लेते हैं कि “मैं नहीं, वही है”,
तब प्रसाद की अनुभूति होती है
तब हमें यह महसूस होता है कि हर क्षण, हर सांस, हर अनुभव – एक भेंट है, कृपा है।


🧘‍♂️ जीवन को प्रसाद की तरह स्वीकारें

इस जीवन को कृतज्ञता से देखें।
हर क्षण में यह जानें कि जो है, वह मेरी योग्यता नहीं, उसकी कृपा है।

“जिस दिन तुमने यह जान लिया कि तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह तुम्हारा नहीं – प्रसाद है,
उसी दिन से संतोष, आनंद और शांति का आरंभ होता है।”

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