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श्रीकृष्ण और जामवंत का अद्भुत युद्ध : स्यमन्तक मणि की पौराणिक कथा

⚔️ श्रीकृष्ण और जामवंत का अद्भुत युद्ध : स्यमन्तक मणि की पौराणिक कथा

🔸 जहाँ विश्वास डगमगाता है, वहीं सच्चाई अपनी जगह बना लेती है…

पौराणिक ग्रंथों में वर्णित एक अत्यंत प्रसिद्ध प्रसंग है – श्रीकृष्ण और रीछराज जामवंत के युद्ध का। यह केवल एक मणि को पाने की कथा नहीं है, बल्कि विश्वास, प्रायश्चित और ईश्वर की लीलाओं की गहन व्याख्या भी है।


🌞 स्यमन्तक मणि की उत्पत्ति

सत्राजित नामक यादव ने जब भगवान सूर्य की कठोर तपस्या की, तब प्रसन्न होकर उन्होंने उसे ‘स्यमन्तक मणि’ भेंट की। यह मणि अद्भुत शक्तियों से युक्त थी —

  • यह प्रतिदिन आठ भार सोना उत्पन्न करती थी।

  • जहाँ यह होती, वहाँ रोग, अकाल, असमय मृत्यु जैसे संकट नहीं आते थे।


🏰 श्रीकृष्ण की सलाह और सत्राजित की चुप्पी

एक दिन जब सत्राजित, स्यमन्तक मणि को मस्तक पर धारण कर श्रीकृष्ण से मिलने आया, तो श्रीकृष्ण ने कहा —
“ऐसी दिव्य वस्तु पर राजा का अधिकार होना चाहिए, अतः यह मणि उग्रसेन को दे दो।”
परंतु सत्राजित बिना उत्तर दिए लौट गया और मणि को अपने घर के मंदिर में रख दिया।


🦁 शिकार पर निकले प्रसेन और मणि का रहस्य

सत्राजित का भाई प्रसेनजित एक दिन वह मणि पहनकर जंगल में शिकार पर गया, जहाँ एक सिंह ने उसे मार डाला। सिंह मणि लेकर चला गया, लेकिन उसे रीछराज जामवंत ने मार दिया और मणि अपने पुत्र को खिलौने की तरह दे दी।


🔍 श्रीकृष्ण पर लगा झूठा आरोप

प्रसेनजित के लौटकर न आने पर सत्राजित ने श्रीकृष्ण पर आरोप लगाया कि उन्होंने मणि चुराकर हत्या की है। यह बात पूरे द्वारका में फैल गई।
अपने ऊपर लगे कलंक को मिटाने के लिए श्रीकृष्ण स्वयं मणि की खोज में निकले।


🏹 गुफा में हुआ महायुद्ध

श्रीकृष्ण पदचिन्हों का पीछा करते हुए जामवंत की गुफा तक पहुँचे। वहाँ उन्होंने मणि को जामवंत के पुत्र के पास पाया। जैसे ही श्रीकृष्ण ने मणि उठाई, जामवंत क्रोधित हो उठे और युद्ध आरंभ हुआ।

यह युद्ध 28 दिनों तक चला। अंततः श्रीकृष्ण ने जामवंत को घायल कर दिया। जामवंत को स्मरण हुआ कि यह वही दिव्य शक्ति है जो पूर्व जन्म में भगवान राम थे।


🌟 श्रीकृष्ण ने दिया श्रीराम रूप में दर्शन

जैसे ही जामवंत ने श्रीराम का स्मरण किया, श्रीकृष्ण ने उन्हें रामरूप में दर्शन दिए और याद दिलाया:

“हे जामवंत! रावण वध के बाद तुमने मुझसे युद्ध की इच्छा प्रकट की थी।
मैंने वचन दिया था कि अगले अवतार में तुम्हारी यह इच्छा पूरी करूंगा।”

जामवंत ने श्रीकृष्ण की स्तुति की और अपनी कन्या जामवंती का विवाह उनके साथ कर दिया।


👑 मणि लौटाई गई, सत्यभामा बनीं पत्नी

श्रीकृष्ण जब द्वारका लौटे, तो नगर में उत्सव जैसा माहौल बन गया। उन्होंने स्यमन्तक मणि सत्राजित को लौटा दी।
सत्राजित अपने झूठे आरोप पर पश्चाताप करने लगा और प्रायश्चितस्वरूप अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया

हालाँकि उसने मणि को दहेज में देना चाहा, परंतु शरणागतवत्सल श्रीकृष्ण ने मणि को लौटा दिया।


🙏 सीख:

  • सत्य चाहे जितना भी दब जाए, अंततः उजागर होकर ही रहता है।

  • प्रभु की लीला समय से ऊपर होती है।

  • अहंकार, भ्रम और आरोपों का अंत विश्वास व विनम्रता में ही होता है।

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