झूठी शान की सच्ची कीमत – एक प्रेरक कथा
🌿 झूठी शान की सच्ची कीमत – एक प्रेरक कथा
✦ कहानी का सार
एक साधारण उल्लू जब एक शालीन हंस से मित्रता करता है, तो वह उसकी भव्यता से प्रभावित होकर स्वयं को भी राजा साबित करने के लिए झूठी कहानियाँ गढ़ता है। दिखावे और झूठी शान की इस होड़ में वह न केवल अपना परम मित्र खो बैठता है, बल्कि अंततः अपनी जान से भी हाथ धो बैठता है।
✨ कहानी: झूठी शान
जंगल में एक ऊँचे पहाड़ की चोटी पर स्थित किले में एक देवदार का पेड़ था, जिस पर एक उल्लू रहता था। घाटियों से भोजन जुटाने वाला यह उल्लू एक दिन झील में तैरते सुंदर हंसों को देख मंत्रमुग्ध हो गया। उनमें से एक हंस से मित्रता करने की उसकी इच्छा धीरे-धीरे पूरी हो गई।
हंस बड़ा ही विनम्र और ज्ञानी था। दोनों की मित्रता गहराई, और एक दिन हंस ने उल्लू को अपने झील वाले निवास पर आमंत्रित किया। वहां के शाही ठाठ देखकर उल्लू आत्मग्लानि से भर गया। कहीं हंस उसे साधारण समझकर मित्रता न तोड़ दे — इस भय से उसने झूठ बोल दिया कि वह भी उल्लुओं का राजा है।
अपने झूठ को निभाने के लिए वह किले के नियमित सैनिक अभ्यास को अपनी ‘राजशाही’ बना कर पेश करता है और हंसराज को आमंत्रित करता है। हंस उसके कथित ठाठ-बाट से प्रभावित हो जाता है। परंतु अगली सुबह सैनिक जब किले से जाने लगते हैं, तो उल्लू उन्हें रोकने के लिए घुघुआता है। सैनिक इसे अपशकुन मानते हैं और एक तीर चलाते हैं — जो दुर्भाग्यवश हंस को जा लगता है।
हंस की मृत्यु से दुखी उल्लू विलाप करता है — “मैंने झूठी शान के चक्कर में अपना परम मित्र खो दिया।” लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। शोक में बेसुध उल्लू को एक सियार अपना शिकार बना लेता है।
🧠 सीख:
झूठी शान हमें एक पल के लिए ऊँचा दिखा सकती है, पर अंत में बहुत कुछ छीन लेती है — रिश्ते, सम्मान और कभी-कभी जीवन भी।