पितृपक्ष 2025: आटा गूंथने के बाद महिलाएं क्यों लगाती हैं उंगलियों के निशान? जानें पितरों से जुड़ी मान्यता 🌺
पितृपक्ष 2025: आटा गूंथने के बाद महिलाएं क्यों लगाती हैं उंगलियों के निशान? जानें पितरों से जुड़ी मान्यता 🌺
रसोई और धर्म का गहरा संबंध
भारतीय संस्कृति में रसोई से जुड़े कई कार्य केवल घरेलू आदतें नहीं बल्कि धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़े हुए हैं। इन्हीं में से एक परंपरा है—आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों के निशान बनाना। यह परंपरा पितरों और श्राद्ध कर्म से गहराई से जुड़ी हुई है।
क्या आटे पर उंगलियों के निशान का है पूर्वजों से संबंध?
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यदि आटे को पूरी तरह गोल और चिकना छोड़ दिया जाए तो उसका आकार पिंड जैसा हो जाता है।
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पिंड का संबंध पितरों को अर्पित भोजन से है, जो पितृपक्ष में श्राद्ध के समय दिया जाता है।
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इसलिए आटा गूंथने के बाद महिलाएं उस पर हल्के-हल्के उंगलियों के निशान बना देती हैं, ताकि उसका आकार पिंड जैसा न रहे।
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कुछ घरों में तो आटे की लोई से थोड़ा सा आटा अलग भी कर दिया जाता है।
आटे पर उंगलियों के निशान क्यों लगाए जाते हैं?
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पितरों को अर्पित किए जाने वाले पिंड पूरी तरह गोल बनाए जाते हैं।
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घर के आटे को पिंड के आकार से अलग दिखाने के लिए उस पर उंगलियों के निशान लगाए जाते हैं।
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यह मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों का आहार और रोजमर्रा का भोजन अलग-अलग माना जाता है।
पितृपक्ष में पिंडदान का महत्व
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पिंडदान पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला पवित्र अनुष्ठान है।
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इसमें चावल, जौ का आटा, तिल, सूखा दूध और शहद से बने पिंड अर्पित किए जाते हैं।
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इस प्रक्रिया के माध्यम से जीवित व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति आभार और सम्मान प्रकट करता है।
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पिंडदान से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
आटा गूंथने के बाद उस पर उंगलियों के निशान बनाना कोई साधारण आदत नहीं बल्कि पितरों के प्रति श्रद्धा और परंपरा से जुड़ा हुआ धार्मिक कार्य है। यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि हमारे रोजमर्रा के काम भी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं।
🚩#जय_माँ_अन्नपूर्णा🚩
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