अंकों के प्रकार
अंकों के प्रकार
अंक शास्त्र में 5 प्रकार के अंक माने गए हैं
(1) मूलांक (2) भाग्यांक (3) नामांक (4) मासांक और (5) वर्षांक।
1. मूलांक :
मूलांक जातक का चित्र या परछाई है, जो जन्म तिथि से ज्ञात होता है। जन्म या कोई भी घटना अंग्रेजी की 1 से लेकर 31 तारीख तक हो सकती है। मान लीजिये किसी की जन्म तिथि 11-02-1935 है तो उसका मूलांक 2 होगा जो जन्म दिनांक के अंकों का योग है। इसमें माह और वर्ष को शामिल नहीं किया जाता है। इस जातक का जन्म दिनांक चूंकि 11 है तो 1+1=2 हुआ और वही उसका मूलांक है। इसी प्रकार किसी की जन्म तिथि 24 है तो मूलांक होगा 2 + 4 = 6 । यदि 4 है तो 0 + 4 = 4 मूलांक होगा। इकाई प्राप्त होने तक जोड़ करते जाना चाहिए। इस सूत्र के अनुसार किसी भी जातक का मूलांक प्राप्त किया जा सकता है। फिर भी 1 से 31 तक के अंकों के मूलांकों की तालिका नीचे दी जा रही है।
जन्मदिनांक मूलांक जन्मदिनांक मूलांक जन्मदिनाकं मूलांक
1 1 12 3 23 5
2 2 13 4 24 6
3 3 14 5 25 7
4 4 15 6 26 8
5 5 16 7 27 9
6 6 17 8 28 1
7 7 18 9 29 2
8 8 19 1 30 3
9 9 20 2 31 4
10 1 21 3
11 2 22 4
2. भाग्यांक :
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, इस अंक का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के भाग्य से होता है। इसकी गणना जन्म दिनांक, जन्म माह एवं जन्म वर्ष तीनों के आधार पर की जाती है, इसलिये इसे मूलांक, मासांक तथा वर्षांक का मिश्रांक भी कह सकते हैं।
उदाहरणार्थ – किसी व्यक्ति का जन्म यदि 15-08-1947 को हुआ था, तो उसका भाग्याकं निम्नानुसार होगा
जन्म दिनांक 15 अर्थात् 1 + 5 = 6
जन्म माह 8 अर्थात् 0 + 8 = 8
जन्म वर्ष 1947 अर्थात् 1+ 9+ 4 + 7 = 21
तीनों का योग 6 + 8 + 21 = 35
अर्थात् 3 + 5 = 8
तो इस व्यक्ति का भाग्यांक 8 हुआ ।
उदाहरण –
यदि किसी जातक का जन्म दिनांक 27 अगस्त 1975 है तो उसका भाग्यांक निम्न होगा –
दिनांक = 2 + 7 = 9
माह = अगस्त = 8
वर्ष = 1975 = 1 +9 + 7 + 5 = 22
भाग्यांक = 9+8+22=39=3+9=12=1+2=3
3. नामांक :
व्यक्ति के नामाकं का निर्धारण अंग्रजी वर्णमाला के अनुसार उसका पूरा नाम अथार्त् पहला नाम, मध्य नाम व उपनाम लिखकर किया जाता है। प्रत्येक अक्षर के अंक तय होते हैं इसके लिये तीन पक्तियां में व्यक्ति का नाम, मध्य नाम व उपनाम लिख लिया जाता है आरै प्रत्यके अक्षर के अंक उसके नीच ेलिखे लेते हैं। तत्पश्चात प्रत्येक पंक्ति के योग का महायोग निकालकर मूलांक पद्धति से नामांक प्राप्त किया जाता है।
अक्षरां का यह अकं निर्धारण यूनिट सिस्टम के नाम से जाना जाता है इसके अलावा यहूदी कबाला प्रणाली है परन्त,ु चूकि, यूनिट्रथा अधिक प्रचलित है और भारतीय अंक प्रणाली के अधिक निकट है इसलिये हम भी उसी का प्रयोग करेगें।
4. मासांक :
जन्म के महीनें का प्र्रतिनिधित्व। यह भी 1 से 9 अंकां का होता है।
जन्म का माह मासांक
जनवरी 1
फरवरी 2
मार्च 3
अप्रैल 4
मई 5
जून 6
जुलाई 7
अगस्त 8
सितम्बर 9
अक्टूबर 1
नवम्बर 2
दिसम्बर 3
अर्थात् यहां भी पुनरावृत्ति का सूत्र लागू होता है कि 9 के बाद अंकों की पुनरावृत्ति होने लगती है। इसीलिये नवें महिनें सितम्बर के पश्चात् पुनः अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर के अंक 1, 2 और 3 माने गए हैं।
5. वर्षांक :
इस अंक की प्राप्ति हेतु जन्म वर्ष के सभी अंकों का योग करना पड़ता है। जैसे किसी का जन्म वर्ष 1957 है तो उसका वर्षांक होगा 1+9=5+7 =22 अर्थात् 2 + 2 = 4 वर्षांक तथा भाग्यांक व्यक्ति की तस्वीर खींच देते हैं। वर्षांक से जातक के जीवन में घटने वाली घटना का किसी वर्ष विशेष पर प्रभाव देखा जा सकता है। यदि व्यक्ति के वर्षांक और भाग्यांक में समरूपता या सामंजस्य हो तो उसके जीवन में घटने वाली बातों के विषय में बहुत कुछ बतलाया जा सकता है।