एक ऑटो की अनोखी यात्रा
ऑटो की अनोखी यात्रा: एक सबक
आज मैं ट्रेन पकड़ने के लिए निकला था। मैंने एक ऑटो पकड़ा और उसमें बैठ गया। उसमें एक यात्री पहले से ही बैठा था। वह बार-बार ऑटो वाले को चिल्ला रहा था, “सही चला, सही चला!”
मैंने सोचा कि यह यात्री कितना चिंतित है। लेकिन तभी एक बाइक वाला आ गया और ऑटो वाले ने पूरा ब्रेक लगाकर उसे बचा लिया। उस यात्री ने फिर से चिल्लाना शुरू कर दिया, “सही से चला, सही से चला!”
ऑटो वाला अपनी सफाई देने लगा, “मैं तो सही से चला रहा हूं, आपको क्या दिख रहा है?” लेकिन उस यात्री ने उसकी बात नहीं सुनी।
तभी सामने से एक ऑटो आ गया और हमारे ऑटो वाले ने उसे बचाने के लिए ब्रेक लगाया। लेकिन ऑटो उससे टकरा गया और हमारे ऑटो को नुकसान पहुंच गया।
मैंने और उस यात्री के बीच बचाव किया और ऑटो वाले को समझाया कि धीरे चलना चाहिए। लेकिन उस यात्री ने फिर से चिल्लाना शुरू कर दिया, “सही से चला, सही से चला!”
एक महिला भी ऑटो में बैठी थी, जो उस यात्री के साथ चिल्लाने लगी, “सही से चलाव, सही से चलाव!”
मैंने ऑटो वाले को समझाया कि धीरे चलना चाहिए, क्योंकि एक्सीडेंट हो सकता है। ऑटो वाला धीरे चलने लगा और हमारी यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से जारी रही।
जब हम CNG भरवाने के लिए रुके, तो ऑटो वाले ने मुझे दिखाया कि ऑटो को कितना नुकसान पहुंचा है। उसने कहा, “अब 500 का खर्चा आ गया है।”
मैंने उसे समझाया कि कोई बात नहीं, जो हुआ जाने दो। लेकिन मैंने उसे यह भी कहा कि वह भी सही ड्राइविंग नहीं कर रहा था। उसकी उम्र भी 20 साल रही होगी और वह अनुभवहीन था।
मैंने उसे यह भी बताया कि मैं भी डर गया था जब ऑटो गिरने वाला था। लेकिन ऑटो वाले ने मेरी बात सुनी और उसने अपनी गलती स्वीकार की।
इस यात्रा से मुझे यह सीखने को मिला कि हमें कभी भी अपने गुस्से को नियंत्रित करना चाहिए और दूसरों की बात सुननी चाहिए।
इस ब्लॉग पोस्ट से हमें यह भी सीख मिलती है कि:
* सड़क पर हमेशा सावधानी से चलना चाहिए।
* हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए।
* हमें दूसरों की बात सुननी चाहिए।
* हमें अपने गुस्से को नियंत्रित करना चाहिए।
यह ब्लॉग पोस्ट उन लोगों के लिए एक सबक है जो अक्सर सड़क पर दूसरों को कोसते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि हर कोई इंसान है और गलती कर सकता है। हमें दूसरों के साथ धैर्य और समझदारी से पेश आना चाहिए।