बच्चों के लिए हरितक्यादि घृत
महर्षि वागभट्ट जी के द्वारा बताया गया बच्चों के लिए हरितक्यादि घृत –
बनाने की विधि
छोटी हरड़, काला नमक, यवक्षार, वायविडंग, त्रिकटु (सौंठ, काली मिर्च, छोटी पिपली), चित्रकमूल, हींग (घी में भुना हुआ) और कुटकी ये सभी समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना कर 250 ग्राम की मात्रा में लीजिए अब इसमें 1 kg गाय का घी और 1 लिटर गाय का दूध और 4 लिटर पानी डालकर मध्यम आंच पर पकाए जब पानी और दूध उड़ जाए और घृत मात्र शेष रह जाए तो छानकर रख लिजिए।
सेवन विधि – ये दवा 1 से 3 ग्राम की मात्रा से अथवा पाचन शक्ति के हिसाब से दूध के साथ सुबह – शाम देने से बच्चो के पेट में दर्द, पेट फूलना, गुदा का बाहर निकल जाना, श्वास फूलना, खांसी, विलंबिका रोग को नष्ट करता है।
विमर्श -विलंबिका” का अर्थ है एक प्रकार का अपच (अजीर्ण) जिसमें भोजन शरीर में सही ढंग से पच नहीं पाता है, बल्कि पेट के ऊपरी हिस्से में ही अटक जाता है।