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मम्मी, मुझे अंकल अच्छे नहीं लगते…

मम्मी, मुझे अंकल अच्छे नहीं लगते। मैं उनके पास नहीं जाउंगी।

 

“ऐसा नहीं बोलते – अंकल बड़े है। अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए।”

यह सुन कर – एक यौन शोषण का शिकार होती बच्ची अपने माँ से कुछ नहीं कह पाती। मम्मी कहती है – बड़े सही होते है। उनकी बात माननी चाहिए। शायद मेरी ही कुछ गलती है।

“मैं अपने ससुराल वालों की यातनाओ से तंग आ गयी हूँ। अब बस और नहीं झेल सकती। वो लोग राक्षसों से कम नहीं है।”

“बड़ों के लिए ऐसा नहीं बोलते बिटिया। अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए। ”

यह सुन कर – एक बेटी ससुराल की यातनाए सहती जाती है। जब तक के वो मर नहीं जाती या उसे मार नहीं दिया जाता। और फिर लड़की के माँ बाप अपनी छाती पीटते पूछते है – “हमसे कहाँ गलती हो गयी ?”

(पंजाब में ससुराल वालों ने महिला को प्रताड़ित और जहर दिया।)

पापा बहुत गंदे है। वो आपको इतना क्यों मारते है। मैं बड़ा हो कर पापा को मारूंगा। ”

“नहीं बेटा। पापा के लिए ऐसा नहीं कहते। अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए।”

यह सुन कर – अपने सामने रोज़ अपनी माँ को पिटता देखता एक नन्हा सा बच्चा बड़ा होते होते हिंसा को एक सामान्य चीज़ समझने लगता है।

तो इससे पहले के हम पूछे कि – “हमें बड़ों का सम्मान क्यों करना चाहिए?”

हमें पूछना होगा कि – “क्या हमें अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए?”

फिर आता है की ऐसा क्यों और क्यों नहीं करना चाहिए।

बचपन से सीखा है की बड़ों का सम्मान करना हमारे संस्कार है और यही हमारी सभ्यता। जबकि मैं मानती हूँ की सिर्फ बड़ों का ही क्यूँ, बल्कि छोटो का भी सम्मान करना चाहिए। जब तक कोई व्यक्ति (बड़ा या छोटा) कोई घृणित कुकर्म कर अपनी सम्मान किये जाने की योग्यता ना खो दे तब तक उसका सम्मान करना उचित है और शोभनीय भी।

तो मेरे अनुसार उन सब का सम्मान करना चाहिए जो सम्मान के योग्य हो।

सिर्फ उम्र सम्मान का पैमाना नहीं होना चाहिए। अगर कोई बड़ा कोई अशोभनीय या निंदनीय काम करता है तो ऐसे में उसका आदर करना क्यूंकि वो बड़ा है – कहा तक सही है ?

उम्र का अँधा सम्मान करने लगे तो हमारे बच्चे सभी आत्नकवादियों, भ्रष्ट नेताओं, और बुरे से बुरा कृत्य करने वाले का सम्मान करने लगेंगे – सिर्फ इसलिए क्यूँ की वो उनसे बड़े है।

योग्यता का सम्मान करे।

योग्य हो तो अपने से छोटो का भी सम्मान करे। और अयोग्य हो तो अपने से बड़ों का भी नहीं।

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