भगवान शिव के शिवलिंग पर जल चढ़ाना
भगवान शिव के शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि और महत्व
भगवान शिव के भक्त शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं, लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है, किस प्रकार चढ़ाना चाहिए, कौन-से बर्तन से जल अर्पित करना उचित है, और जल अर्पण करते समय कौन-सा मंत्र उच्चारित करना चाहिए। इस लेख में हम इन्हीं प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत कर रहे हैं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का कारण
समुद्र मंथन की कथा से हम सभी परिचित हैं। जब देवता और राक्षसों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें से भयानक विष निकला। इस विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, जिससे उनका शरीर अत्यंत गर्म हो गया और ज्वालाएं निकलने लगीं। उनकी यह गर्मी शांत करने के लिए देवताओं और भक्तों ने उन पर जल अर्पित किया। शिवजी की प्रसन्नता के लिए और संकटों को दूर करने के उद्देश्य से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा आरंभ हुई।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने की विधि
- जल की गति धीमी होनी चाहिए: जल चढ़ाते समय जलधारा पतली और निरंतर होनी चाहिए, क्योंकि शिवजी को जलधारा अत्यंत प्रिय है।
- मुँह की दिशा: जल चढ़ाते समय हमारा मुँह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि जलहरी (शिवलिंग के जल प्रवाह का मुख) हमेशा उत्तर दिशा की ओर होती है।
- जल चढ़ाने की क्रमबद्ध प्रक्रिया:
- सबसे पहले जलहरी के दाईं ओर जल चढ़ाएं (जहाँ गणेशजी का स्थान होता है)।
- फिर बाईं ओर जल अर्पित करें (जहाँ कार्तिकेयजी विराजते हैं)।
- दोनों के बीच अशोक सुंदरी का स्थान होता है, वहाँ जल अर्पित करें।
- जलहरी का गोलाकार भाग माता पार्वती का हस्तकमल माना जाता है, वहाँ जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
- यदि पात्र में जल शेष रह जाए तो उसे शिवजी के ऊपर स्थित कलश में डाल दें।
शिवलिंग के प्रकार और जल अर्पण की स्थिति
- शक्ति शिवलिंग: जिन शिवलिंगों की जलहरी भूमि से जुड़ी होती है, वे शक्ति शिवलिंग कहलाते हैं। इन पर जल बैठकर चढ़ाना चाहिए।
- विष्णु शिवलिंग: जिन शिवलिंगों की जलहरी भूमि से ऊपर उठी होती है, वे विष्णु शिवलिंग कहलाते हैं। इन पर खड़े होकर जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते समय दायाँ पैर आगे और बायाँ पैर थोड़ा पीछे रखना चाहिए।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए उपयुक्त बर्तन
- तांबे या चांदी के बर्तन से जल चढ़ाना सबसे उत्तम माना जाता है।
- स्टील के बर्तन से जल चढ़ाना उचित नहीं है, क्योंकि स्टील लोहे से बना होता है, जो शिवपूजन में वर्जित है।
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय उच्चारित किया जाने वाला मंत्र
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च।
नमः शंकराय च मयस्कराय च।
नमः शिवाय च शिवतराय च।।
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन के संकटों को दूर करने के लिए शिवलिंग पर विधि-विधान से जल अर्पित करना चाहिए। उचित विधि से अर्पण करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।