भांग खाने से या भांग पीने से वात रोग हो जाता है
Que: क्या भांग खाने से या भांग पीने से वात रोग हो जाता है शरीर में भारीपन रहना, शरीर में अकड़न रहना, जोइंट में दर्द होना यह सब भांग की अल्प मात्रा खाने से होता है क्या कृपया समाधान करावे
Dr Ved Prakash : मेरे प्यारे दोस्तों !जहां तक मैंने सुना है बुजुर्गों किए कहावत है अति सर्वत्र वर्जते अर्थात किसी भी चीज का ज्यादा सेवन हानिकारक ही होता है। वैसे तो भांग एक नशीला पदार्थ और आयुर्वेदिक औषधि छोड़कर, यह पहाड़ों का एक बहुत बड़ा भोजन भी हुआ करता था। पहाड़ों में इसको बोया ही इसलिए जाता है भोजन के तौर पर।
बहुत पहले जब भारत बहुत गरीब देश था तब पहाड़ों के गांवों की हालत बहुत ही दयनीय होती थी, बहुत गरीबी थी वहां पर रोजगार के कोई साधन नहीं होते थे। पैसा तो देखने को भी नहीं मिलता था।जो खेतों में बोया और उगाया जाता था उसी से अपना पेट भरते। अब यहां पर मैं बताती हूं कि वहां के लोग भांग का उपयोग कैसे करते थे।
जब भांग तैयार होती है तो यह पीला पड़ने लग जाता है। वैसे तो भांग के पौधे में जड़ से लेकर उसके छोर तक एक चिपचिपा पदार्थ रहता है वही चीज नशीली होती है। गांव के लोग भांग के डंडे को या भांग के बीजों को हथेली में रगड़ ते हैं और वह जो चिपचिपा पदार्थ है हाथों में चिपक जाता है। वही चिपचिपा पदार्थ नशा करने के यहां औषधि के काम आता है। मेरी विचार से भाग खाने या भाग पीना हानिकारक तो होगा ही होगा साथ ही साथ और भी कई तरह नुकसान हो सकते हैं। देखीए एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। अगर भांग हानिकारक है तो वहीं दूसरी ओर फायदेमंद भी है।अब आप कौन से पहलू का प्रयोग देखना चाहते हैं,यह आपकी मर्जी….
वैसे तो भांग के बीजों की बहुत ही स्वादिष्ट चटनी होती है।
भांग के बीज और थोड़ा सा जीरा एक कढ़ाई में रोस्ट कर लेते हैं। उसके बाद इसमें लहसुन हरा धनिया, रोस्ट की हुई खड़ी लाल मिर्च नमक डालकर सिल पट्टे में बारीक फीस लेते हैं। गांव के लोग इसे बहुत ज्यादा पसंद करते हैं और इसको मडुवे की रोटी में रखकर खूब चाव से खाते हैं। मंडुवे की रोटी और भांग की चटनी वहां का फेवरेट फूड है।
दूसरा फूड है भांग के बीजों का भंगजोव। इनके बीजों को सिल – पट्टे में महींन करके पीसा जाएगा, और उसके बाद थोड़ा सा ऑयल डालकर कढ़ाई में भुजा जाएगा, फिर इसमें नमक मिर्च डालकर और पानी डाल दिया जाएगा इसकी तरी बना दी जाएगी उसके साथ लोग रोटी चावल खाते थे।
और इन बीजों को लोग महीन पीसकर के अरबी की सब्जी में भी डालते हैं बड़ी ही टेस्टी सब्जी होती है। बीजों में कोई भी नशा नहीं होता है इस को यूज करने से पहले अच्छे से साफ कर लिया जाता है रगड़ रगड़ कर।
भांग के पौधे की जो लकड़ी होती है उसमें से लोग उसकी छाल निकालकर रसिया भी बनाते थे। और कोई – कोई उन राशियों को बेचकर पैसा भी कमाता था। जो रस्सीयां होती थी वह जानवरों को बांधने के काम भी आती थी, और जंगल से घास लकड़ी बांध कर लाने के काम में भी आती थी।
और जो भांग के पौधे की लकड़ी होती है वह आग जलाकर खाना बनाने के काम भी आती हैं। लोग लकड़ी को मसाल बनाने के काम में भी लाते हैं।और रोस्ट किए हुए भांग के बीज में, बीज की मात्रा के बराबर ही नमक मिलाकर और लाल मिर्च मिलाकर उसको बढ़िया से सिल में पीसकर उसे 1 सीसी में भरकर फ्रिज में रख दो और उसे अपने खाते समय उपयोग में लाओ। बहुत ही टेस्टी नमक बनता है। आप सलाद के ऊपर छिड़क कर खाओ या किसी भी फ्रूट के ऊपर छिड़ककर खाओ बहुत ही स्वादिष्ट नमक होता है। अगर पॉजिटिव सोचो तो यह बहुत ही गुणकारी पौधा है।
Dr Jyoti : भैया जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद प्रश्न पूछने के लिए। अगर आपको वात रोग है तो गलती से भी आपको भांग खाना अथवा पीना नहीं चाहिए। और अपने नजदीकी चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए वह आपको एक सही दिशा और निर्देश दे सकते हैं
वैसे तो भगवान शिव को भाँग अतिप्रिय है.. हर शिव मंदिर में शिवलिंग पर भांग का लेप लगाया जाता हैं… जो शिवलिंग के क्षरण को रोकता हैं…भगवान शिव को केवल भांग ही नही पसंद अनेक वनस्पतियां उनकी प्रिय हैं और वो हर वनस्पति अपने आप मे अद्भुत ओर चौकाने वाली हैं…।।
भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है…..भांग के मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों से #गांजा तैयार किया जाता है……भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को #चरस कहते हैं….।
भांग की खेती प्राचीन समय से ही भारतवर्ष में की जाती रही है ….ईसकी खेती करने वाले को पुराने समय में #पणि’ कहते थे..।
अगर आपको कहें कि भांग के पौधे से कपड़े ,प्लास्टिक, कागज, बिल्डिंग मटेरियल,और #बायोडीजल भी तैयार किए जाते हैं, तो कम लोग ही विश्वास करेंगे? पर यह सच है।…..लगभग 8 हजार पूर्व चीनियों ने भांग से कपड़े बनाने की विधि को विकसित कर लिया था ….वर्तमान में चीनियों ने इससे बने कपड़ों का उपयोग फैशन के लिए शुरू किया….. यही नहीं, भांग के पौधों से जूते और जीन्स भी तैयार किए जाते हैं……करीब 2 हजार वर्ष पूर्व से इस पौधे का इस्तेमाल #कागज बनाने के लिए होता रहा है….. इसका उत्पादन भले ही कम हो, लेकिन इस कागज की खासियत यह है कि रिन्यूबल होता है…… भांग के पौधे से बिल्डिंग मैटेरियल भी बनाए जाते हैं…..नीदरलैन्ड और आयरलैन्ड में कम्पनियां इन पौधों से बिल्डिंग मैटेरियल जैसे फाइबर बोर्ड, प्रेस बोर्ड और हेम्पक्रीट जैसे प्रोडक्ट्स का उत्पादन करती हैं….।
40 के दशक में कार निर्माता कम्पनी #फोर्ड ने भांग के पौधे से बनी प्लास्टिक से एक प्रोटोटाइप कार बनाने में सफलता हासिल की थी…… हालांकि इस कार को कभी बाजार के लिए नहीं उतारा गया……. कमेंट फोटो देखे जिसमे हेनरी फोर्ड इस कार पर कुल्हाड़ी से वार करते दिखाई पड़ रहे हैं..।
इसके बीजों के अनेक उपयोग आज भी पहाड़ी लोग जानते है, वे इसके बीजों की चटनी???????? बड़े चाव से खाते है….इस पौधे के जड़ और बीज में मौजूद तेल से बायोडीजल बनाया जा सकता है…..पर दुर्भाग्य से यह पौधा इतना #कुख्यात है कि इस योजना पर कोई भी देश या प्रशासन ठीक से अमल नहीं कर रहा…।
भांग इस पृथ्वी पर पाया जाने वाला एकमात्र ऐसा पादप है जो नयी मस्तिष्क कोशिकाओं के बनाने की प्रक्रिया आरंभ करने की क्षमता रखता है…
मंदरमंथानाज्जलनिधौ, पीयूषरूपा पूरा,
त्रैलोक्यई विजयप्रदेती विजया, श्री देवराज्ज्प्रिया,
लोकानां हितकाम्या क्षितितले, प्राप्ता नरैः कामदा,
सर्वातंक विनाश हर्षजननी, वै सेविता सर्वदा।
#अथर्ववेद में जिन पांच पेड़-पौधों को सबसे पवित्र माना गया है उनमें भांग का पौधा भी शामिल है. इसके मुताबिक भांग की पत्तियों में देवता निवास करते हैं. अथर्ववेद इसे ‘प्रसन्नता देने वाले’ और ‘मुक्तिकारी’ वनस्पति का दर्जा देता है. आयुर्वेद के मुताबिक भांग का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है. सुश्रुत संहिता, जो छठवीं ईसा पूर्व रची गई, के मुताबिक पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने और भूख बढ़ाने में भांग मददगार होती है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल इतना आम है कि 1894 में गठित भारतीय भांग औषधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इसे ‘आयुर्वेदिक दवाओं में #पेनिसिलीन’ कहा था….।।
#औषधीय_लाभ
भांग में इंफ्लैमेटरी तथा एनेलजेसिक केमिकल्स होते हैं…..जिसके शरीर के दर्द में तुरंत आराम मिलता है….एक सीमित मात्रा में भांग का प्रयोग करने से मांसपेशियों का दर्द, आर्थराइटिस (गठिया) के दर्द में तुरंत राहत मिलती है…….बहुत तेज बुखार होने पर थोड़ी सी भांग पीने से शरीर का तापमान सामान्य होकर फीवर उतर जाता है……#सेक्सुअल प्रॉब्लम्स (जैसे प्राइवेट पार्ट में उत्तेजना न होने, यौन इच्छा कम होना आदि) होने पर भी आयुर्वेद में भांग का सेवन बताया जाता है……किसी भी तरह की चिंता, अवसाद तथा डिप्रेशन संबंधी बीमारियों को दूर करने के लिए भांग के सेवन रामबाण उपाय है……यदि किसी कारण से भूख लगना बंद हो गई हो तो सीमित मात्रा में भांग का सेवन काली मिर्च के साथ करने से भूख बढ़ जाती है…..लगातार सिर में दर्द रहने पर भांग की पत्तियों के रस का अर्क बनाकर दो-तीन बूंद कान में डालने से सिरदर्द हमेशा के लिए चला जाता है…..मानसिक संतुलन खोने पर भांग में हींग मिलाकर सेवन करवाई जाती है…..भांग के नियमित सेवन से कैंसर से शरीर में हुए घाव भी जल्दी ठीक हो जाते हैं..।
#सावधानियां
….डायबिटीज के रोगियों, हार्ट पेशेंट्स, गर्भवती महिला, बच्चों तथा बुजुर्गों को भांग का सेवन नहीं करना चाहिए…।
#शोधकार्य
उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में पंतनगर सीमैप के वैज्ञानिकों की टीम ने #कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज का फॉर्मूला भांग में ढूंढ निकाला है. वैज्ञानिक भांग में पाए जाने वाले औषधीय तत्व टीएचसी-ए, सीबीडी व कैनाविनायड युक्त भांग की प्रजाति विकसित करने में जुटे हैं और उन्हें सफलता भी हाथ लगी है….यानि अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जल्द ही भांग से निकलने वाले औषधीय तत्वों से कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों के लिए कारगर दवाइयां बन सकेंगी….।
भांग की खेती बिना शासन की अनुमति करना…क़ानूनी अपराध है।।
RJ : इस ग्रुप में प्रश्न पूछने के लिए सबसे पहले मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा साथ ही साथ यह बताना चाहूंगा कि किसी भी चीज का उपयोग किसी की निगरानी में ही करें तो अच्छा रहेगा। जहां तक मैं समझता हूं कि भांग खाने अथवा पीने से वात रोग के साथ-साथ कई अन्य रोग भी आपको हो सकते हैं। मैं इसका एक अनुभव बताता हूं।
भाई साहब बिल्कुल इमानदारी से जवाब दे रहा हूं हां मैंने भी इसे एक बार खाई है सबसे पहले मैं उसके गुणों की विवेचना करूंगा इसे खाने के बाद यदि आप हंस रहे हैं तो लगातार हंसते रहेंगे यदि रो रहे हैं तो लगातार रोते रहेंगे यदि एकदम चुप शांत रहेंगे तो शांत रहेंगे और दूसरे लोगों को लगेगा डिप्रेशन में आ गया पर ऐसा होता नहीं है असल में इंसान जिस अवस्था में होता है उसी अवस्था में लंबे समय तक रहता है भांग खा लेने के बाद भूख भी अच्छी खासी लगती है और हम साधारण से अधिक भोजन ग्रहण करते हैं, तो श्रीमान हुआ यू कि शिवरात्रि आई और मैंने अपने दोस्तों के साथ शिवमंदिर घूमने का प्लान बनाया फिर निकल पड़े सुबह 6:00 बजे शिव मंदिर, मैं देहरादून में रहता हूं यहां का कुठाल गेट शिव मंदिर बहुत मशहूर है हर शिवरात्रि कम से कम 100000 श्रद्धालु यहां आते हैं और यहां सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ भांग के पैकेट भी प्रसाद के रूप में मिलते हैं, वहां पहुंचने के बाद मैंने भगवान शिव के दर्शन किए और आगे बढ़े हमें केले सेब संतरे बेर सब कुछ प्रसाद मे मिला और साथ में मिला भोले बाबा का खास अमूल्य प्रसाद भांग की थैली फिर हम सब मंदिर से बाहर आए उसके बाद मेरे सभी दोस्तों ने भांग की थैली खोली और पी गए मैं उन सभी के चेहरे देख रहा था उन्होंने भांग पीने के बाद मेरी तरफ देखा कहने लगे तेरे को क्या हुआ तू क्यों नहीं पीता मैंने जिंदगी में कभी भांग नहीं पी थी मैंने कहा मैं नहीं पियूंगा इससे नशा हो जाता है उन्होंने कहा भोले बाबा के दरबार में आया है और भोले बाबा का प्रसाद नहीं पिएगा तू कैसा आदमी है उन्होंने मेरे को भोले बाबा का वास्ता देकर मेरे को भांग पीने पर मजबूर कर दिया फिर क्या था उसके बाद मैंने भी पहली बार भोले बाबा का प्रसाद ग्रहण किया फिर मेरे दोस्त मुझको देख कर हंसने लगे मैं भी उन्हें देखकर हंसा मैंने उनसे पूछा क्या हुआ उन्होंने कहा कुछ नहीं इतना कहकर वह बोले चलो थोड़ा घूमते हैं उसके बाद हम सब लोग आसपास के जंगलों में घूमने चले गए तकरीबन आधे घंटे के बाद मेरे को भांग का नशा शुरू हो गया क्योंकि मैं पहले से हंस रहा था मेरी हंसी नॉनस्टॉप हो गई और मुझे कोई हंसने से रोक नहीं पा रहा था फिर हमने एक रेस्टोरेंट में जाकर समोसे जलेबी खाई और चाय पी इसके बाद हम बस में बैठ कर वापस घर को रवाना हो गए वहां से वापस आकर एक-एक करके सभी लोग अपने अपने घर चले गए जब मैं अपने घर से कुछ ही दूरी पर था तो मैं सोच रहा था आज जरूर पिटुंगा जैसे ही मैं घर के गेट के नजदीक पहुंचा मेरे पिताजी मुझे घर के अंदर से ही घूर के देखने लगे उन्होंने मेरी आंखें पढ़ ली थी नशे के वजह से मुझे बेइंतेहा हंसी आ रही थी, पिताजी को देखते ही ना जाने क्यों मेरी हंसी दोगुनी हो गई मैं और जबरदस्त तरीके से हंसने लगा उन्हें पूरा विश्वास हो गया साला जरूर भांग पी कर आया है उन्होंने हमेशा घर में पड़ा रहने वाला साडे 3 फुटा लठ उठाया और मुझे पीटने के लिए मेरी और भागे उनके हाथ में लठ देखते ही मैं उल्टे पांव भागा क्योंकि मुझे बहुत हंसी आ रही थी और मेरा शरीर नशे से झूम रहा था, मैं घर के नजदीक ही गिर पड़ा मुझे भयंकर हंसी आ रही थी और पिताजी लठ लेकर नजदीक आ रहे थे और हंसी के मारे में उठ नहीं पा रहा था पिताजी तकरीबन मेरे नजदीक आ गए थे मैंने अपने शरीर की पूरी ताकत लगाकर किसी तरह से उठा और भाग गया पिताजी भी काफी दूर तक मेरे पीछे दौड़े पर शायद आस पड़ोसी ना देख ले इसलिए उन्होंने मेरा पीछा करना बंद कर दिया और घर चले गए उस समय शाम के 4:00 बज रहे थे मैं भाग के वापस अपने दोस्तों के पास चला गया और रात के तकरीबन 12:30 बजे मेरे दोस्त वापस मुझे घर छोड़ कर चले गए मुझे अभी भी हंसी आ रही थी पर मेरे घर वालों ने मुझे कुछ नहीं कहा और घर में आने दिया पहले मुझे भरपेट खाना खिलाया उसके बाद मेरे से पूछा कि तूने भांग क्यों पी मैंने उन्हें सारा किस्सा सुनाया लेकिन मुझे बहुत हंसी आ रही थी 😁😁😁😁😁😁😁 एक बार फिर मेरे पिताजी को गुस्सा आ गया उन्होंने एकाएक मुझे लात घुसो से पीटना शुरू कर दिया पर मुझे पता ही नहीं चल रहा था कहां से कैसे किस दिशा से लात घूंसे बरस रहे हैं मैं लगातार हंसता ही जा रहा था 🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣पिताजी ने अपनी कसर पूरी कर लेने के बाद मुझे बक्श दिया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने को चला गया मैं लगातार हंस ही रहा था पर मैं काफी थक भी चुका था ना जाने कब नींद आ गई अगली सुबह उठा तो मेरा सिर बुरी तरह से घूम रहा था और दर्द हो रहा था हालांकि मेरी हंसी बंद हो गई थी पर मेरा यह सिरदर्द अगले तीसरे दिन तक रहा उस दिन के बाद से मैं शिव मंदिर तो कई बार गया परंतु मैंने भांग कभी नहीं पी।