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दिमागी लक्षण पर  होम्योपैथिक …

दिमागी लक्षण पर  होम्योपैथिक काफी तेजी से काम करती है।

होमियोपैथिक चिकित्सा जगत से जुड़े सभी लोग इस बात से पूर्ण परिचित हैं कि रोगी का मानसिक लक्षण चिकित्सीय दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होता है। इसीलिये डा० जे० टी० केन्ट ने अपनी लोकप्रिय रिपर्टरी के निर्माण में मानसिक लक्षणों का स्थान सर्वोपरि रखा है। सुप्रसिद्ध चिकित्सक और विद्धान Dr. P. N. Banerjee ने तो स्पष्ट रूप से लिखा है कि “Mind is the body.” अर्थात मन ही तन है। होमियोपैथी का भी मानना है कि व्यक्ति का मन पहले रोगग्रस्त होता है और फिर बाद में उसका प्रभाव उसके भीतरी व वाहरी अंगों पर पड़ता है। इन्हीं तथ्यों की पुष्टि करते हुये होमियोपैथी का आधारिक सिद्धान्त भी कहता है कि “Treat the patient, not the disease.”

 

चिकित्सीय दृष्टिकोण से जब हम किसी रोगी के लिये दवा का चुनाव उसके अंदर के मानसिक लक्षणों को आधार मानकर करते हैं. तो होमियोपैथिक औषधियाँ अपना चमत्कारिक प्रभाव दिखाने लगती है। आधुनिक चिकित्साशास्त्रियों और विद्धानों में Dr. Rajan Sankaran, Dr. Jan Schotan, Dr. M. L. Sehgal, Dr. Yogesh Sehgal एवं Dr. A. S. Mann का नाम कदापि नहीं भूला जा सकता है, जिन्होंने रिपर्टरियों में वर्णित मानसिक लक्षणों का आन्तरिक अर्थ और सरल व्याख्या करके एक दुरूह कार्य को काफी सरल और अनुकरणीय बना दिया। इस क्षेत्र में तो Dr. M. L. Sehgal Revolutionised Homoeopathy द्वारा एक नई धारा की ओर संकेत किया है जिसे Rediscovery of Homoepathy नाम दिया है।

 

डा० सहगल का मानना है कि कोई भी मनुष्य का मन कभी भी किसी Mental State का नहीं होता है चाहे वह रोगी की अवस्था में हो या स्वस्थ अवस्था में हो। यह इस बात की सूचना देता है कि किसी निर्दिष्ट समय में रोगी के अंदर जो मानसिक लक्षण हैं वह उसके अंदर Present Mental State का निर्माण करता है जो इसके शरीर के अंदर के order या discover, जो भी हो रहा है, का प्रतिनिधित्व करता है। रोगी जब किसी चिकित्सक के क्लीनिक में आता है तो स्वंय को प्रदर्शित करने के लिये वह दो चीजें बोलता है। वह अपना हाव भाव (Gesture) भी प्रकट करता है। चिकित्सीय दृष्टिकोण से ये सारी चीजें काफी महत्वपूर्ण हैं। अतः हमें उनके द्वारा व्यक्त किये ये वक्तव्यों और हावभाव पर पैनी दृष्टि रखते हुये उसे लिखते जाना है। बाद में उन लक्षणों में से हमें उन लक्षणों को चुन निकालना है जो रोगी के अंदर Predominant और Persisting हैं। इसीलिये Dr. Sehgal & Persisting (PPP) Mental State पर दवा चुनाव करने की बात कही है।

 

आये दिन रोगी चिकित्सक के क्लीनिक में अपनी व्यथा व्यक्त करने के संदर्भ में कई मानसिक लक्षणों को भी बोल जाता हैं परन्तु मानसिक लक्षणों की ओर से अनभिज्ञता और पैनी दृष्टि के अभाव में इसे हम नजरअंदाज कर जाते हैं। यथा-

 

रोगी अक्सर कहता है कि:

“बहुत दिन दवा खाते हुये हो गया डाक्टर साहब, और अभी मुझे कुछ फायदा नहीं हुआ, ■ कितना दिन मुझे इंतजार करना होगा ?” और

 

डाक्टर साहव अभी तक कुछ भी तो आराम होना चाहिये:

जिससे मेरा विश्वास बढ़ता ” ३. “डॉक्टर साहव इसके पहले तो आप इतना समय नहीं लेते थे। इसी तरह के अनेक कठिन रोगों को इलाज तो आपने बहुत कम समय में ही कर दिया था। अभी इस छोटी सी विमारी के लिये आप इतना समय ले रहे हैं?”

रोगी द्वारा व्यक्त उपरोक्त तीनों वक्तव्यों में एक ही स्पष्ट मानसिक लक्षण दृष्टिगोचर हो रहा है “Fear extravegance oft जिसकी एक मात्र औषधि Kent Repertory के आधार पर “opium” है।

 

रोगी के दूसरे वक्तव्य को देखें:

डाक्टर साहब अपनी विमारी की वजह से मेरे मन में एक विचार आता है कि अगर मैं मर जाऊँगा तो मेरे बच्चों के साथ क्या होगा? मेरे बाद उनकी देखभाल करने वाला कोई नही है। वे लोग इतने छोटे और निर्दोष हैं कि उन्हें किसी के प्यार एवं स्नेह की जरूरत है। ये विचार मेरे मन में काफी उग्रता से तर्क करता है कि मैंने कभी किसी का कुछ विगाड़ा नही तो मुझे और मेरे बच्चों के लिये यह दुःख क्यों ?” में रोगी के इस वक्तव्य में निम्रमानसिक लक्षण देखे जा सकते हैं- Anger touched when, Anxiety for others, तथा Complaining.

 

एक तीसरा रोगी आता है और कहता है कि- “डाक्टर साहव”:

बाहर जा रहा हूँ। अगर वहाँ मेरा रोग बढ़ जायेगा तो मुझे विश्वास है मैं वहाँ उसकी व्यवस्था नहीं कर सकूंगा, इसलिये आप से मेरा आग्रह है कि मुझे कुछ दवा वगैरह दे दीजिये ताकि जरूरत पड़ने पर विकट समय में दवा का सेवन कर सकूँ। इस वक्तव्य में रोगी का एक लक्षण स्पष्ट दिख रहा है- “Anticipation, Complaints, from.”

 

एक सर्दी और बुखार से पीड़ित रोगी आता है और कहता है- डाक्टर साहब, मैं इस पीड़ा से पिछले ५-६ दिनों से पीड़ित हूँ। पहले तो मैने स्वयं ही ठीक हो जाने का प्रयास किया, परन्तु अब आपके इलाज की आवश्यकता महसूस करता हूँ। एक सप्ताह पूर्व मेरे अधिकारियों ने मेरी गलतियों के लिये काफी फटकार लगायी थी, जिससे मैं काफी आहत हुआ हूँ। मेरे नाक बहने की वजह से संगी साथी के बीच काफी घबराहट महसूस करता हूँ।”

रोगी द्वारा व्यक्त उपरोक्त वक्तव्य में निम्न तीन लक्षण स्पष्ट दीख रहा है:

  • Delusion help calling for
  • Admonition agg.
  • Embarrassment, ailments from.

 

एक बावासीर का रोगी क्लीनिक आता है चिकित्सक से अपनी व्यथा कुछ इस प्रकार व्यक्त करता है- “मैं अपने रोग की चिन्ता नही करता हूँ, मैं डरता हूँ कि यह बढ़ न जाये । इसीलिये मैं आपके पास आया हूँ। जब कोई मेरे व्यथा पर नजर देता है तो मैं काफी शर्म महसूस करता हूँ इसी वर्त्तमान व्यथा की वजह से मैं  Disgust की स्थिति में हूँ ।”

 

रोगी द्वारा व्यक्त उपरोक्त शब्दों में निम्न मानसिक लक्षण स्पष्ट दीख रहे हैं:

11 Indifference to Suffering Fear extravagance of — Indignation general discomfort from. उपरोक्त प्रकार के अनेक वक्तव्य रोगी द्वारा दिये जाते हैं परन्तु हम चिकित्सक बन्धु उसे तरजीह न देकर काफी भूल कर रहे हैं। आज Dr. M. L. Sehgal की पद्धति पर चिकित्सा का अनेक तरूण तथा जीर्ण रोगों को काफी सफलता पूर्वक ठीक कर रहे हैं। इस पद्धति को बढ़ावा देने के क्रम में बीच बीच में कुछ सेमीनार का आयोजन तथा स्थानीय चिकित्सकों का एक साथ बैठकर आपसी विचारों को – आदान-प्रदान तथा इस पद्धति पर चर्चा करना काफी समीचीन होगा। इस पद्धति द्वारा अधिकतम सफलता के लिये पंजाब के अनेक चिकित्सकों ने मिलकर एक Study Circle की स्थापना की है, जिसमें सप्ताह में एक बार सभी चिकित्सक मिल बैठकर आपसी विचार विमर्श करते हैं, अपनी सफलता-असफलता की कहानी करते हैं तथा आगे की रणनीति के लिये काफी पैनी निगाह रखते हैं।

 

डा वेद प्रकाष
इलेक्ट्रो होम्योपैथिक -एमडी
नवादा बिहार
मोबाइलः 87098 71868

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