दांतों की आयुर्वेदिक देखभाल–
दांतों की आयुर्वेदिक देखभाल–
जबसे भारत में टूथ पेस्ट और ब्रश आया दांतों की समस्याएँ भी बहुत बढ़ गयी . आज ९० % लोगों को किसी ना किसी प्रकार की दांतों की समस्या है ; फिर भी वे नहीं सोचते के उनकी दिनचर्या में क्या कमी है . किसी भी दूकान या मॉल में देखे तो कोलगेट , पेप्सोडेंट ही भरे हुए है . फिर भी बच्चों की दांतों में पहले केविटी होती है , फिर उसे भरवाते है , फिर अगली बार और अधिक भरवाते है फिर RCT ; फिर एक दिन वो दांत गिर जाता है ; फिर उसकी जगह नकली दांत आ जाता है . मसूढ़ों की , मूंह में बदबू की और प्लाक की समस्या आम है जिसके लिए लोग डेंटिस्ट के पास जा कर सफाई करवाते है . क्या ये टूथ पेस्ट काफी नहीं है सफाई के लिए ? उलटे ये हमें खतरनाक रोग देती है क्यों की इसमें होता है सोडियम लोराइल सल्फेट या फ्लोराइड . क्या दांतों को बाहर से केल्शियम लगाने पर मिल जाएगा जो आजकल टूथ पेस्ट में केल्शियम डालते है जो अधिकतर जानवरों की हडियों के चूरे से आता है .
- रात को सोते समय नर्म ब्रश से दिव्य दन्त कान्ति टूथ पेस्ट से ब्रश करें .कभी भी बिना ब्रश किये ना सोये .
- सुबह उठते ही पानी पिए .
- फिर किसी अच्छे दन्त मंजन से दांतों और मसूढ़ों में मालिश करे . इसे ५- १० मी .लगा रहने दे और चाहे तो थूकते रहे . फिर अच्छे से गरारे कर धो ले .इससे धीरे धीरे प्लाक भी निकल जाएगा .
- उंगलियों से मसूड़ों की मालिश का कोई विकल्प नहीं है. अगर मसूड़े मजबूत हैं, तो दांत स्वतः ही सुरक्षित रहेंगे. आधुनिक दंतमंजन में कृत्रिम शक्कर, महक और कैंसरज रसायनों का भरपूर उपयोग होता है जो किसी के लिए भी लाभकारी नहीं हैं (सिवाय कुछ उद्योगपतियों को छोड़कर). मसूढ़ों की सूजन, पायरिया, श्वास में दुर्गन्ध आदि कई रोग इस दन्त मंजन से ठीक हो सकते हैं.
- दिव्य दन्त मंजन में बबूल ,नीम ,बकुल (मौलसिरी ),तुम्बरू , मायफल , पिपली , अकरकरा ,लौंग ,स्फटिक भस्म ,पुदीना , नमक , कपूर जैसी कई लाभदायक औषधियां है . ये हकलाने में भी लाभदायक होगी .और अगर थोड़ी मात्रा में पेट में भी गयी तो नुक्सान नहीं बल्कि लाभ ही देंगी .
- हमेशा मध्यमा से मंजन करे . तर्जनी से एक प्रकार की ऊर्जा निकलती है जो दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है .
- भोजन या कोई भी पदार्थ खाने के बाद गिन कर 11 बार जोरदार कुल्ले किया करें।
- अधिक गर्म या अधिक ठण्डे पदार्थों का सेवन न किया करें जैसे गर्म-गर्म चाय पीना या बहुत गर्म भोजन (चपाती व दाल शाक आदि) करना, फ्रीज का पानी या अन्य ठण्डे पेय पीना या आइसक्रीम खाना।
- कोई गर्म पेय या पदार्थ पी-खाकर तुरंत ठंडी चीज ठण्डे पेय का सेवन न करें।
- खाने को २८ बार चबाये .इतना चबाये की रस बन जाए . (आजकल अधिकतर ३२ दांत तो होते नहीं ; २८ होते है ! )
- पेय पदार्थ जैसे पानी , दूध या कोई ज्यूस को धीरे धीरे पिए .यानी के ” ठोस पदार्थों को पिए और पेय पदार्थों को खाए .”
- ज़्यादा मीठी चीज़ें खाने या पिने से दांतों का केल्शियम घुल जाता है .
- बचपन से ही कड़ी चीज़ें चबाने को दे जैसे चने , दाने ,गन्ना ,सलाद ,फल . इससे दांतों और जबड़ों की कसरत होती है .
- नस्य लेने और कपालभाती प्राणायाम करने से केल्शियम का एब्ज़ोर्प्शन अच्छा होगा .
- विको वज्रदंती या त्रिफला या नमक सरसों का तेल या गौशाला में बना काला दन्त मंजन भी बहुत अच्छा होता है .
- सिंहासन , शीतली शीतकारी प्राणायाम भी दांतों और जबड़ों के लिए अच्छे है .
- अगर ये सब किया तो बहुत की कम मामलों में हमें डेंटिस्ट के पास जाना पडेगा .