धर्मराज दशमी आज, करें ये विशेष उपाय
धर्मराज दशमी आज, करें ये विशेष उपाय
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चैत्र नवरात्र की दशमी तिथि को कुछ विशेष उपाय करके घर में हो रही दुखद घटनाओं को रोक सकते हैं। अकाल मौतें, दुर्घटनाएं, बीमारी आदि दिक्कतों को समाप्त कर सकते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। भगवान धर्मराज यमराज का मानसिक पूजन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। बता रहे हैं कुछ उपाय…
नहीं आएगी परिवार में विपदा
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परिवार में ज्यादा बीमार लोग हैं। जल्दी-जल्दी मृत्यु होती है। शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन कुछ उपाय करें।
यमराज का मानसिक पूजन
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दशमी तिथि के स्वामी यमराज मृत्यु के देवता हैं। भगवान धर्मराज यमराज का मानसिक पूजन कर घी की आहुति दें।
दीर्घायु, आरोग्य और ऐश्वर्य मिलेगा
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हवन में घी से आहुति डालें इससे दीर्घायु, आरोग्य और ऐश्वर्य तीनों की वृद्धि होती है। विष्णु धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया है |
घर में तकलीफ है तो जरूर आहुति डालें
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वो जरूर आहुति डालें जिनके घर में तकलीफ है और डालते समय स्वाहा बोलें। जो आहुति न डालें तो वो नम: बोलें |
आहुति डालते समय ये मंत्र बोलें
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ॐ यमाय नम:
ॐ धर्मराजाय नम:
ॐ मृत्यवे नम:
ॐ अन्तकाय नम:
ॐ कालाय नम:
जल्द ही न समाप्त कर दें हवन
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परिवार में पूजन के समय अनुष्ठान में शीघ्रता न दिखाएं। मंत्र बोलते हुए हवन करें। ज्यादा देर तक आहुति डालें तो अच्छा।
धर्मराज दशमी की कहानी
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पुराणों में धर्मराज की कई कथाएं मिलती हैं। उनमें से एक कथा ज्यादा प्रचलित है। कहते हैं कि एक ब्राह्मणी मृत्यु के बाद यम के द्वार पहुंची। वहां उसने कहा कि मुझे धर्मराज के मंदिर का रास्ता बताओ। एक दूत ने कहा कि कहां जाना है? वह बोली मुझे धर्मराज के मंदिर जाना है। वह महिला बहुत दान-पुण्य वाली थी। उसे विश्वास था कि धर्मराज के मंदिर का रास्ता अवश्य खुल जाएगा। दूत ने उसे रास्ता बता दिए। वहां देखा कि बहुत बड़ा-सा मंदिर है। वहां हीरे-मोती जड़ती सोने के सिंहासन पर धर्मराज विराजमान हैं और न्यायसभा ले रहे हैं। न्याय नीति से अपना राज्य सम्भाल रहे थे। यमराज सबको कर्मानुसार दंड दे रहे थे। ब्राह्मणी ने प्रणाम किया और बोली मुझे वैकुण्ठ जाना हैं। धर्मराजजी ने चित्रगुप्त से कहा इसका लेखा–जोखा सुनाओ। चित्रगुप्त ने लेखा सुनाया। सुनकर धर्मराजजी ने कहां तुमने सब धर्म किए पर धर्मराजज की कहानी नहीं सुनी। वैकुण्ठ में कैसे जाएगी?
महिला ने पूछा, “धर्मराजजी की कहानी के क्या नियम हैं?” धर्मराजजी बोले, “कोई एक साल, कोई छह महीने, कोई सात दिन ही सुने पर धर्मराजजी की कहानी अवश्य सुने। फिर उसका उद्यापन कर दे। उद्यापन में काठी, छतरी, चप्पल, बाल्टी रस्सी, टोकरी, लालटेन, साड़ी ब्लाउज का बेस, लोटे में शक्कर भरकर, पांच बर्तन, 6 मोती, 6 मूंगा, यमराजजी की लोहे की मूर्ति, सोने की मूर्ति, चांदी का चांद, सोने का सूरज, चांदी का सातिया ब्राह्मण को दान करें। प्रतिदिन चावल का सातिया बनाकर कहानी सुनें।”
यह बात सुनकर ब्राह्मणी बोली, “हे धर्मराज मुझे 7 दिन के ले वापस पृथ्वीलोक पर भेज दो। मैं कहानी सुनकर वापस आ जाऊंगी।” धर्मराज ने उसका लेखा–जोखा देखकर 7 दिन के लिए पुन: पृथ्वीलोक भेज दिया। ब्राह्मणी जीवित हो गई। ब्राह्मणी ने अपने परिवार वालों से कहा, “मैं 7 दिन के लिए धर्मराजजी की कहानी सुनने के लिए वापस आई हूं। इस कथा को सुनने से बड़ा पुण्य मिलता है।”
ब्राह्मणी ने चावल का सातिया बनाकर परिवार के साथ 7 दिनों तक धर्मराज की कथा सुनी। 7 दिन पूर्ण होने पर धर्मराज ने अपने दूत भेजकर उसे वापस ऊपर बुला लिया। अंत में ब्राह्मणी को वैकुण्ठ में श्रीहरी के चरणों में स्थान मिला।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175