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दिवाली की रात काली जी की पूजा

दिवाली की रात विशेष रूप से काली जी की पूजा का भी महत्व है, जिसे काली चौदस या नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन काली जी की पूजा करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति और शक्ति मिलती है। यहाँ काली जी की पूजा करने के कुछ उपाय और विधियाँ दी गई हैं:

पूजा सामग्री:

  1. काली जी की मूर्ति या चित्र: पूजा के लिए काली जी की मूर्ति या चित्र।
  2. कमल का फूल: काली जी को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  3. दीपक और तेल: पूजा में दीप जलाने के लिए।
  4. नैवेद्य: मिठाई, फल और अन्य खाद्य सामग्री।
  5. चूड़ियाँ: पूजा के बाद चूड़ियाँ अर्पित करने का भी महत्व है।
  6. काले तिल: काले तिल का इस्तेमाल पूजा में किया जाता है।

पूजा विधि:

  1. सफाई: सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और सजाएं।
  2. दीप जलाना: पूजा से पहले दीप जलाएं और घर में प्रकाश फैलाएं।
  3. काली जी का ध्यान: काली जी का ध्यान करते हुए उनकी मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  4. अर्पण करना: काली जी को कमल का फूल, चूड़ियाँ और नैवेद्य अर्पित करें।
  5. जाप और मंत्र: “ॐ क्लीं कालिकायै नमः” का जाप करें। यह मंत्र काली जी को प्रसन्न करने के लिए प्रभावी होता है।
  6. धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर उनका भोग अर्पित करें।
  7. प्रार्थना: काली जी से सुरक्षा और मानसिक शक्ति की प्रार्थना करें।
  8. आभार: पूजा के अंत में काली जी का आभार व्यक्त करें और उन पर फूल और चढ़ावा अर्पित करें।

विशेष बातें:

  • इस दिन उपवास रखना भी शुभ माना जाता है।
  • पूजा के बाद अपने घर के चारों ओर दीप जलाएं, ताकि बुरी शक्तियाँ दूर रहें।
  • पूजा के बाद काली जी को अर्पित की गई वस्तुओं को किसी गरीब को दान करना लाभदायक होता है।

काली जी की पूजा से न केवल बुरी शक्तियों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति भी मिलती है।

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