Dr Elma Parakh
प्रसिद्व व्यक्तित्व विषेश परिचय
डॉ इल्मा पारख होम्योपौथिक,जयपुर, राजस्थान
परिचयः
डॉ इल्मा पारख जयपुर, राजस्थान की होम्योपौथिक की सुप्रसिद्व चिकित्सक है। उन्होने राजस्थान होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, जयपुर से सन 1978 में बी.एम.एस. की डिग्री प्राप्त की। डॉ पारख अपने पिता डॉ बी. छाजेड से अत्यधिक प्रभावित थी जो कि स्वयं भी जयपुर के प्रसिद्व बयोवृद्व चिकित्सक थे, और उन्हीे के पदचिन्हो पर चलते हुए होम्योपैथिक चिकित्सा गोविन्द मार्ग, जयपुर से चलाती हैं। डा. पारख के साथ हुई फोनवार्ता के दौरान कई प्रष्नो पर बाते हुई जिनके कुछ अंश हम यहॉं प्रस्तुत कर रहे है।
रविन्द्र: होम्योपैथी क्या है?
डा ईलमा पारखः होम्योस मतलब समान। अर्थात समान को समान से ठीक करना। जैसे लेाहा, लोहे को काटता है या जहर ही जहर को मारता है, या चुम्बक के दो समान पोल एक साथ नही रह सकते है। उसी प्रकार एक ही शरीर में एक ही तरह के दो रोग नही रह सकते हैं स्टंॅांग रोग दवा के द्वार उत्पन्न कमजोर रोग पहले से विद्यमान रोग को धकेल देता है।
रविन्द्र: होम्योपथी के बारे में लोगो की धारणा है कि यह पद्वति बहुत ही धीमी गति से काम करता है और लम्बे समय तक करना पड़ता हैं। आपका क्या कहना है?
डा पारखः यह धारणा पूर्णतयाः सत्य नही है। पुरानी एवं पेचीदा बिमारियों के इलाज में बेशक समय लगता है। किन्तु रोजमर्रा की बीमारियों के इलाज में यदि सिमिलिमम अर्थात समान लक्षणो वाली दवा का चुनाव हो जाता है तो बिमारी आनन-फनन में दूर हो सकतीहै।
रविन्द्र: होम्योपैथी व एलौपैथी को क्या जोड़ा जा सकता है। जबकि आज के समयानुसार सभी टेस्ट रिपोर्ट के माध्यम से इलाज करते है। इस पर आप का क्या मत है?
डा पारखः होम्योपौथी में भी निरन्तर शोधकार्य हो रहे है। लैब में भी होम्योपौथी की दवाओं के प्रभाव को जॉचा जाता है।, हॉ यह सत्य है कि ऐलापैथी में अत्याधुनिक उपकरणो के सहारे से इलाज को त्वरित ठीक कर देती है। यदि पूर्ण जॉच और टोटेलिटी ऑफ सिम्पटम्स दोनो साथ में काम करेगें तो परिणाम और भी सुन्दर आंएगें।
रविन्द्र: कैंसर का होम्योपैथिक इलाज क्या कारगर होता है?
डा पारखः कैंसर का इलाज प्रारम्भिक दौर में हो और यदि चिकित्सक मरीज को टोटेलिटी ऑफ सिम्टम्स के आधार पर सही सिमिलिमम सही पोटेन्स में दिया जाता है तो हम उम्मीद कर सकते है कि मरीज को निश्चित ही लाभ होगा। किन्तु यदि लेटर स्टेज में पता चलता है तब भी कैंसर की मरणांतक पीडा को होम्योपैथी द्वारा कम अवश्य किया जा सकता है।
रविन्द्र: कैंसर कितने तरह का होता है और इनमें से किस तरह के कैंसर का इलाज संभव है?
डा पारखः कैंसर 5 तरह का होता है, कार्सिनोमा, सारफोमा,मेलेनोमा, लिंफोमा, ल्यूकीमिया। जिस अंग का टिशू में व्याधि हो उसके अनुसार स्किमी ब्लड, बोनमैरो, लीवर, लोग किडनी आदि का कैंसर। सभी कैंसर समय रहते दृष्टिगोचर हो जाए तो इलाज समभव है। पैंक्रियाज का कैंसर पता लगने के बाद तेजी से फैलता है और रोगी को समय नही देता है।
रविन्द्र: क्या सीएमएल कैंसर का कोई इलाज हैघ् क्या यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
डा पारखः यह एक तरह का ब्लड कैंसर है। इसका पता बहुत देर से लगता है। इस बीमारी के लक्षण है, थकान जल्दी होना कभी कभार रक्तस्राव होना आदि। जॉच के अधार पर ही निदान सम्भव हैं । हौम्योपैथी मे ं लक्षणाके के आधार पर ैपउपसपं ैपउपसपइने ब्नतंदजमत के अनुसार दवा दी जाए तो इलाज सम्भव है।
रविन्द्र: ब्लड कैंसर कितने प्रकार का होता है क्या ब्लड कैंसर का कोई इलाज है
डा पारखः ब्लड कैंसर 3 प्रकार का होता है-मल्टीपल मेलेनोमा, लिंफोमा तथा ल्यूकीमिया। इसका इलाज बोनमैरो-टंांसप्लान्ट, कीमीथेरेपी, स्टेमसं ेल थेरेपी, रेडियो थेरेपी द्वारा सम्भव है।
होम्योपैथी द्वारा टोटेलिटी ऑफ सिम्पटम्स के आधार पर भी इलाज लाभदायक होता है।
रविन्द्र: थायरोइड के बारे में आप क्या कहेंगें।
डा पारख: बॉडी का एण्डोक्राइन सिस्टम का एक अंग है थाइरोइड जो हार्मोन्स सिक्रीट करती है जिससे अन्य ऑर्गन व्यवस्थित कार्य कर सके। इन हार्मोन्स का कम याअधिक होना अनेक रोग के लक्षणो को पैदा करता है। इस की वजह शरीर में आयोडीन की कमी, या किसी ऑटोइम्यून डिसीज का शरीर में विद्यमान होना भी हो सकता है,इसके लक्षण, मोटापा, अनियमित महावारी, नींद का ना आना आदि होते है।
रविन्द्र: PCOD & PCOS क्या है और क्या इसका इलाज सम्भव है?
डा पारखः पीसीओडी अर्थात पॉली सिस्टिक ओवरी डिसआर्डर या पॉली सिस्टक ओवरी सिंडंोम। इसमें महिला की ओवरी अनुपात से अधिक मेल होर्मोन बनाने लगती है जिसकी वजह से
महावरी की अनियमितत, मोटापा, चेहरे पर अपोछित बालो का उगजाना, मोटापा, सुस्ती आना इत्यादि अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है। होम्यापैथी में इसका पूर्ण इलाज सम्भव
है।
रविन्द्र: आपने होम्यापैथ में किस पर अध्यन किया है। और इस समय आप किस पर शोध कर रहे है।
डा पारखः मैने बैचलर ऑफ मेडिसिन का कोर्स किया है। होम्योपैथिक चिकित्सक को सदैव अध्ययनरत रहना होता है, क्योकि प्रत्येक मरीज स्वयं में एक शोध का विषय होता है।
रविन्द्र: बांझपन यबच्चा न होनाद्ध क्या हैए वह क्या इसका होम्योपैथी में इलाज संभव है। आप इस बारे मं क्या संदेश देंगें।
डा पारखः जैसा कि नाम से विदित हो रहा है-बांझपन अर्थात बच्चा न होना या गर्भ न ठहरना। इसकी वजह महिला अथवा पुरूष कोई भी हो सकते है। जैसे पुरूष में स्पर्म कम होना या सक्षम न होना, अथवा स्त्री में अण्डा नही बनना, या गर्भाशय, अथवा ओवरी या फैलोपियन ट्यूबस में कोई कमी या फाडब्रोइड बननां समस्या का निदान विभिन्न प्रकार की जॉंच के द्वारा सम्भव है और तदनुसार उपचार भी सम्भव है। होम्योपैथी में भी इसका इलाज संभव है-टोटेलिटी ऑफ सिम्पटम्स, कोन्स्टभ्ट्यूशनल मेडीसिन एवं विशेष आर्गन रेमीडीज की डिटेल एनालिसिस के द्वारा किसी भी पैथी द्वारा इलाज करवाएं, धैर्य अत्यन्त आवश्यक है।
रविन्द्र: बांझपन का इलाज कितना लंबा चलता है। और होमियोपैथी इलाज से कोई साइ्रड इफेक्ट तो नही है।
डा पारखःबांझपन का इलाज लंबा चलता है- 6 माह से लेकर 1 साल तक लग सकता है। इसका कोई साइड इफैक्ट नही होता है। शत प्रतिशत सफलता की गांरटी कोई भी पद्वति नही दे सकती है।
रविन्द्र: मधूमेह रोग इस समय सबसे ज्यादा तेजी से फैल रहा हैए इसके बारे मं क्या सावधानिया तथा इलाज करना चाहिए।
डा पारखः मधुमेह के कई ऐसे कारण हो सकते है, जैसे अनुवांशिक हिस्टंी होना, खाने के समय में अनियमितता का होना, किसी अन्य व्याधि की वजह से लंबे समय तक दवाइयॉ का सेवन, रात्रि में देर तक जागना, तनाव पूर्ण लाइफ स्टाइल, एण्डोक्राइम गं्रन्थ्यिों की कार्यप्रणाली का डिस्टर्ब होना आदि। प्रातः कालीन सैर नियमित एवं सन्तुलित आहार प्रफुल्ल एवं उदसहित मन-मधुमेह से दूर रहने में सहायक हो सकते है। निदान होने के बाद दवाइयों का नियमित सेवन एवं परहेज व व्यायाम सहायक होते है।
रविन्द्र: रक्तचाप के बारे में आप क्या कहना है।
डा पारखः रक्तचाप हृदय की पम्पिंग को दर्शाता है इसमंे सिस्टोलिक का मान औसत 120 उउ भ्ह एवं डायस्टोलिक 80 mm Hg माना जाता हैं इससे अधिक उक्त रक्तचाप एवं इससे कम लो रक्तचाप कहते है। रक्तचाप अनियमित रहने पर शरीर के आंतरिक अंगो पर दुष्प्रभाव पडता है। जो कभी कभी खतरा पैदा कर सकता है। होम्योपैथिक दवाइंयों का नियमित सेवन रक्तचाप को नियंन्त्रित रख सकता है। जब एक ही शरीर में एक ही प्रकार के दो लक्षण समूह एकत्रित हो जाऐंगें तो स्वाभाविक तौर पर ऐसा ही लगेगा कि रोग बढ गया है, किन्तु ऐसा नही होता है। दवा जन्य रोग शक्तिशाली होती है एवं चुम्बक के दो समान पोल जैसे एक ही तरफ नही रह सकते स्टंोंग वीक को धकेल देता है ठीक उसी प्रकार वह शरीर में विद्यमान कमजोर रोग को धकेल देता है एवं स्वयं भी अपनी समय सीमा के अनुसार स्वतः लुप्त हो जाता है।
रविन्द्र: होम्योपैथी द्वारा कौन से रोगों का इलाज नही किया जाता है
डा पारखः रोग के परिणाम स्वरूप शरीर में होने वाले स्थाई परिवर्तन को लौटा लाना मुश्किल है। इमरजेंसी के दौरान जब मरीज जीवन-मृत्यु के बीच झूल रहा हो एवं उसे जीवन-रक्षक उपचार ही मदद कर सकता है। एवं इसी के समकक्ष परिस्थितियों में होम्योपैथिक इलाज ही लेने की जिद अनुचित हो सकती है।
रविन्द्र: क्या होम्योपैथी पहले रोग को बढ़ाती हैए फिर ठीक करती है
डा पारखः होम्योपैथी दवाई देने से रोग के अनुसार एक आर्टिफिसयल रोग, जो कि शरीर में विद्यमान रोग के अनुसार ही उत्पन्न होता है, एक ही जगह पर यदि समान दो चीज है, तो उसका अनुपाद विद्यमान रोग से ज्यादा लगता है। लेकिन समय के साथ धीरे धीरे दवाई द्वारा विद्यमान रोग को बाहर कर देता है, और आर्टिफिसयल रोग भी धीरे धीरे समाप्त हो जाता है। इस वजह से मरीज को लगता है कि बिमारी बढ गयी है। अपितु ऐसा नही है। दूसरी बात यह है कि मरीज पहले से बहुत सी दवाईया खाने के बाद उसके रोगो को अन्दर की तरफ दबा देती है, जिसे होम्योपैथी दवाई रिवर्स आर्डर मंे काम करती है। जिससे सभी रोग उत्पन्न होते है। जो सबसे आखिर से लेकर जहा से शुरूआत हुई थी वहा तक जाती है, जिससे सारे रोग समाप्त हो जाती है। इस क्रिया से मरीज को लगता है, कि यह होम्योपैथी रोग बढाती है।
रविन्द्र: होम्योपैथी का इलाज क्या मनुष्यों के लिए ही है या जनवारो या पेड पौधो के लिए भी हो सकता है।
डा पारखः वेटरनरी होम्यापैथी एवं एग्रीकल्चर होम्योपैथ भी उतनी ही चलन में है एवं कारगर भी सिद्व हुई है।
रविन्द्र: हमें आप अपना अनुभव तथा अपने स्वयं के क्लिनिक के बारे में बताएं।
डा पारखः होम्योपैथी कुछ क्षेत्रो में बेहद कारगर सिद्व होती ह ै जैसे डिप्रेशन, मीनोपॉज की परेशानियॉ, बच्चो की दैनिक एवं जटिल बीमारियॉ, विद्यार्थियों को परीक्षा काल में मानसिक तनाव के कारण होने वाली परेशानियॉ आदि। अनेक बार लाइलाज बिमारियों में होम्योपैथी द्वारा रिकार्ड सफलता भी प्राप्त हुई है। हमारे क्लीनिक पर जो कि जयपुर-राजस्थन में गोविन्द मार्ग पर स्थित है। एक 4 वर्ष के बच्चे का इलाज पिछले 18 माह से चल रहा है। यह बच्चा एडीएचडी अर्थात के नाम से डायग्नोज किया गया था। ऐलोपैथी में दवा रूप में इस बिमारी के लिए कुछ नही है। आज वह बच्चा बोलने लगा है, कही भी बात को सुन कर उत्तर देता व अनुसरण करना आदि अनेक कार्य करने लगा है। एवं सभ्य समाज में रहने की गुणवत्ता को प्राप्त करने लगा है।
रविन्द्र: आप अपने क्लिनिक में मरीजों को कैसे शेड्यूल करते हैं् और आपइन्मेन्ट को कैसे संभाला जाता है
डा पारखः मैं सोमवार से शनिवार तक शाम 4.30 से 7.30 तक क्लिीनिक मे रहती हॅू। अपाइन्टमेन्ट द्वारा अथवा सीधे ही आ जाएं। सभी को फर्स्ट कम फर्स्ट के अनुसार ही देखती हॅू।
रविन्द्र: ऐसा मत हैए कि होम्योपैथी का इलाज मनुष्य के स्वभाव के अनुसार किया जाता हैए इसमें आपका क्या कहना है
डा पारखः यह सही है कि होम्योपैथी में मरीज की दवाई का चुना करने में मरीज के स्वभाव के बारे मंे भी ध्यान रखा जाता हैं एवं इसका बडा महत्व भी है। जैसे एक व्यक्ति जो प्रखर बुद्वि वाला तथा गुस्सैल है तो उसे नक्स वॉम, एवं शान्त एवं तुरन्त् रो देने वाला है तो उसे पर्ल्सटिला, एवं चिडचिडा और गुस्सैल हो तो कैमोमिला दे सकते है चाहे तीनो किसी एक ही प्रकार की शिकायत के साथ आया हो।
रविन्द्र: क्या होम्योपैथी की दवाईया सदैव मीठी होती है।
डा पारखः होम्योैपैथी की अधिकांश दवाएॅ मीठी ही होती है, किन्तु निम्न शक्ति की दवाएं विचित्र स्वाज वाली भी हो सकती हैं।
रविन्द्र: क्या होम्योपैथिक इलाज के दौरान परहे जरूरी है?
डा पारख: आमतैार पर कहते है कि होम्योपैथिक इलाज के दौरान परहेन करना चाहिए किन्तु परहेज की जिद के कारण अधिकांश लोग होम्योपैथी को अपनाने से कतराने लगते है। इससे वो एक अच्छे भले लाभ से वंचित रह जाते है। इसेलिए मै अपने मरीजों को किसी भी प्रकार के परहेज करने के लिए बिल्कुल बाध्य नही करती। केवल कुछ विशिष्ट परिस्थतियो में विशेष प्रकार के ही परहेज आवश्यकतानुसार बताती हॅू और मुझे इसका लाभी भी मिलता है।
रविन्द्र: होम्योपैथिक पद्वति के साथ कया दूसरी पद्वति की दवा खाई जा सकती है।
डा पारख: हॉ खाई जा सकती है सिवाय एन्टीबॉयटिंक एवं स्टंरोइड के।
रविन्द्रः क्या होम्योपैथिक चिकित्सा को सरकार की तरफ से प्रोत्साहन करना चाहिए?
डा पारख: होम्योपैथी को सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिला है एवं आयुष के अर्न्तगत होम्योपैथी भी आती है।
रविन्द्रः आज के दूषित वातावरण में पथरी के बिमारी से बहुत लोग ग्रसित है, पथरी ज्यादा बड़ी या गलत ढंग स कही फस जाने पर आपरेशन ही बताया जाता है। तो क्या होम्योपैथ में इसका त्वरित इलाज सम्भव है, जिससे आपरेशन न कराना पडे।
डॉ पारख: आज के दूषित वातावरण मंे पथरी से बहुत लोग ग्रसित है। पथरी ज्यादा बडी है या कही गलत जगह फसी हो तो दवाई से ठीक करने की कोशिश करने के बजाय सर्जरी या लिथोस्टंप्सी द्वारा उपचार करना चाहिए।
रविन्द्र: मेडिकल हॉस्पिटल जिस तेजी से खुल रहा है क्या होम्योपैथी का मेडिकल हॉस्पिटल होना चाहिए?
डॉ पारख: वर्तमान में जयपुर में एक अति विशाल होम्योपैथिक यूनिवर्सिटी एण्ड हॉस्पिटल, जयपुर से 25-30 किलोमीटर दूर संागनेर से आगे सुचारू रूप से चल रह है और बहुत सफलता से अपना कार्य कर रही है।
रविन्द्र: अंत मे ं आपका द्वारिकाधीश डिवाईनमार्ट मासिक ई-पत्रिका के पाठाकों के लिए कोई संदेश देना चाहती है?
डॉ पारख: द्वारिकाधीश डिवाईनमार्ट मासिक ई-पत्रिका के सम्मानीय पाठकों को बस इतना ही कहना चाहॅूगी कि दवाइयॉ हमेश सजग रह कर एवं आवश्यकता के अनुरूप ही करना चाहिए अन्यथा कभी भी उसका भुगतान करना पड सकता है सभी को मेर अभिवादन।