गॉल ब्लैडर में पथरी
Question: एक लड़की के गॉल ब्लैडर में पथरी है समाधान बताएं उम्र 21 साल है
Answers:
Dr Ved Prakash :
पित्त की थैली की पथरी (Gall Bladder Stone)
क्या होता है गाल ब्लैडर स्टोन : खानपान की गलत आदतों की वजह से आजकल लोगों में गॉलस्टोन यानी पित्त की पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। गाल ब्लैडर में लगभग अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती हैं। पित्त यानी बायल लिवर में बनता है और इसका भंडारण गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी का निर्माण होता है।
पित्त की पथरी के लक्षण : शुरुआती दौर में जब पथरी छोटी होती है तब कोई लक्षण नज़र नहीं आते। जब पथरी का आकार बढ़ जाती है तो गॉलब्लैडर में सूजन, संक्रमण या पित्त के प्रवाह में रुकावट होने लगती है। ऐसी स्थिति में लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द, अधिक मात्रा में गैस की शिकायत, पेट में भारीपन, मिचली आना जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
पित्त की पथरी में क्या क्या परहेज करना चाहिए
1. अधिक कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स से परहेज़ करना चाहिए
2. उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क नही खाना चाहिए
3. दूध के बने उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए।
4. मसालेदार भोजन और शराब जैसी चीजें भी नही खाना चाहिये।
अब समस्या आती है कि इसके निदान कैसे किए जाए ?आप किसी भी होम्योपैथिक मेडिकल स्टोर पर जाकर के निम्न दवाइयां ले आए
(1) Chelidonium Q
(2) Berberis Vulgaris Q
(3) Fabriana ImbricataQ
(4) Luffa BindalQ
इन चारों दवाओं को 10-10 ml लेकर आपस में मिक्स करके कांच की शीशी में रख लें और 20-20 बूँद दवा दिन में तीन बार आधा कप पानी में घोलकर ले
(5) Calculi bilari 30दक इसकी चार चार बूंदे दिन में तीन बार पानी में मिक्स करके लें
(6) Cholesterinum 30 इसकी चार चार बूंदे दिन में तीन बार पानी में
मिक्स करके लें सब दवाएं अच्छी प्रतिष्ठित कंपनी की लें
दवाई के आधे घंटे आगे पीछे कुछ न खाए कच्चा प्याज लहसुन इलायची flavored milk आदि सुगन्धित खाद्य पदार्थों का सेवन न करे ये होम्योपैथिक दवा की कार्य प्रणाली में बाधा पहुचाते है
दवा मिक्स करके रखने के लिए बड़ी शीशी होमियोपैथी स्टोर पर ही मिलती है घरेलु शीशियों का प्रयोग न करें वह सुविधाजनक नहीं होती दवाई waste हो जाती है
इस ईलाज से दो-तीन महीने में पित्त की पथरी गल जाती है
Dr Jyoti:
आज पथरी का होम्योपैथिक इलाज संभव है. शरीर में पथरी बनने का कोई स्पष्ट कारण का तो पता नहीं चला है. पर शरीर में अतिरिक्त गर्मी बढ़ने से, गर्म जलवायु से, कम मात्रा में पानी पीने से इत्यादि कारणों से शरीर में जल की कमी होकर डिहाइड्रेशन की स्थिति हो जाती है जिससे पेशाब में कमी व सघनता हो जाती है. इस कारण शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है, कैल्शियम आक्सलेट पेशाब के माध्यम से बाहर नहीं हो पाता है, इसके अलावा फॉस्फेट, अमोनियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट आदि तत्व किडनी के नली जमने लगते है जो धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं. पाचन प्रणाली के खराबी के कारण भी इस प्रकार के दोष होते हैं व पथरी बनते हैं.
हालांकि पथरी (stone) कई हिस्से में हो सकते हैं, जैसे किडनी में, मूत्राशय में, गोल ब्लाडर में, पित्ताशय में, पेशाब के नली में इत्यादि. पर किडनी में पथरी की रोग अधिक पाये जाते हैं. किडनी में पथरी बनने का मुख्य कारण गलत खानपान व कम पानी पीना है. कम पानी पीने से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे किडनी में पथरी बनते हैं.
पथरी के लक्षण-
पथरी के बनने पर पेट के निचले हिस्से में, पीठ में या कमर में तीव्र दर्द हो सकता है या चलने-फिरने पर भी दर्द हो सकता है. ये दर्द अचानक होते हैं जो धीरे-धीरे बढ़ कर असहनीय हो जाते हैं. चूँकि पथरी अलग-अलग स्थानों पर बन सकता है इसलिए दर्द का स्थान भी अलग-अलग हो सकता है. कभी-कभी पथरी का आकार छोटा रहने पर दर्द नहीं होता है जिससे पथरी होने का पता भी नहीं चलता है पर जब इसका आकार बढ़ जाता है तब या जब ये पेशाब के रास्ते में आ जाता है तब दर्द का एहसास होता है. पेशाब के रास्ता में पथरी आने पर अचानक भयंकर दर्द होता है और दर्द की तीव्रता बढ़ती जाती है जो जांघ, अंडकोष या महिलाओं में योनि द्वार तक चला जाता है. कभी-कभी मूत्रमार्ग में पथरी फँसने से पेशाब रुक जाता है या पेशाब में खून आने लगता है व पेशाब करते समय दर्द होता है. पथरी होने पर पेशाब का रंग बदल जाता है. पेशाब का रंग लाल, गुलाबी या हल्का भूरा हो जाता है. किडनी में पथरी होने पर पेशाब करते समय दर्द भी होता है व जी मचलने तथा उल्टी की भी शिकायत होती है. पथरी का दर्द इतना भयंकर रहता है कि इसके वजह से मरीज न तो बैठ सकता है न लेट सकता है और न खड़ा ही रह सकता है. इस दर्द में एक बेचैनी सी रहती है.
पथरी से बचाव व इलाज-
पथरी से बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए. भोजन में कैल्शियम व आक्सलेट युक्त पदार्थ का सेवन सीमित मात्रा में ही करनी चाहिए. पथरी होने पर टमाटर, मूली, भिंडी, पालक, बैगन व मीट का सेवन नहीं करना चाहिए. पथरी होने पर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में इसे ऑपरेशन करके या ‘लिथोट्रिप्टर’ नामक यंत्र से किरण के माध्यम से गलाकर बाहर निकालते हैं. यह अत्यधिक महँगा इलाज है और इससे पथरी निकल तो जाती है पर इससे पथरी बनने की प्रवृति समाप्त नहीं होती है. पर होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में कई ऐसे चमत्कारी दवाई हैं जिनका लक्षण के आधार पर सेवन करके बिना ऑपरेशन के दवाई द्वारा ही पथरी को निकालकर पथरी बनने के कारण को भी समाप्त किया जा सकता है. पथरी यदि छोटा (समान्यतः 3 मिमी से छोटा) रहता है तो दवाई के प्रयोग से ही यह आसानी से बाहर आ जाता है. पर पथरी बड़ा रहने पर होमियोपैथी दवा के साथ अन्य आधुनिक उपचार की भी जरूरत होती है. आइये पथरी का होमियोपैथिक इलाज से संबंधित कुछ दवाओं पर नजर डालें.
पथरी के इलाज के लिए होमियोपैथिक दवाई-
बर्बेरिस बल्गारिस (Berberis Vulgaris): – किडनी व पित्ताशय दोनों तरह की पथरी के लिए यह उत्तम दवा है. किडनी के जगह से दर्द शुरू होकर पेट के निचले हिस्से तक या पाँव तक दर्द का जाना, हिलने-डुलने या दबाव से दर्द बढ़ना, दर्द कम होने पर रोगी का दाहिने ओर झुकना, म्यूकस युक्त या चिपचिपा लाल या चमकदार लाल कण युक्त पेशाब होना, पेशाब में जलन होना, बार-बार पेशाब होना, पेशाब करने के बाद ऐसा महसूस होना जैसे कुछ पेशाब अभी रह गया हो, पेशाब करने पर जांघ या कमर में दर्द होना इत्यादि लक्षण में इस दवाई का सेवन करना चाहिए.
लाइकोपोडियम (Lycopodium): – पेशाब होने से पहले कमर में तीव्र दर्द होना, दायें किडनी में दर्द व पथरी होना, मूत्रमार्ग से मूत्राशय तक जानेवाला दर्द होना, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना, पेशाब में ईंट के चुरा जैसा लाल पदार्थ निकलना, किसी शीशी में पेशाब रखने पर नीचे लाल कण का जम जाना व पेशाब बिल्कुल साफ रहना, पेशाब धीरे-धीरे होना आदि लक्षणों में इस दवाई का सेवन करना चाहिए.
सारसापेरिला (Sarsaparilla): – बैठकर पेशाब करने में तकलीफ होना व बूंद-बूंद पेशाब उतरना जबकि खड़े होकर पेशाब करने में आसानी से पेशाब उतरना, पेशाब का मटमैला होना व पेशाब में सफेद पदार्थ निकलना, पेशाब के अंत में असह्य दर्द होना व गर्म चीजों के सेवन से यह दर्द बढ़ना आदि लक्षणों में इस दवाई का सेवन करना चाहिए.
कैल्केरिया कार्ब (Calcarea Carb): – यह दवा दर्द दूर करने का उत्तम दवा है. किडनी के पथरी में इसे दिया जा सकता है. मूत्र नली में पथरी हो या पथरी के जगह पर तीव्र दर्द हो, रोगी को खूब पसीना आ रहा हो आदि लक्षणों में इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है.
ओसिमम कैनम (Ocimum Canum): – तुलसी पत्ता से बनने वाली इस औषधि में यूरिक एसिड बनने के प्रवृति रोकने की गुण है अतः यूरिक एसिड से बनने वाली पथरी में यह दवा लाभकारी होता है. पेशाब में लाल कण आता हो, दाहिना तरफ किडनी के जगह पर दर्द हो तो इस दवा का सेवन किया जा सकता है.
नोट: –
यहाँ पथरी के इलाज संबंधी कुछ होम्योपैथिक दवाई का उल्लेख किया गया है, जो जानकारी मात्र के लिए है. पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने चिकित्सक के देखरेख में ही इलाज कारायें व चिकित्सक के परामर्श से ही किसी भी प्रकार का दवाई का सेवन करें.
RJ:
पित्त की पथरी से हैं परेशान तो ऑपरेशन की जगह अपनाएँ ये घरेलू उपाय, मिलेगा जल्द ही आराम!
इंसान के शरीर की संरचना बहुत ही जटिल है। इसके बारे में साधारण व्यक्ति जल्दी नहीं समझ सकता है। इंसानी शरीर बिमारी की चपेट में बहुत जल्दी आ जाता है। इस वजह से व्यक्ति जीवनभर किसी ना किसी शारीरिक समस्या से परेशान रहता है। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो जीवन भर निरोग रहते हैं। वह अपने शरीर और स्वास्थ्य का बहुत ज्यादा ख़याल रखते हैं। यही वजह होती है कि वह बहुत कम बीमार पड़ते हैं।
पथरी दो तरह की होती है:
शरीर में कई तरह की समस्याएँ होती हैं, उन्ही में से एक है पथरी की समस्या। पथरी दो तरह की होती है, एक गुर्दे की पथरी और दूसरा पित्त की पथरी। जब व्यक्ति को गुर्दे में पथरी हो जाती है तो पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। कई बार यह पेशाब के रास्ते बाहर भी निकल जाती है। लेकिन जब पित्त में पथरी हो जाती है तो पेट के दाएँ हिस्से में असहनीय दर्द होता है। ज्यादातर लोग इसे सर्जरी की मदद से निकलवाते हैं।
हो जाती है पाचन शक्ति कमजोर:
जब किसी व्यक्ति को पित्त में पथरी हो जाती है तो डॉक्टर तुरंत पित्त का ऑपरेशन करके पथरी को निकाल देता है। यह काफी तकलीफदेह प्रक्रिया होती है। इससे भविष्य में व्यक्ति की पाचन शक्ति भी काफी कमजोर हो जाती है। हमारे देश में औषधियों का काफी पहले से इस्तेमाल किया जाता रहा है। पित्त की पथरी को ठीक करने के लिए ऐसे कुछ घरेलू उपाय हैं, जिसे अपनाने के बाद बिना ऑपरेशन के पथरी की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
पथरी से निजात पाने के लिए अपनाएँ ये घरेलू उपाय:
सेब का जूस और सिरका: सेब में फोलिक एसिड मौजूद होता है जो पथरी को गलाने में काफी सहायक होता है। हर रोज सेब यह इसके जूस का सेवन करने से पथरी की समस्या से निजात पाया जा सकता है। इसके अलावा आप एक गिलास सेब के जूस में एक चम्मच सिरका मिलाकर डॉन में दो बार सेवन करें, जल्द ही आपकी पथरी गलने लगेगी।
नाशपाती का जूस: नाशपाती के जूस में पैक्टिन तत्व पाया जाता है जो लीवर में कॉलेस्ट्रोल को बनने और जमने से रोकता है। कॉलेस्ट्रोल ही पथरी का मुख्य कारक है। पथरी की समस्या से निजात पाने के लिए एक गिलास गर्म पानी में एक गिलास नाशपाती का जूस मिलाएं। इसके बाद 2 चम्मच शहद मिलाकर इस जूस का दिन में तीन बार सेवन करें।
चुकंदर और खीरा: एक चुकंदर, एक खीरा और 4 गाजर लेकर उनका जिस बना लें। इस जूस का सेवन दिन में दो बार करें। इसमें मौजूद विटामिन सी और कोलोन तत्व ब्लैडर में जमे हुए विषैले पदार्थ को बाहर निकालता है, इससे पथरी भी बाहर निकल जाती है।
पुदीना: पुदीने में तारपीन तत्व मौजूद रहता है जो पथरी को गलाने में मदद करता है। एक गिलास पानी गर्म करें और उसमें कुछ ताज़ी पुदीना की पत्तियाँ डालें। अच्छे से उबलने के बाद पानी को ठंढा करके उसमें शहद मिलाएं और दिन में दो बार सिका सेवन करें।
सेंधा नमक: एक गिलास पानी गर्म करें और उसमें एक चम्मच सेंधा नमक मिलाकर पिएं,. इससे पथरी बहुत जल्दी गल जाती है। इस तरह आप इसे दिन में 2- बार पिए बहुत जल्दी आपको पथरी से छुटकारा मिल जायेगा।