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गंगा दशहरा आज

गंगा दशहरा आज

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन विधि पूर्वक मां गंगा की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है। वहीं गंगा नदी के जल को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। किसी भी शुभ कार्य और पूजा अनुष्ठान में गंगाजल का प्रयोग जरूर किया जाता है। गंगाजल के बिना कोई भी मांगलिक कार्य पूरा नहीं होता है। मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा के दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। ऐसे में यदि आप गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।

गंगा दशहरा की तिथि
अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 29 मई 2023 को दोपहर 11 बजकर 49 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 30 मई 2023 दोपहर 1 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि 30 मई को प्राप्त हो रही है, इसलिए इसी दिन गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

गंगा दशहरा की कथा
कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को श्राप दे दिया था, जिससे वे भस्म हो गए थे. उन लोगों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी का झूठा आरोप लगाया था. 60 हजार पुत्रों के भस्म ​होने की खबर ने राजा सगर को स्तब्ध और शोकाकुल कर दिया।

राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष प्रदान कराने के लिए उनके ही कुल के राजा भगीरथ ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की. ब्रह्म देव ने राजा भगीरथ को वर मांगने को कहा, तो उहोंने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराने का वर मांगा।

ब्रह्म देव ने कहा कि इसके लिए तुम भगवान शिव को प्रसन्न करो, वे ही एक मात्र व्यक्ति हैं, जो गंगा के वेग और भार को वहन कर सकते हैं. फिर भगीरथ ने अपने कठोर तप से भगवान महादेव को प्रसन्न किया।

उन्होंने राजा भगीरथ को वर मांगने को कहा, तो उन्होंने ब्रह्मा जी की बात बताई. शिव जी तैयार हो गए. स्वर्ग लोक में बहने वाली गंगा को ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से छोड़ा, तो वे बड़ी तीव्र गति से आगे बढ़ीं. भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समेट कर बांध लिया. अब समस्या यह हो गई कि वह शिव की जटाओं से बाहर ही नहीं निकल पाईं।

फिर राजा भगीरथ ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और मां गंगा को अपनी जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर अवतरित होने का आशीर्वाद प्रदान करने का निवेदन किया. इसके बाद मां गंगा शिव की जटाओं से निकलकर पृथ्वी पर अवतरित हुईं।

आगे आगे राजा भगीरथ और उनके पीछे पीछे मां गंगा पृथ्वी पर प्रवाहित होने लगीं. मां गंगा के स्पर्श से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हुआ और उनको मोक्ष प्राप्त हुआ. तब से ही मां गंगा पृथ्वी पर बहने लगीं और उनके स्पर्श से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता आ रहा है।

गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान के बाद मां गंगा की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है। दशहरा का मतलब है 10 विकारों का नाश, इसलिए गंगा दशहरा के दिन शुद्ध मन से गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं।

क्यों मनाते हैं गंगा दशहरा?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा का उद्धार करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर ले आए थे। इसलिए गंगा के धरा अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है।

मंत्र
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः

 

गंगा दशहरा की पूजा विधि 
– इस दिन सुबह जल्दी उठकर सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगा घात में स्नान करने के लिए जाएं.

– अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो घर में ही सामान्य पानी में गंगा जल डालकर मां गंगा को याद स्नान करें.

– यदि गंगा घात पर स्नान कर रहे हैं तो पहले जल सूर्य देव को समर्पित करें.

– इसके बाद हर हर गंगे का उच्चारण करते हुए 10 बार डुबकी लगाएं.

– इसके बाद मां गंगा का पूजन करें.

– गंगा पूजन में हर चीज को 10 की संख्या में रखें.

– जैसे 10 दीपक, 10 फूल, 10 पान के पत्ते, 10 फल और 10 प्रकार के नैवेद्य आदि मां को अर्पित करें.

– जल में खड़े होकर गंगा स्तोत्र एवं गंगा मंत्रों का जाप करें.

– इसके बाद जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान दें.

– संभव हो तो 10 चीजों का दान करें.

 

गंगा दशहरा पर स्नान और दान का महत्व
गंगा दशहरा वाले दिन प्रातः काल गंगा में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है. साथ ही पान के पत्ते पर फूल और अक्षत रखकर जल में प्रवाहित कर दिया जाता है. दशहरा का मतलब है 10 विकारों का नाश, इसलिए दशहरा के दिन शुद्ध मन से मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं.

इसके अलावा गंगा दशहरा के दिन दान का विशेष महत्व है. भीषण गर्मी के प्रकोप को देखते हुए इस दिन गर्मी में काम आने वाली चीजों का दान किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गर्मी में राहत देने वाली 10 चीजों का दान करने से भी मनुष्य को सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है.

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