गर्भधारण की परीक्षा
——–: गर्भधारण की परीक्षा :——–
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(7) स्वप्न और मानसिक संकेत ——- आयुर्वेद के अनुसार, गर्भवती स्त्री को विशेष प्रकार के स्वप्न आ सकते हैं, जैसे दूध या बच्चों से संबंधित स्वप्न देखना।
(8) शरीर में उष्णता का अनुभव ——- गर्भवती महिला को शरीर में उष्णता का अनुभव हो सकता है, जिसे ‘पित्त’ दोष का बढ़ना माना जाता है।
(9) मन में बदलाव ——- गर्भवती स्त्री को मानसिक रूप से कुछ बदलाव, जैसे चिंता या अत्यधिक भावुकता महसूस हो सकती है।
(10) मुख के रंग में परिवर्तन होने लगता है।
(11) भोजन से अरूचि।
(12) शरीर में आलस्य आ जाता है और किसी भी कार्य करने में मन नही लगता है।
(13) पुरूष के प्रति आकृषण में कमी आ जाती है।
(14) खट्टी व सौंधी वस्तुओं के सेवन में रूचि बढ़ जाती है।
(15) शौच स्वच्छ नही आता है और नींद भी सही प्रकार से नही आती है।
(16) संभोग के बाद ही पुरूष से पूर्ण तृप्ति का अनुभव, गर्भाशय में भारीपन, थकावट, छाती का फड़कना, रोम खड़े हो जाने आदि अनुभवों का भी संयोग होता है।
ये लक्षण व्यक्तिगत और शारीरिक अवस्था पर निर्भर कर सकते हैं। आयुर्वेद में गर्भस्थापन की पुष्टि के लिए, विशेष जड़ी-बूटियों और उपचारों का उपयोग भी सुझाया जाता है। आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श से ही चलना सुरक्षित माना जाता है।
गर्भस्थापन का पता करने का एक सुरक्षित विधि यह भी है कि, ” थोड़ा सा शहद पानी मिलाकर पी लेने से, यदि थोडी़ देर में टुंडी में कुछ दर्द होने लगे , तो समझना चाहिए कि, गर्भ अवश्य है। यदि दर्द नही होता है , तो गर्भ रहने की संभावना बिल्कुल नही है।
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Credit & Source : Social Media