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शक के आधार पर टूटते रिश्ते_भाग २

शक के आधार पर टूटते रिश्ते_भाग २

डॉ वेद प्रकाश
नवादा (बिहार)
What’s app/Mob.__8051556455

कल के मेरे पोस्ट का काफी लोगों ने सराहा है वह अपने अमूल्य विचार what’s app पर दिया, इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.….
छोटी-सी भी ग़लतफ़हमी रिश्ते में कड़वाहट ला सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि रिश्ते में ग़लतफहमियां न आने दें और अगर आ ही गई हैं तो उसे फौरन दूर कर लें. आमतौर पर ग़लतफ़हमी का अर्थ होता है- ऐसी स्थिति जब कोई व्यक्ति दूसरे की बात या भावनाओं को समझने में असमर्थ होता है और जब ग़लतफ़हमियां बढ़ने लगती हैं, तो वे झगड़े का रूप ले लेती हैं, जिसका अंत कभी-कभी बहुत भयावह होता है.
ग़लतफ़हमी किसी कांटे की तरह होती है और जब वह आपके रिश्ते में चुभन पैदा करने लगती है, तो कभी फूल लगनेवाला रिश्ता आपको खरोंचे देने लगता है. जो जोड़ा कभी एक-दूसरे पर जान छिड़कता था, एक-दूसरे की बांहों में जिसे सुकून मिलता था और जो साथी की ख़ुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था, वो जब ग़लतफ़हमी का शिकार होने लगता है, तो रिश्ते की मधुरता व प्यार को नफ़रत में बदलते देर नहीं लगती. फिर राहें अलग-अलग चुनने के सिवाय उनके पास कोई विकल्प ही नहीं बचता.ऐसे में रोज सुबह शाम भजन संध्या करने वाला भी ईश्वर से घृणा करने लगता है।

डॉ वेद प्रकाश के अनुसार “जीवनसाथी को मेरी परवाह नहीं है या वह स़िर्फ अपने बारे में सोचता है, इस तरह की ग़लतफ़हमी होना कपल्स के बीच एक आम बात है. अपने पार्टनर की प्राथमिकताओं और सोच को ग़लत समझना बहुत आसान है, विशेषकर जब बहुत जल्दी वह नाराज़ या उदास हो जाते हों और कम्यूनिकेट करने के बारे में केवल सोचते ही रह जाते हों. असली द़िक्क़त यह है कि अपनी तरह से साथी की बात का मतलब निकालना या अपनी बात कहने में ईगो का आड़े आना, धीरे-धीरे फलता-फूलता रहता है और फिर इतना बड़ा हो जाता है कि ग़लतफ़हमी झगड़े का रूप ले लेती है. एक बार जब हम कम्यूनिकेशन न करने के निगेटिव चक्र में फंस जाते हैं, तो उसमें से निकलने या उसे सुधारने में बहुत व़क्त लग जाता है.”

क्यों होती है ग़लतफ़हमी?
धोखा- यह सबसे आम वजह है. यह तब पैदा होती है, जब एक साथी यह मानने लगता है कि उसके साथी का किसी और से संबंध है. ऐसा वह बिना किसी ठोस आधार के भी मान लेता है. हो सकता है कि यह सच भी हो, लेकिन अगर इसे ठीक से संभाला न जाए, तो निश्‍चित तौर पर यह विवाह के टूटने का कारण बन सकता है. जब भी आपको महसूस हो कि आपका साथी किसी उलझन में है और आपको शक भरी नज़रों से देख रहा है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं. हो सकता है आपका किसी से हंसकर बोलना या अपने कलीग की तारीफ़ करना ग़लतफ़हमी पैदा कर रहा हो. ऐसा संकेत मिलते ही पार्टनर से बात करें और बताएं कि किसी को दोस्त कहना या उसके साथ ज़्यादा व़क्त गुज़ारने का मतलब विवाहेतर संबंध नहीं होता. याद रखें, चाहे पति हो या पत्नी- दोनों ही अपनी-अपनी तरह से पार्टनर को लेकर पज़ेसिव होते हैं और इस बात का सम्मान करें.

स्वार्थी होना- पति-पत्नी के रिश्ते को मज़बूत बनाने और एक-दूसरे पर विश्‍वास करने के लिए ज़रूरी होता है कि वे एक-दूसरे से कुछ न छिपाएं और हर तरह से एक-दूसरे की मदद करें. जब आपके पार्टनर को आपकी ज़रूरत हो, तो आप वहां मौजूद हों. ग़लतफ़हमियां तब बीच में आ खड़ी होती हैं, जब आप सेल्फ सेंटर्ड होते हैं. केवल अपने बारे में सोचते हैं. ज़ाहिर है, तब आपका पार्टनर कैसे आप पर विश्‍वास करेगा कि ज़रूरत के समय आप उनका साथ देंगे या उनकी भावनाओं का मान रखेंगे.

ज़िम्मेदारियों को निभाने से कतराना- जब कभी पार्टनर अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने या उठाने से कतराता है, तो ग़लतफ़हमी पैदा होने लगती है. ऐसे सवाल मन में उठना तब स्वाभाविक होता है- क्या वह मुझे प्यार नहीं करता? क्या उसे मेरा ख़्याल नहीं है? क्या वह मजबूरन मेरे साथ रह रहा है? ग़लतफ़हमियां आपके बीच न आएं इसके साथ पति-पत्नी दोनों को अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियां ख़ुशी से उठानी चाहिए. मैरिज काउंसलर्स मानते हैं कि रिश्ता ज़िंदगीभर कायम रहे, इसके लिए तीन मुख्य ज़िम्मेदारियां अवश्य निभाएं- जीवनसाथी से प्यार करना, उस पर गर्व करना और अपने रिश्ते को बचाना.

वर्क और कमिटमेंट- आजकल जब महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर तक न रहकर विस्तृत हो गया है और वह हाउसवाइफ की परिधि से बाहर निकल आई हैं, ऐसे में पति के लिए आवश्यक है कि वह उसके काम और कमिटमेंट को समझे और कद्र करे. बदली हुई परिस्थितियों में उन्हें पूरा सहयोग दे. रिश्ते में आए इस बदलाव को हैंडल करना पति के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि यह बात आज के समय में ग़लतफ़हमी की सबसे बड़ी वजह बनती जा रही है. इसके लिए दोनों को ही एक-दूसरे के काम के कमिटमेंट्स के बारें में डिस्कस कर उसके अनुसार ख़ुद को ढालना होगा.

मेरी परवाह नहीं है- पति या पत्नी किसी को भी ऐसा महसूस हो सकता है कि उसके पार्टनर को न तो उसकी परवाह है और न ही वह उसे प्यार करता है. सच्चाई तो यह है कि विवाह ‘लविंग और केयरिंग’ के आधार पर टिका होता है. जब जीवनसाथी के अंदर ‘इग्नोर’ किए जाने या ग़ैरज़रूरी होने की फीलिंग आने लगती है, तब ग़लतफ़हमियों की दीवारें खड़ी होने लगती हैं.

दूसरों का हस्तक्षेप- जब दूसरे लोग, चाहे वे आपके ही परिवार के सदस्य हों या मित्र या रिश्तेदार हों, आपकी ज़िंदगी में हस्तक्षेप करने लगते हैं, तो ग़लतफ़हमियां खड़ी हो जाती हैं. ऐसे लोगों को कपल्स के बीच झगड़ा कराकर संतोष मिलता है और उनका मतलब पूरा होता है. यह तो सर्वविदित है कि आपसी फूट का फ़ायदा तीसरा व्यक्ति उठाता है. पति-पत्नी का रिश्ता चाहे कितना मधुर क्यों न हो, उसमें कितना ही प्यार क्यों न हो, पर असहमति या झगड़े तो फिर भी होते हैं और यह अस्वाभाविक भी नहीं है. जब ऐसा हो, तो किसी तीसरे के हस्तक्षेप करने की बजाय स्वयं उन मुद्दों को सुलझा लें, जो आपको परेशान कर रहे हों. याद रखें, अपनी समस्याएं केवल आप ही सुलझा सकते हैं, कोई तीसरा नहीं.

सेक्स को नज़रअंदाज़ न करें
– सेक्सुअल रिलेशन वैवाहिक जीवन में ग़लतफ़हमी की सबसे अहम् वजह है. पति-पत्नी दोनों ही चाहते हैं कि उनका पार्टनर उन्हें प्यार करे और उसका साथ उन्हें ख़ुशी देता है. पार्टनर को पास आने दें. सेक्स लाइफ को एंजॉय करें. जब आप दूरियां बनाने लगते हैं, तो शक और ग़लतफ़हमी दोनों ही रिश्ते को खोखला करने लगती हैं. आपका साथी आपसे ख़ुश नहीं है या आपसे दूर रहना पसंद करता है, यह रिश्ते में आई सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी बन सकती है.

डॉ वेद प्रकाश के अनुसार ग़लतफ़हमियों को दूर करने के उपयोगी उपाय

* अपने पार्टनर से नाराज़ होकर बोलचाल बंद करने की बजाय उससे बात करें. लेकिन उस समय जब वह सुनने के मूड में हो व परेशान या दुखी न हो. यदि वह क्रोधित हो, तो बात न छेड़ें और उनके तनावमुक्त होने का इंतज़ार करें.

* दोष न दें. जो हुआ उसके लिए साथी को दोषी न ठहराएं. ऐसा करने से वह आपकी बात सुनेंगे ही नहीं. जो हुआ, उससे कैसे निबटा जाए, इस पर बात करें.

* ग़लतफ़हमी को कुछ समय की नाराज़गी समझ नज़रअंदाज़ न करें. उसे तुरंत सुलझा लें.

* यदि ख़ुद सही ढंग से साथी से कम्यूनिकेट न कर पा रहे हों, तो मैरिज काउंसलर की मदद लें.

* अपने पार्टनर की बात को बहुत ध्यान व धैर्य से सुनें. बेशक आपको बुरा लग रहा हो, पर बात पूरी होने के बाद ही कुछ कहें या निर्णय लें. संवादहीनता रिश्तों को सबसे ज़्यादा खोखला करती है. जीवनसाथी के मन की बात जाने बिना आप उसे दोषी कैसे कह सकते हैं.

* अगर ग़लती हुई है, तो ‘सॉरी’ कहने में हिचकें नहीं. इस तरह से आप यह बताते हैं कि अपनी ग़लतियों की ज़िम्मेदारी उठाने में आप पीछे नहीं रहते हैं.

* माफ़ करने की आदत डालें. पार्टनर ने आपको ग़लत समझा, कोई बात नहीं. उसे माफ़ कर दें, क्योंकि आप दोनों ने बहुत अच्छा समय एक-दूसरे के साथ बिताया है.

* समझौतावादी बनें. शादी की सफलता व ख़ुशी दोनों की ही यह चाबी है. एक-दूसरे की भावनाओं व इच्छाओं का अगर सम्मान करते हैं, तो ग़लतफ़हमी होने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन उसके लिए आपको ख़ुद की भावनाओं और इच्छाओं पर नियंत्रण रखना और समझौता भी करना होगा.

* जो हुआ उसे भूल जाएं. ग़लतफ़हमियां होती हैं, पर दूर भी हो जाती हैं, उन्हें याद दिलाकर जीवनसाथी को कोसे नहीं.
पूरे लेख को पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद….. मेरे अगले पोस्ट में आप पढ़ेंगे इनसे निपटने के लिए सफल अनुभूत होमियोपैथिक दवाईयां आदि…. ।

अपने विचारों से अवगत जरूर कराएं जिससे मेरी लेखनी को ताकत मिल सके ।

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