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गुड़हल का शर्बत

गुड़हल का शर्बत :

यह हृदय को उल्लासित और मन को शांत करने वाला शरबत है ।
1- घटक द्रव्य और निर्माण ———–
पहली विधि ———
एनामेल, स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तन में , 250 ग्राम निंबू के रस में, ताजे 1000 नग खिले फुलों के छोटे – छोटे टुकड़े करके, भिगो दें और दुसरे दिन सुबह ऊपर नितरा हुआ पानी ( रस ) निकाल लें। फिर उसमें 2 किलो पानी और 2 किलो चीनी मिलाकर, दो तार की चाशनी बना लें। फिर कांच की बोतलों में आधा – आधा भरकर, टाईट बंद करके, 3 से 4 दिन तक डालकर रखें और फिर निकाल लें गुड़हल का शरबत तैयार है।
( यू. सि. यो. सं. )

दुसरी विधि ——–
गुलाबजल 100 ग्राम, केवडा़ का अर्क 100 ग्राम, पानी 300 ग्राम, चीनी 300 ग्राम, 5 कागजी निंबू का रस और गुड़हल की छाल अथवा फूल 25 ग्राम । इन सभी को बोतलों में भरकर, अच्छी प्रकार मुंह बंद करके, 3 दिन तक पानी में डुबोकर रखें। उसके बाद निकाल कर छान लें । आपका शरबत तैयार है।

2- गुणकारी और उपयोगी ———
* रक्त पित्त ( मूत्र का लाल आना ) में, अत्यंत लाभकारी है।
* शरबत के सेवन से, बढी़ हुई ह्रदय की धड़कनों का नियंत्रण होता है।
* इसके सेवन करने से , मूत्र की जलन शांत होती है।
* इस रोग में मूत्रकृच्छ रोग (मूत्र का रूक – रूक कर और कम मात्रा में आने को ) नियंत्रित करता है।
* ह्रदय की धड़कन का तेज होने पर, इस शरबत का सेवन लाभ देता है।
* यह शरबत ह्रदय को खुशी एवं मन को शांति प्रदान करता है।

3- मात्रा और अनुपान ——–
10 ग्राम से 20 ग्राम तक को , 120 ग्राम पानी या अर्क गावजवान के साथ सेवन करें।

विशेष ——
‘ घर – घर आयुर्वेद योजना ‘ से संबंधित जानकारी एवं सहयोग हेतु , संदेश के लिए, watsapp no. 7818839397 का उपयोग करें ।

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