छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने से बेहतर है कि जिंदगी के हर पल को एन्जॉय करें
छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने से बेहतर है कि जिंदगी के हर पल को एन्जॉय करें
यह 28 तारीख की सुबह थी। मैं रोज की तरह ट्रेन में बैठा था। सभी लोग अपने-अपने स्थान पर बैठे थे, लेकिन आज दिपेश ने उसी बोगी में आगे के डिब्बे में बैठने का फैसला किया। गुप्ता जी उठकर गए और दिपेश को बुलाने की कोशिश की, लेकिन दिपेश ने मना कर दिया और वहीं बैठे रहे। मैंने सोचा, शायद उन्हें कुछ अकेले रहने की जरूरत है, इसलिए मैंने उन्हें परेशान नहीं किया।
जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंची, तो सभी लोग उतरने लगे। मैंने दिपेश को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैंने सोचा कि शायद वह स्टेशन पर ही होंगे, लेकिन जब मैं वहां पहुंचा, तो वह नहीं दिखाई दिए। मैं थोड़ा चिंतित हो गया, लेकिन फिर सोचा कि शायद वह सीधे ऑफिस चले गए होंगे।
मैं नए बस अड्डे के लिए चल पड़ा। जब मैं वहां पहुंचा, तो देखा कि दिपेश वहां खड़े हैं। मैंने उन्हें देखते ही मुस्कुराकर हाथ हिलाया, लेकिन उन्होंने मुंह घुमाकर चल दिए। मैंने पीछे से आवाज लगाई, “दिपेश! रुको यार!” लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। मुझे थोड़ा गुस्सा आया, लेकिन मैंने खुद को शांत कर लिया। मैंने सोचा कि ऑफिस पहुंचकर उन्हें फोन करूंगा और पूछूंगा कि उन्होंने मुझे इग्नोर करने की क्या वजह थी।
लेकिन इससे पहले कि मैं उन्हें फोन कर पाता, मेरा फोन बज उठा। दिपेश का नाम स्क्रीन पर चमक रहा था। मैंने फोन उठाया और उनकी आवाज सुनी, “मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।” मैंने शांत स्वर में कहा, “दिपेश, टोनीकार्ड ले लो और साथ ही गाना सुनो। सब सही होगा। और वजह ढूंढो कि किस वजह से गुस्सा आ रहा है।”
शाम को जब हम ऑफिस से निकले, तो दिपेश ने मुझे बताया कि सुबह जब वह स्टेशन आ रहे थे, तो एक व्यक्ति मिला जिसने कहा, “मोबाइल में देखकर बता दो कि ट्रेन कहां आ गई है।” दिपेश को यह बात बहुत बुरी लगी। उन्होंने अपना फोन उसके पास फेंक दिया और कहा, “लो देख लो।” यही वह वजह थी जिसकी वजह से वह गुस्से में थे।
मैंने दिपेश को समझाया, “यार, कभी-कभी लोग बिना सोचे-समझे बोल देते हैं। उनकी बातों पर गुस्सा करने से बेहतर है कि उन्हें नजरअंदाज कर दो। तुम्हारा गुस्सा तुम्हारे अंदर ही जलता रहेगा, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
दिपेश ने मेरी बात सुनी और मुस्कुरा दिया। उस दिन के बाद से हमने यह तय किया कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने के बजाय, हम जिंदगी के हर पल को एन्जॉय करेंगे। क्योंकि जिंदगी बहुत छोटी है, और गुस्सा करने के लिए इसमें समय बर्बाद करना बेकार है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि:
- हमें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए।
- हमें लोगों को माफ करना सीखना चाहिए।
- हमें जिंदगी के हर पल को एन्जॉय करना चाहिए।
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