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जानें हस्तरेखा से भविष्य… 22

जानें हस्तरेखा से भविष्य… 22
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अंगूठे के पोर (पर्व)

अंगूठे के मुख्यतः तीन पोर होते हैं।

पहला पोर:- यह पोर इच्छा- शक्ति का माना जाता है। प्रथम पोर अत्यंत लम्बा हो तो जातक तर्क- शक्ति या युक्ति पर बिल्कुल निर्भर नहीं होता हैं। ऐसे जातक को केवल अपनी इच्छा- शक्ति पर विश्वास होता है। और इसी को वह इस्तेमाल करता है।

दूसरा पोर (पर्व):- यह पोर तर्क- शक्ति से सम्बन्धित माना जाता है। जब दूसरा पर्व प्रथम पर्व से अत्यधिक लम्बा हो तो जातक शान्तिप्रिय होता है और हर काम को युक्ति के साथ समाप्त करना चाहता है। लेकिन उसमें अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए इच्छा-शक्ति और दृढ़ निश्चय नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की बात को महत्व नहीं देते हैं। ये अत्यधिक बातूनी होते हैं।

तृतीय पोर ( पर्व):- तीसरा पोर लम्बा होता है और अंगूठा छोटा होता है। तो पुरुष या स्त्री की विषय वासना की ओर प्रबल प्रवृत्ति होती है। ऐसा व्यक्ति समाज में सम्मानीय जीवन व्यतीत करने वाला, विचलित होने वाला होता है। प्रेम के आवेग में यह जीवन-मरण की स्थिति को पहुंच जाता है।


राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो.
9611312076

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