हाथों के प्रकार
हाथों के प्रकार
हस्तरेखा के अंतर्गत हाथों को मुख्यतः 7 भागों में विभाजित किया गया है
1. प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ
2. वर्गाकार अथवा चौरस हाथ
3. चमचाकार अथवा कर्मठ हाथ
4. दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ
5. कलात्मक अथवा नुकीला हाथ
6. आदर्श हाथ
7. मिश्रित हाथ
1. प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ :—
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हाथ के पहले प्रकार में प्रारंभिक अथवा अविकसित हाथ आता है। ऐसे हाथ वाले जातकों के मस्तिष्क का विकास बहुत कम होता है। ऐसे जातकों का वैचारिक स्तर अत्यंत निम्न कोटि का होता है। ऐसे हाथ देखने में बड़े मोटे, भद्दे, सख्त बेढंगें एवं भारी हथेली वाले होते हैं तथा इनकी उंगलियां भी छोटी, बेढंगीं, अंगूठा भी छोटा व मोटा और नाखून छोटे होते हैं। इस हाथ वाले वाले व्यक्ति जल्दी आवेश में आ जाते जाते हैं। ऐसे हाथ वाले जातक स्वयं में बुद्धिमान नहीं होते हैं इसलिए दूसरों की नकल करने की प्रवृत्ति पाई जाती है। इनमें अपराधी प्रवृत्ति अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक पाई जाती है।
2. वर्गाकार अथवा चौरस हाथ :—
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हाथ के दूसरे प्रकार में वर्गाकार अथवा चौरस हाथ आता है। इस प्रकार के हाथों की हथेलियाँ कलाई के पास वर्गाकार अथवा चौरस होती है तथा उंगलियों की जड़ें एवं उंगलियां भी वर्गाकार अथवा चौरस प्रतीत होती है। वर्गाकार हाथ की हथेली और उंगलियों के सिरे भी चौरस होते हैं। वर्गाकार हाथ को उपयोगी हाथ भी कहा जा सकता है। ऐसे हाथों के नाखून भी प्रायः छोटे और वर्गाकार अथवा चौरस होते हैं। इन हाथों की उंगलियों में गांठें विशेष रूप से दिखाई देती है वर्गाकार हाथों की उंगलियां एक विशेष लचक लिए होती हैं। इस प्रकार के हाथों वाले जातक प्रायः बुद्धिजीवी होते हैं। समाज के लिए ये कुछ ऐसा कर जाते हैं कि आने वाले समय में इन्हें याद किया जाता है। अपने समाज के प्रधान रहकर उसको सही दिशा – निर्देश देना, इनकी एक अतिरिक्त खूबी होती है। ऐसे व्यक्ति दार्शनिक विचारधारा वाले कलाकार, साहित्यकार, मनोवैज्ञानिक और सुसंस्कृत होते हैं। ऐसे जातक धन की अपेक्षा मान-सम्मान को अधिक महत्व देते हैं।
3. चमचाकार अथवा कर्मठ हाथ :—
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हाथ के तीसरे प्रकार में चमचाकार अथवा कर्मठ हाथ आता है। ऐसे हाथ को चमचाकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी कलाई अथवा उंगलियों के जोड़ों के पास हथेली असाधारण रूप से चौड़ी होती है। ऐसी हथेलियां जब कलाई के पास अधिक चौड़ी होती है, तो उंगलियों की ओर जाते हुए कुछ नुकीली हो जाती हैं। लेकिन यदि हथेलियों की चौड़ाई उंगलियों की जड़ जड़ के पास अधिक हो तो नुकीलापन कलाई की ओर ओर दिखाई पड़ता है। चमचाकार हाथ भी अपने आप में कई एक विविधता समेटे हुए होते हैं। जैसे कि चमचाकार हाथ, यदि कठोर अथवा दृढ़ हो तो, व्यक्ति उत्तेजित प्रकृति का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति काफी सजक रहते हैं। लेकिन यदि चमचाकार हाथ गद्देदार अथवा कोमल हो तो व्यक्ति के स्वभाव में कुछ चिड़चिड़ापन एवं अस्थिरता होती है। ऐसे व्यक्ति किसी काम को देर तक जमकर नहीं कर पाते बल्कि काम को टुकड़ों में निपटाना पसंद करते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति भी क्रियाशील होते हैं तथा स्वतंत्रता के प्रति इनमें भी गहरा लगाव होता है। चमचाकार हाथ वाले जातक आविष्कारक, खोजकर्ता, मैकेनिक, इंजीनियर, समाज – सुधारक अथवा नाविक होते हैं । प्रायः हर क्षेत्र में इस प्रकार के व्यक्ति के मिल जायेंगे। चमचाकार हाथ का आकार काफी बड़ा तथा इनकी उंगलियां भी पूर्ण विकसित होती हैं। स्वाधीनता या स्वतंत्र रहने की भावना इनमें कूट-कूट कर भरी होती है। अपनी इसी इसी सनक के कारण, ये लोग सत्य की खोज में लगे रहते हैं और अपने बलबूते प्रसिद्धि व ख्याति के नये – नये आयाम स्थापित करते हैं।
4. दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ :—
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हाथ के चौथे प्रकार में दार्शनिक अथवा गांठदार हाथ आता है इस प्रकार के हाथ लंबे, पतले और अस्थिप्रधान होते हैं। दार्शनिक हाथों की उंगलियां गांठदार होती हैं। उनके जोड़ सुविकसित तथा नाखून लंबे होते हैं। दार्शनिक हाथ वाले व्यक्ति पैसे की बजाय ज्ञान और बुद्धि को अधिक महत्व देते हैं। इसीलिए यह पैसा कमाने के मामले में यह पीछे रह जाते हैं। ऐसे हाथ वाले व्यक्ति बुद्धिजीवी, चिंतक और संतोषी कहे जा सकते हैं। किसी की भी बात पर बिना सोचे समझे, ऐसे व्यक्ति कभी विश्वास नहीं करते। दार्शनिक हाथ बाला व्यक्ति बहुत सोच समझकर ही ही किसी भी बात को स्वीकार करते है। आवश्यकता से अधिक तर्क – वितर्क करना इनकी प्रवृत्ति में शामिल रहता में शामिल रहता है। भले ही इस कारण आगे चलकर इनको हानि ही क्यों न उठानी पढ़े? ऐसे हाथ वाला जातक विद्वान तथा सतत चिंतनशील होता है।
5. कलात्मक अथवा नुकीला हाथ :—
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हाथ के पांचवें प्रकार में नुकीला अथवा कलात्मक हाथ आता है। इस प्रकार के हाथ मध्यम आकार के होते होते हैं। इन हाथों की हथेली कुछ लंबी होती है तथा उंगलियां जड़ के पास भरी हुई तथा नाखूनों की ओर जाते हुए नुकीली हो जाती है। भावावेश और अंतर्ज्ञान कलात्मक हाथ की दो प्रमुख विशेषताएं होती हैं। कलात्मक हाथ भरे-भरे कोमल तथा लंबी उंगली वाले एवं उनके नाखून भी लंबे होते हैं। इस प्रकार के हाथ वाले जातक तर्क द्वारा नहीं, बल्कि भावावेश में आकर किसी भी बात का फैसला करते हैं। हर्ष और विषाद दोनों की ही अति इनकी स्वभाव में में शामिल होती है। कलात्मक हाथ वाले जातक में परिश्रम करने की शक्ति, लगन और दृढ़ता कि कमी स्पष्ट दिखाई देती है। कलात्मक हाथ वाले जातक सुख शांति से रहने बाले तथा यह थोड़े चिड़चिड़े व खुशमिजाज स्वभाव के भी होते हैं।
6. आदर्श हाथ :—
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हाथ के छठवें प्रकार में आदर्श हाथ आता है। आदर्श हाथ देखने में जितना सुंदर होता है, उतना ही यह सांसारिक दुनिया में अनुपयोगी साबित होता है। ऐसे हाथ वाले व्यक्तियों का जीवन आदर्शवादिता से भरपूर होता है। समय के साथ ताल बेताल मिलाकर चलना इन्हें रास नहीं आता यह अपना जीवन आदर्शों के साथ ही बिताना पसंद करते हैं इसी कारण इनका सामाजिक जीवन सफल नहीं कहा जा सकता लोग इन से से एक दूरी बनाकर रखना ही पसंद करते हैं लेकिन यह दिल के बहुत पक्के होते हैं जिस कार्य को अपने आदर्शों की अनुकूल समझते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं आकृति के आधार पर आदर्श हाथ को सर्वाधिक सुंदर हाथ की श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि इनकी बनावट लंबी व संकरी तथा उंगलियां भी पतली एवं ढलवा तथा नाखून लंबे व बादाम जैसा आकार लिए हुए होते हैं। इस प्रकार के हाथों वाले व्यक्ति के अंदर ऊर्जा की सतत कमी पाई जाती है जिस कारण वह निष्क्रिय से दिखाई पड़ते हैं। आदर्श हाथ वाले जातक कठोर परिश्रम करने से बचते हैं। फलतः यह जीवन के कठिन संघर्षों में विजय प्राप्त नहीं कर पाते या फिर सामना ही नहीं कर पाते। ये ज्यादातर अपने सपनों की दुनिया में ही जीते हैं। आदर्श हाथ वाले जातक प्रत्येक वस्तु में सौंदर्य तलाशते हैं।
7. मिश्रित हाथ :—
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हाथ के सातवें प्रकार में मिश्रित हाथ आता है। मिश्रित हाथ के बारे में बता पाना या फिर लिख पाना नितांत ही मुश्किल कार्य है। क्योंकि इस प्रकार के हाथ को किसी भी श्रेणी में रख पाना संभव नहीं है। मिश्रित हाथ में उंगलियां मिश्रित लक्षणों वाली होती है। एक नुकीली तो दूसरी चपटी, तीसरी वर्गाकार तो चौथी दार्शनिक। मिश्रित हाथ वाले जातकों के विचार एवं कार्य निरन्तर परिवर्तनशील होते हैं। ऐसे जातक हर परिस्थिति में सामंजस्य बनाए रखने में काफी चतुर होते हैं।ये मनमोजी स्वभाव के होते हैं। जिंदगी के प्रत्येक क्षेत्र मैं, चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो अथवा कला का का या फिर कोरी गप-शप या मजाक का विषय ही क्यों ना हो, ऐसे व्यक्ति बड़े होशियार होते हैं। मिश्रित हाथ वाले व्यक्ति के हाथ में यदि मस्तिष्क रेखा बलवान हो तो ऐसे जातक अपनी अनेक योग्यताओं में से से में से सर्वश्रेष्ठ को चुनकर उसका उचित उपयोग करने में समर्थ सिद्ध हो सकते हैं।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076