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हयग्रीव जयंती आज

हयग्रीव जयंती आज
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हयग्रीव जयंती भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार की जयंती है, जिसे भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान हयग्रीव की पूजा ज्ञान, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए की जाती है। भगवान विष्णु के प्रमुख 24 अवतारों में से ‘हयग्रीव’ भी एक अवतार हैं।
हयग्रीव जयंती कब है?
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हयग्रीव जयंती- 08 अगस्त, शुक्रवार (श्रावण, शुक्ल पक्ष पूर्णिमा)
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अगस्त 08, 2025 को 02:12 पी एम बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – अगस्त 09, 2025 को 01:24 पी एम बजे तक
हयग्रीव जयंती पूजा मुहूर्त- 04:27 पी एम से 07:07 पी एम मिनट तक रहेगा।
इसकी कुल अवधि – 02 घण्टे 40 मिनट्स की होगी।
हयग्रीव भगवान कौन हैं?
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भगवान हयग्रीव, श्रीविष्णु के एक दिव्य अवतार हैं जिनका स्वरूप अश्वमुख यानी घोड़े के मुख वाला है। वे ज्ञान, बुद्धि, वेद और विद्या के देवता माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जब दैत्य मधु और कैटभ ने वेदों को चुराकर पाताल में छिपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने हयग्रीव रूप में अवतार लेकर वेदों की रक्षा की थी। हयग्रीव को विशेष रूप से विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, और आध्यात्मिक साधकों द्वारा पूजनीय माना जाता है।
क्या है हयग्रीव जयंती?
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हयग्रीव जयंती भगवान हयग्रीव के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को आता है और दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक में बड़े श्रद्धा से मनाया जाता है। इसे वेदों की रक्षा और ज्ञान की विजय के प्रतीक दिवस के रूप में देखा जाता है।
क्यों मनाते हैं हयग्रीव जयंती?
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हयग्रीव जयंती इस स्मृति के रूप में मनाई जाती है कि कैसे भगवान ने अज्ञान, भ्रम और असुरता पर विजय पाकर वेदों को पुनः प्राप्त किया। यह दिन विशेष रूप से विद्या, विवेक, स्मरण शक्ति और आध्यात्मिक जागरण की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
हयग्रीव जयंती का महत्व
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वेदों की रक्षा की प्रेरणा
ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक दिन
साधकों व विद्यार्थियों के लिए विशेष दिन
आध्यात्मिकता में उन्नति का अवसर
श्रीविष्णु के दुर्लभ रूप की आराधना
हयग्रीव जयंती की पूजा विधि
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हयग्रीव जयंती पर भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन की जाने वाली पूजा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है। इस दिन पूजा-पाठ करके आप भगवान हयग्रीव की कृपा पा सकते हैं।
हयग्रीव जयंती के दिन प्रातःकाल उठकर, स्नान तथा नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं।
फिर इसके पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब पूजा स्थल पर पूर्व दिशा व उत्तर दिशा की ओर मुख कर के आसन ग्रहण करें।
फिर सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा को गंगाजल से साफ करके उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
अब गणपति जी को गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत आदि चढ़ाएं ।
इसके बाद अब भगवान श्री हयग्रीव जी का पूजन करें। इसके लिए सबसे पहले हयग्रीव जी को पंचामृत और जल से स्नान कराएं।
फिर उनकी प्रतिमा पर पुष्प माला पहनाएं और
ॐ नमो भगवते आत्मविशोधनाय नमः॥
ॐ वागीश्वर्यै विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हंसः प्रचोदयात्॥
मंत्र का उच्चारण करते हुए, उनका तिलक करें।
इसके पश्चात, आप उन्हें धूप, दीप, अक्षत, मौसमी फल, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
आपको बता दें, इस दिन विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
अंत में भगवान का ध्यान करते हुए प्रभु की आरती उतारें और किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।
पूजा संपूर्ण होने के बाद प्रसाद अवश्य वितरित करें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

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