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शिक्षा और अनुभव पर आधारित प्रश्नों का संयुक्त समावेश

एक नव नियोजित शिक्षिका का इंटरव्यू—

शिक्षा और अनुभव पर आधारित प्रश्नों का संयुक्त समावेश: अमृता शर्मा, उच्च माध्यमिक विद्यालय समस्तीपुर, बिहार

डाॅ वेद प्रकाश: आपकी शैक्षिक योग्यता क्या है?
अमृता शर्मा: सर! मैं एम.एस.सी और बी.एड की हूं और सब्जेक्ट मेरा जूलॉजी है।

डाॅ वेद प्रकाश: आप कोई और सब्जेक्ट से लगाव रखती हैं क्या?
अमृता शर्मा: वैसे तो मुझे भूगोल और साइकोलॉजी भी काफी पसंद है। बाद में इन्हें मुझे छोड़ना पड़ा। वैसे मेरा सब्जेक्ट तो जूलॉजी है लेकिन मनोविज्ञान में भी मुझे काफी रुचि है क्योंकि एक दूसरे के मन को की बात को समझना मुझे काफी अच्छा लगता है। दूसरे की मन की बात समझने की अगर कोई शक्ति देती है तो वह मनोविज्ञान ।

डाॅ वेद प्रकाश: आपके पास कितना अनुभव है?
अमृता शर्मा: सर ! मैं एक साइंस की टीचर हूं और मैं अपने बच्चों को अच्छे ढंग से सही शिक्षा ही दे रही हूं और इसके लिए मेरे पास पर्याप्त अनुभव हैं बीच-बीच में सरकार के द्वारा दिए गए ट्रेनिंग का भी हम उपयोग अपने शिक्षा प्रणाली मिल रहे हैं।

डाॅ वेद प्रकाश: आपने किन विषयों में विशेषज्ञता हासिल की है?
अमृता शर्मा: जूलॉजी (साइंस)

डाॅ वेद प्रकाश: आपकी शिक्षण शैली क्या है?
अमृता शर्मा: सर ! शिक्षक शौली वह जिसमें हम पारंगत होना चाहते हैं उसमें हमें कठिन मेहनत और लगन से पढ़ाई करनी होगी साथ ही साथ उसमें रुचि रखनी होगी। और फिर वह शिक्षा हम अपने बच्चों को उसके समय अनुकूल दे सकें ।

डाॅ वेद प्रकाश: आपके शिक्षक दर्शन क्या रहे?
अमृता शर्मा: शिक्षक दर्शन के बारे में मैं यही कहना चाहूंगी कि जो शिक्षक अपने ग्रहण की हुई शिक्षा को बच्चों तक पहुंचने में असमर्थ है ।वह शिक्षक के नाम पर कलंक है।

डाॅ वेद प्रकाश: आप अपने छात्रों से क्या उम्मीदें रखती हैं?
अमृता शर्मा: हम छात्रों से यही उम्मीद करते हैं सर कि हम बच्चों को जो शिक्षा दे रहे हैं वह उसे ग्रहण करके समय-समय पर उसका सदुपयोग करें और ऊंचाइयों तक पहुंचे। जिन चीजों को हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं सीखा रहे हैं उसे समयानुसार बच्चे अमल करें और एक अच्छा नागरिक बने। हम बच्चों को इस तरह की शिक्षा देना चाहते हैं जो उसके जीवन में कभी काम आ सके।

डाॅ वेद प्रकाश: आपके अनुसार एक अच्छे शिक्षक के क्या गुण होने चाहिए?
अमृता शर्मा: वैसे तो सर एक अच्छे शिक्षक के कई गुण होने चाहिए, लेकिन कम से कम दो गुण आवश्यक होने चाहिए पहला व्यक्तिगत गुण और दूसरा शैक्षणिक गुण।

डाॅ वेद प्रकाश: जिन दो गुणों को आपने बताया है । क्या उसे आप विस्तार पूर्वक मुझे बता सकती हैं?
अमृता शर्मा: जी हां बिल्कुल बता सकती हूं। (शिक्षिका मुस्कुराते बोलती है)क्यों नहीं बताऊंगी सर!

 

व्यक्तिगत गुण
क. सहानुभूति और करुणा: एक अच्छे शिक्षक को अपने छात्रों की भावनाओं और समस्याओं को समझने में सक्षम होना चाहिए।
ख. धैर्य और सहनशीलता: शिक्षक को अपने छात्रों के साथ धैर्य और सहनशीलता के साथ पेश आना चाहिए।
ग. निष्पक्षता और समानता: एक अच्छे शिक्षक को अपने सभी छात्रों के साथ निष्पक्षता और समानता के साथ पेश आना चाहिए।

शैक्षिक गुण
क. विषय की जानकारी: एक अच्छे शिक्षक को अपने विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए।
ख. स्पष्ट और प्रभावी शिक्षण: शिक्षक को अपने छात्रों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से शिक्षित करने में सक्षम होना चाहिए।
ग. छात्रों की प्रगति का मूल्यांकन: एक अच्छे शिक्षक को अपने छात्रों का हमेशा मूल्यांकन करते रहना चाहिए कि कौन बच्चे कमजोर हैं ?और उसे कमजोर बच्चों के प्रति लगाओ बढ़ाना चाहिए और उसकी कमजोरी को दूर करना चाहिए।

डाॅ वेद प्रकाश: आप कौन सी शिक्षण पद्धतियों का उपयोग करती हैं?
अमृता शर्मा: सर! सरकार ने हमको समय-समय पर विशेष शिक्षा पद्धति की जानकारी दे रही है साथ ही साथ ट्रेनिंग भी करवाती है परंतु प्रैक्टिकल क्षेत्र में वह उतने कम नहीं आते हैं।
वैसे मैं एक विशेष शिक्षा पद्धति को अपनाती हूं जो छात्रों को सीखने और समझने में मदद करते हैं। वैसे मैं जिस शिक्षा पद्धति को अपनाती हूं वह है
A. समूह चर्चा: छात्रों को समूहों में बांटकर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित हमेशा करते हैं।
B. प्रोजेक्ट-आधारित सीखना: छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
C. हाथों-हाथ सीखना: छात्रों को व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से सीखने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।
D. व्यक्तिगत ध्यान: प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत ध्यान देना और उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं।
E. लचीला पाठ्यक्रम: सर मैं अपने पाठ्यक्रम को लचीला बनाकर शिक्षा दे रहे हो जिससे बच्चे काफी जल्दी सीखते हैं।
F. प्रतिक्रिया और मूल्यांकन: छात्रों को नियमित प्रतिक्रिया और मूल्यांकन भी प्रदान करते हैं ताकि वे अपनी प्रगति को समझ सकें।
G. ऑनलाइन संसाधन:
सरकार ने हर स्कूल को एक प्रोजेक्टर प्रोवाइड करवाया है तो इसका उपयोग करके छात्रों को विभिन्न विषयों के बारे में जानने का अवसर प्रदान कराते हैं।
H. डिजिटल टूल्स: बिहार सरकार ने शिक्षा पर काफी ध्यान दिया है तो मैं डिजिटल टूल्स का उपयोग करके छात्रों को सीखने के लिए एक इंटरैक्टिव और आकर्षक अनुभव प्रदान कराते रहते हैं।

सर!मेरे जैसे इन शिक्षण पद्धतियों का उपयोग करके, शिक्षक छात्रों को एक सक्रिय, व्यक्तिगत और प्रौद्योगिकी-आधारित सीखने का अनुभव प्रदान कर सकते हैं।

डाॅ वेद प्रकाश: आप तकनीक का उपयोग कैसे करती हैं?
अमृता शर्मा: सर ,! मैं तो एक साइंस की शिक्षिका हूं और सरकार के द्वारा दिए गए तकनीक का यथासंभव में उपयोग करके अपने छात्रों को संतुष्ट करने का प्रयत्न करती हूं जैसे
A. व्हाट्सएप मैसेजिंग: _व्हाट्सएप मैसेजिंग के माध्यम से शिक्षक और छात्रों के बीच संचार किया जा सकता है।
2. वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग: वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षक और छात्रों के बीच ऑनलाइन बैठकें आयोजित की जा सकती हैं।

डाॅ वेद प्रकाश: सरकार के द्वारा दिए गए तकनीक के अलावा आप बच्चों को प्रैक्टिकल भी करवाती हैं क्या?
अमृता शर्मा: सरकार द्वारा दिए गए तकनीक के अलावा, बच्चों को प्रैक्टिकल में मैं छात्रों निम्नलिखित गतिविधियाँ करवाती हू:
A. विज्ञान प्रयोग: बच्चों को विभिन्न प्रयोग करवाती हूं, जैसे कि विद्युत, यांत्रिकी, और रसायन विज्ञान।
B. रोबोटिक्स और कोडिंग: बच्चों को रोबोटिक्स और कोडिंग की मूल बातें सिखाते हैं।
C. _चित्रकला _: बच्चों को चित्रकला के द्वारा माइक्रोकॉड्रिया और सेल्स वगैरा बनाने के लिए मैं बोलती हूं।
D. संगीत और नृत्य व कबड्डी: बच्चों को मेरी इस स्कूल के सभी टीचर संगीत और नृत्य की मूल बातें यह नहीं बताते बल्कि कबड्डी जैसी प्रतियोगिता भी समय-समय पर करवाते रहते हैं आपने देखा होगा कुछ दिन पहले सभी समाचार पत्र में इस स्कूल का नाम आया था।
E. साहित्य और कविता: क्योंकि मैं साइंस के टीचर हूं तो मैं अपने बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी देते रहती हूं। बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में सिखाते रहते हैं।

डाॅ वेद प्रकाश: जिन स्कूलों में सरकार ने तकनीक के ऊपर ध्यान नहीं दिया प्रोजेक्टर आदि नहीं है तो ऐसी कंडीशन में विज्ञान के शिक्षक बच्चों को कैसे पढ़ते हैं जिससे बच्चे का उज्जवल भविष्य हो सके
अमृता शर्मा: सर!ऐसी स्थिति में जहां के सरकारी स्कूलों में तकनीक की कमी है, विज्ञान के शिक्षकों को कुछ वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करना पड़ता है ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान की जा सके। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनका उपयोग विज्ञान के शिक्षक कर सकते हैं:
1. शिक्षक प्रयोगशाला प्रयोगों का उपयोग करके बच्चों को विभिन्न विज्ञान की अवधारणाओं के बारे में सिखा सकते हैं।
2. प्रयोगशाला प्रयोगों का उपयोग करके बच्चों को विभिन्न प्रकार के विज्ञान के प्रयोगों के बारे में सिखाया जा सकता है।
3. शिक्षक चित्र और मॉडल का उपयोग करके बच्चों को विभिन्न विज्ञान की अवधारणाओं के बारे में सिखा सकते हैं।
4. चित्र और मॉडल का उपयोग करके बच्चों को विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं, पौधों और अन्य वस्तुओं के बारे में सिखाया जा सकता है।
सर! कभी कभी तो मुझे कहानी और नाटक का उपयोग करके बच्चों को विभिन्न विज्ञान की अवधारणाओं के बारे में सिखाना पड़ता है और ऐसा करना हमें काफी पसंद है ।मुझे काफी अच्छा लगता है।
इस तरह से हम बिना तकनीक के भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं और उनके उज्जवल भविष्य के लिए तैयार करते हैं।

डाॅ वेद प्रकाश: आपके अनुसार शिक्षण में तकनीक का क्या महत्व है?
अमृता शर्मा: शिक्षण में तकनीक का बहुत महत्व है, क्योंकि यह शिक्षा को अधिक प्रभावी और रोचक बना सकती है। तकनीक के माध्यम से शिक्षक अपने पाठ्यक्रम को अधिक आकर्षक और इंटरैक्टिव बना सकते हैं, जिससे छात्रों की रुचि और समझ बढ़ सकती है। तकनीक के महत्वपूर्ण पहलू जो शिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे —
ऑनलाइन शिक्षा ,इंटरैक्टिव पाठ्यक्रम,वीडियो और ऑडियो सामग्री,ऑनलाइन मूल्यांकन:

डाॅ वेद प्रकाश: शिक्षा विभाग में सरकार की तरफ से क्या कमी नजर आती है?

अमृता शर्मा: सर! इस तरह का क्वेश्चन मुझसे ना करें ।मैं सरकार के खिलाफ कुछ बोल नहीं सकती हूं ।क्योंकि मैं सरकार के अंदर ही काम कर रही हूं। वैसे मैं आपके इस प्रश्न का भी मैं उत्तर देने में अपने आप को सक्षम मानती हूं लेकिन आपसे अनुरोध है कि हमारे प्रश्न को गलत तरीके से प्रकाशित न करें। सरकार की तरफ से भी कुछ कमियां है जैसे–                                                                                                        1. तकनीकी संसाधनों की कमी: कई सरकारी स्कूलों में तकनीकी संसाधनों की कमी है, जैसे कि कंप्यूटर, इंटरनेट और प्रोजेक्टर।
2. तकनीकी शिक्षा की कमी: कई सरकारी स्कूलों में तकनीकी शिक्षा की कमी है, जिससे शिक्षकों को तकनीक का उपयोग करने में परेशानी होती है।
3. इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी: कई सरकारी स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी है, जिससे ऑनलाइन शिक्षा और अन्य तकनीकी संसाधनों का उपयोग करना मुश्किल होता है। यहां तक की कभी-कभी हम अपना अटेंडेंस भी नहीं बना पाते हैं।
4. तकनीकी समर्थन की कमी: कई सरकारी स्कूलों में तकनीकी समर्थन की कमी है, जिससे शिक्षकों को तकनीक का उपयोग करने में परेशानी होती है।इन कमियों को दूर करने के लिए सरकार को तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता बढ़ानी, तकनीकी शिक्षा प्रदान करनी और इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

डाॅ वेद प्रकाश: आप अपने छात्रों के साथ कैसा संबंध बनाती हैं?
अमृता शर्मा: एक शिक्षक के रूप में, मैं अपने छात्रों के साथ एक सकारात्मक और सहायक व्यवहार रखने का प्रयास करती हूँ। आज कुछ तरीके आपको बताती हूं जिनसे मैं अपने छात्रों के साथ व्यवहार करती हूँ:
क. मैं अपने छात्रों के साथ सम्मान और सहानुभूति के साथ व्यवहार करती हूँ।
ख. मैं उनकी भावनाओं और समस्याओं को समझने का प्रयास करती हूँ।
ग. मैं अपने छात्रों को सकारात्मक प्रोत्साहन देने का प्रयास करती हूँ।
घ. मैं उनकी उपलब्धियों को पहचानने और उनकी प्रशंसा करने का प्रयास करती हूँ।
ड़. मैं अपने छात्रों को व्यक्तिगत रूप से भी ध्यान देने का प्रयास करती हूँ।
च. मैं उनकी व्यक्तिगत समस्याओं और जरूरतों को समझने का प्रयास करती हूँ।
छ. मैं अपने छात्रों के साथ सहयोग और संचार को बढ़ावा देने का प्रयास करती हूँ।
ज. मैं उनके साथ खुलकर बातचीत करने और उनकी समस्याओं को सुनने का प्रयास करती हूँ।

डाॅ वेद प्रकाश: आप छात्रों की समस्याओं का समाधान कैसे करती हैं?
अमृता शर्मा: एक शिक्षक के रूप में, मैं छात्रों की समस्याओं का समाधान करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करती हूँ:
क. मैं छात्र की समस्या को समझने का प्रयास करती हूँ।
ख. मैं छात्र से उनकी समस्या के बारे में पूछताछ करती हूँ और उनकी बातों को ध्यान से सुनती हूँ।
ग. मैं समस्या के समाधान के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज करती हूँ।
घ. मैं छात्र के साथ मिलकर समस्या के समाधान के लिए योजना बनाती हूँ।
ड़. मैं समस्या के समाधान को लागू करने के लिए छात्र की मदद करती हूँ।
च. मैं छात्र की प्रगति को मॉनिटर करती हूँ और आवश्यकतानुसार उनकी मदद करती हूँ।
छ. मैं छात्र को समस्या का समाधान खुद करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ।
ज. मैं छात्र को आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करती हूँ।

डाॅ वेद प्रकाश: आपके अनुसार छात्रों के साथ संबंध बनाने का महत्व क्या है?
अमृता शर्मा: छात्राओं के साथ संबंध बनाना एक शिक्षक के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैं कुछ कारण बताती हूऊ जिनकी वजह से छात्राओं के साथ संबंध बनाना महत्वपूर्ण है:
क. जब हम छात्राओं के साथ संबंध बनाते हैं, तो हम उनकी जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
ख. हम उनकी ताकत और कमजोरियों को समझ सकते हैं और उनकी शिक्षा को उसी के अनुसार तैयार कर सकते हैं
ग. जब हम छात्राओं के साथ संबंध बनाते हैं, तो हम उनका आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं।
घ. हम उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने और अपने लक्ष्यों क
ड़. आपके अनुसार शिक्षा में क्या चुनौतियाँ हैं?
च. आप इन चुनौतियों का समाधान कैसे करती हैं?
छ. आपके अनुसार शिक्षा में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

डाॅ वेद प्रकाश: आपकी भविष्य की योजनाएँ क्या हैं?
अमृता शर्मा: एक नव नियोजित शिक्षिका के रूप में, मेरी भविष्य की योजनाएँ इस तरह हैं:
क. मैं अपने पाठ्यक्रम को अद्यतन करने के लिए नए और नवीनतम शिक्षण तरीकों का उपयोग करना चाहती हूँ।
ख. मैं अपने छात्रों को विभिन्न विषयों के बारे में सिखाने के लिए नए और रोचक तरीकों का उपयोग करना चाहती हूँ।
ग. मैं अपने छात्रों के साथ संबंध बनाने के लिए समय और प्रयास करना चाहती हूँ
घ. मैं अपने छात्रों को उनकी जरूरतों और समस्याओं को समझने में मदद करना चाहती हूँ।
ड़. मैं अपने शिक्षण कौशल में सुधार करने के लिए नए और नवीनतम शिक्षण तरीकों का उपयोग करना चाहती हूँ।
च. मैं अपने शिक्षण कौशल में सुधार करने के लिए अन्य शिक्षकों से सीखना और उनके अनुभवों से लाभ उठाना चाहती हूँ।
छ. मैं अपने छात्रों की शिक्षा में सुधार करने के लिए नए और नवीनतम शिक्षण तरीकों का उपयोग करना चाहती हूँ।
ज. मैं अपने छात्रों की शिक्षा में सुधार करने के लिए उनकी जरूरतों और समस्याओं को समझने में मदद करना चाहती हूँ।

इन योजनाओं को पूरा करने से, मैं अपने छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने में मदद कर सकती हूँ और उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने में योगदान कर सकती हूँ।

डाॅ वेद प्रकाश: हमारे सारे प्रश्नों का आपने जिस तरह से समाधान किया है यह देख करके मैं खुद दंग हूं कि आज बिहार सरकार ने जिन-जिन अमृता शर्मा: शिक्षकों को चुना है वह काफी तरासने के बाद चुना है और मुझे अपने सरकार पर भी गर्व है वैसे आप कहां के रहने वाली हैं?
सर! मैं तो रोहतास के रहने वाली हूं।

डाॅ वेद प्रकाश: आप रोहतक से हैं और आपकी जॉइनिंग समस्तीपुर में है ।इतनी दूर सरकार ने आपकी जॉइनिंग दी है ।क्या यह उचित है?
अमृता शर्मा: एक नव नियोजित शिक्षिका जिसका जॉइनिंग घर से काफी दूर है, उसे अपने छोटे-छोटे बच्चों को देखते हुए नौकरी करने में मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है सर। जैसे —
क. सबसे बड़ी चुनौती बच्चों की देखभाल करना होता है।
ख. मुझे अपने बच्चों को स्कूल या क्रेच में छोड़ना होता है, जिससे मैं अपनी नौकरी पर ध्यान केंद्रित कर सकूं।
ग. घर से दूर जॉइनिंग के कारण यात्रा की समस्या होती है।
घ. मुझे को अपने घर से स्कूल तक यात्रा करनी होती है, जिससे समय और ऊर्जा की बर्बादी हो सकती है।
ड़. मुझे अपने काम और परिवार के बीच संतुलन बनाकर चलना पड़ता है।
च. मैं अपने बच्चों की देखभाल करने और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते रहती हूं।
इन चुनौतियों का सामना करते-करते कभी-कभी तो हम हताश हो जाते हैं, निराश हो जाते हैं, टूट जाते हैं। यह काम जो शिक्षा विभाग ने हम लोगों को घर से दूर करके किया है सर! क्षण भर के लिए वह अगर सोचें कि अगर उसकी पत्नी या उसकी बहन अगर अपने परिवार से दूर रहे तब उसे क्या-क्या परेशानियां हो सकती है ।केवल कल्पना करके वह देख ले तो खुद समझ में आ जाएगा और इस तरह की गलती भविष्य में शिक्षा विभाग कभी नहीं करेगा ।

डाॅ वेद प्रकाश: जितनी बातें आपने बताई है उन बातों को सुनने के बाद मेरे आपसे एक प्रश्न है कि क्या आपके परिवार आपके इस नौकरी से खुश हैं?
अमृता शर्मा: सर !हमारी नौकरी लगने के बाद हमारे सारे परिवार काफी खुश हैं ।केवल मैं ही खुश नहीं हूं ।मैं काफी दुखीहूं।

डाॅ वेद प्रकाश: आप नौकरी और परिवार में सबसे ज्यादा पहले किसे महत्व देती हैं?
अमृता शर्मा: सर! मैं दोनों को महत्व देती हूँ, लेकिन अगर मुझे चुनना होगा, तो मैं अपने परिवार को पहले महत्व दूंगी।
मेरे परिवार के लिए मेरी जिम्मेदारियाँ बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर मेरे बच्चों के लिए। मैं चाहती हूँ कि मेरे बच्चे स्वस्थ, सुखी और शिक्षित हों, और इसके लिए मुझे अपने परिवार के साथ समय बिताना होगा।
हालांकि, मेरी नौकरी भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मुझे अपने परिवार का समर्थन करने और अपने बच्चों की शिक्षा और भविष्य के लिए योगदान करने का अवसर प्रदान करती है।
इसलिए, मैं अपने परिवार और नौकरी दोनों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती हूँ, ताकि मैं अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकूँ और अपनी नौकरी में भी सफल हो सकूँ।

डाॅ वेद प्रकाश: बहुत सारे महिला शिक्षक का जोइनिंग घर से काफी दूर हुआ है उनके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
अमृता शर्मा: मैं भी एक महिला हूं और मैं जो झेल रही हूं वही चीज सभी महिला शिक्षक भी झेल रहे होंगे और कई महिला शिक्षक तो डिप्रेशन में चले गए ।तो कई ने अपनी नौकरी छोड़ दी । इसलिए मैं तो सरकार से यही कहना चाहूंगी कि कुछ दिन पहले जो ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू हुई थी वह पुनः वापस लाकर के हम लोगों को अपने घर के नजदीक पोस्टिंग करें। जिससे हम तनावग्रस्त न रहें और फ्री माइंड बच्चों की शिक्षा प्रदान करने में अपना भरपूर योगदान दे सकें। ट्रांसफर को लेकर के जो शिक्षा विभाग में राजनीति चल रही है जिसके चलते बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहा है और बदनामी शिक्षकों की होती है। मैं एक शिक्षिका होने के नाते कभी भी अपने बच्चों का भविष्य बिगड़ते नहीं देखना चाहती। सर !यही कंडीशन अगर कुछ दिन और रही तो मैं खुद इस नौकरी को त्याग सकती हूं क्योंकि मुझे सबसे ज्यादा जरूरी परिवार होता है, नौकरी नहीं। परिवार अगर हमारा सही रहेगा तो हम नौकरी कहीं भी कर लेंगे, लेकिन अगर नौकरी रही तो हो सकता है कि परिवार हमारा हमेशा के लिए खत्म हो जाए और यही हाल सभी के साथ है। अगर आप एक बार सर्वे करेंगे तो आप पाएंगे सर! की इस बार जो बीपीएससी में जो शिक्षक का चयन हुआ है और शिक्षकों को जो काफी दूर पोस्टिंग की गई है ऐसे में उसके परिवार वाले नाखुश हैं। तो कई शिक्षकों को परिवार से हमेशा के लिए दूर होना पड़ा, तो कई शिक्षकों का वैवाहिक जीवन समाप्त हो चुका है, तो कई लोग काफी तनाव घोषित हैं। वहीं कई शिक्षक अपने पति और अपने बेटे से भी बात करना पसंद नहीं करते।

डाॅ वेद प्रकाश: आपके कहने का मतलब है कि किताबी शिक्षा से ज्यादा जरूरी है व्यवहारीक शिक्षा?
अमृता शर्मा: हाँ, मेरे कहने का मतलब है कि किताबी शिक्षा से ज्यादा जरूरी है व्यवहारिक शिक्षा। किताबी शिक्षा छात्रों को ज्ञान प्रदान करती है, लेकिन व्यवहारिक शिक्षा उन्हें जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और मूल्यों को सिखाती है।
व्यवहारिक शिक्षा में छात्रों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में सिखाया जाता है, जैसे कि समस्या-समाधान, संचार, टीम वर्क, और नेतृत्व। यह शिक्षा छात्रों को अपने ज्ञान को वास्तविक जीवन में लागू करने में मदद करती है और उन्हें जीवन में सफल होने के लिए तैयार करती है।
इसके अलावा, व्यवहारिक शिक्षा छात्रों को अपने व्यक्तित्व को विकसित करने में मदद करती है, जैसे कि आत्मविश्वास, अनुशासन, और जिम्मेदारी। यह शिक्षा छात्रों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें जीवन में सफल होने के लिए तैयार करती है।
इसलिए, मैं मानती हूँ कि व्यवहारिक शिक्षा किताबी शिक्षा से ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यह छात्रों को जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और मूल्यों को सिखाती है।

डाॅ वेद प्रकाश: कुछ लोगों का मानना है कि हमारे बच्चों को शिक्षित नहीं संस्कारी होना ज्यादा जरूरी है। इस पर आप क्या करना चाहेंगे
अमृता शर्मा: मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ कि हमारे बच्चों को शिक्षित नहीं संस्कारी होना ज्यादा जरूरी है। संस्कारी होने से बच्चों में अच्छे मूल्यों और आदतों का विकास होता है, जो उन्हें जीवन में सफल और सम्मानित बनने में मदद करते हैं।इसलिए, मैं अपने बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाऊंगी:
क. मैं अपने बच्चों को संस्कारी मूल्यों जैसे कि सत्य, अहिंसा, और सहानुभूति को सिखाऊंगी।
ख. मैं उन्हें इन मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में लागू करने के लिए प्रोत्साहित करूंगी।
ग. मैं अपने बच्चों को अच्छी आदतों जैसे कि समय प्रबंधन, स्वच्छता, और अनुशासन को विकसित करने में मदद करूंगी।
घ. मैं उन्हें इन आदतों को अपने दैनिक जीवन में लागू करने के लिए प्रोत्साहित करूंगी।
ड़. मैं अपने बच्चों को सामाजिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करूंगी।
च. मैं उन्हें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करूंगी।

डाॅ वेद प्रकाश: मेरा अंतिम प्रश्न है कि आप हमारे पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे
अमृता शर्मा: मैं अपने पाठकों को शिक्षा के बारे में कुछ संदेश देना जरूर चाहूंगी:
शिक्षा एक ऐसी चीज है जो हमें जीवन में सफल और सम्मानित बनने में मदद करती है। यह हमें ज्ञान, कौशल, और मूल्यों को सिखाती है जो हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।

शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के हर पहलू में सफल होने के लिए तैयार करती है। यह हमें सोच, समझ, और समस्या-समाधान की क्षमता को विकसित करने में मदद करती है।
शिक्षा हमें अपने सपनों को पूरा करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। यह हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है।

इसलिए, मैं अपने पाठकों से आग्रह करती हूँ कि वे शिक्षा को महत्व दें और इसे अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने दें। शिक्षा के माध्यम से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

 

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