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पीलिया रोग के कारण वा लक्षण

पीलिया रोग के कारण वा लक्षण

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परिचय:

रक्त में लाल कणों की आयु 120 दिन होती है। किसी कारण से यदि इनकी आयु कम हो जाये तथा जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लग जायें तो पीलिया होने लगता है। रक्त में बाइलीरविन नाम का एक पीला पदार्थ होता है। यह बाइलीरविन लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है तो इससे शरीर में पीलापन आने लगता है। जिगर के पूरी तरह से कार्य न करने से भी पीलिया होता है। पत्ति जिगर में पैदा होता है। जिगर से आंतों तक पत्ति पहुंचाने वाली नलियों में पथरी, अर्बुद (गुल्म), किसी विषाणु या रासायनिक पदार्थों से जिगर के सैल्स में दोष होने से पत्ति आंतों में पहुंचकर रक्त में मिलने लगता है। जब खून में पत्ति आ जाता है, तो त्वचा पीली हो जाती है। त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है।

अधिकतर अभिष्यन्द पीलिया होता है। इसमें कुछ दिनों तक जी मिचलाता है, बड़ी निराशा प्रतीत होती है, आंखें और त्वचा पीली हो जाती है। जीभ पर मैल जमा रहता है तथा रोगी को 99 से 100 डिग्री तक बुखार रहता है। जिगर और पित्ताशय का स्थान स्पर्श करने पर कोमल प्रतीत होता है। पेशाब गहरे रंग का, मल बदबूदार, मात्रा में अधिक और पीला होता है।

 

पीलिया रोग के दो भेद कहे गये हैं:

कोष्ठाश्रय अर्थात् जो पेट के आश्रय से होता है, इस भेद को कुम्भकामला भी कहते हैं। 2. शाखाश्रय अर्थात् जो (खून) रक्तादि धातुओं के आश्रय से होता है।

 

आयुर्वेद में पीलिया रोग 5 प्रकार का होता है:

  1. वातज
  2. पित्तज
  3. कफज
  4. सन्निपातज
  5. रूक्षज

 

वातज पीलिया:

वातज पीलिया में आंखे और पेशाब में रूक्षता, कालापन तथा लाली दिखाई देती है, शरीर में सुई चुभने जैसी पीड़ा तथा कम्प, अफरा, भ्रम और शूल के लक्षण दिखाई देते है।

 

पित्तज पाण्डु:

पित्तज पीलिया रोग में मलमूत्र (टट्टी, पेशाब) और आंखो का रंग पीला हो जाता है। शरीर की कान्ति भी पीली हो जाती है। मल पतला होता है एवं जलन, प्यास और बुखार के लक्षण भी दिखाई देते है।

 

कफज पाण्डु:

कफज पीलिया रोग में रोगी के मुख से कफ गिरता है। आलस्य, शरीर में भारीपन, सूजन और आंखों, मुह, त्वचा एवं पेशाब में सफेदी आ जाती है।

 

सन्निपातज पाण्डु:

इस तरह के पीलिया में तीनों दोषों के लक्षण दिखाई देते है। यह अत्यन्त असह्रा, घोर तथा कष्टसाध्य होता है। मिट्टी खाने के कारण उत्पन्न पीलिया में बल, वर्ण तथा अग्नि का नाश हो जाता है। नाभि, पांव तथा मूंह सूज जाते है। कृमि (पेट के कीड़े), कफ तथा रक्तयुक्त मल निकलता है। आंखों के गोलक, भौहों, तथा गाल पर भी सूजन आ जाती है।

 

कारण:

अधिक स्त्री-प्रसंग (संभोग), खटाई, गर्म तथा चटपटे और पित्त को बढ़ाने वाले पदार्थ अधिक खाने, शराब अधिक पीने, दिन में अधिक सोने, खून की कमी तथा वायरस के संक्रमण के कारण, खट्टे पदार्थों का सेवन, राई आदि अत्यन्त तीक्ष्ण पदार्थों का सेवन आदि कारणों से वात, पत्ति और कफ ये तीनों दोष कुपित होकर पीलिया रोग को जन्म देते हैं।

 

लक्षण:

बुखार, चक्कर आना, आंखों के सामने पीलापन दिखाई देना, कई बार आंखों के सामने अंधेरा छा जाना, आंखों में पीलापन, शरीर का पीला होना, पेशाब पीला आना, जीभ पर कांटे-से उग आना, भूख न लगना, पेट में दर्द, हाथ-पैरों में टूटन और कमजोरी, पेट में अफारा, शरीर से दुर्गंध का निकलना, मुंह कड़वा हो जाना, दिन-प्रति-दिन कमजोरी आना, शरीर में खून की कमी आ जाना आदि इस रोग के लक्षण है। रोग बढ़ने पर सारा शरीर हल्दी की तरह पीला दिखाई देता है। इसमें जिगर, पित्ताशय (वह स्थान जहां पत्ति एकत्रित होता हैं), तिल्ली और आमाशय आदि खराब हो जाते हैं।

 

पीलिया रोग के अधिक बढ़ जाने पर सम्पूर्ण शरीर अथवा अंग विशेष में सूजन उत्पन्न हो जाती है। ऐसे रोगी को `असाध्य´ समझा जाता है। जिस रोगी के दांत, नाखून और आंखे पीली हो गई हो, हाथ, पांव तथा सिर में सूजन हो, सब वस्तुएं पीली दिखाई देती हो, गुदा, लिंग तथा अण्डकोषों पर सूजन हो तथा जिसका मल बंधा हुआ, अल्प, हरे रंग का तथा कफयुक्त हो, उसे असाध्य (जिसका इलाज नहीं हो सकता) समझा जाता है।

 

पीलिया रोग में नाड़ी की गति कम (लगभग 45 प्रति मिनट), घी, तेल आदि चिकने पदार्थ नहीं पचते, जिगर में कड़ापन और दुखना, शरीर, आंखे, नाखून, मूत्र पीले दिखते हैं। शरीर में खुजली-सी चलने लगती हैं। शरीर में कहीं भी चोट लगने या किसी कारण से खून बहुत अधिक मात्रा में बहता है। आंखों का सूखना, रात को बहुत कम दिखता है। दिखने वाली वस्तुएं पीली दिखती है। वजन कम होना, पतले दस्त लगना, भूख कम लगना, पेट में गैस बनना, मुंह का स्वाद कड़वा, शरीर में कमजोरी-सी रहना, बुखार इसके प्रमुख लक्षण है। पहले रोगी को जुलाब दें, फिर औषधि सेवन करायें। सामान्यतया जुलाब से ही रोगी ठीक हो जाते है। इसके रोगी को पूर्ण विश्राम देना चाहिए।

 

भोजन तथा परहेज:

पूर्ण विश्राम, फलाहार, रसहार, तरल पदार्थों जैसे जूस का सेवन, चोकर समेट आटे की रोटी, पुराने चावल का भात, नींबू-पानी, ताजे एवं पके फल, अंजीर, किशमिश, गन्ने का रस, जौ-चना के सत्तू, छाछ, मसूर, मूंग की दाल, केला, परवल, बैगन की सब्जी, गद्पुरैना की सब्जी, क्रीम निकला दूध, छेने का पानी, मूली, खीरा आदि खाना चाहिए।

  • पीलिया के रोगी को जौ, गेहूं तथा चने की रोटी, खिचड़ी, पुराने चावल, हरी पत्तियों के शाक, मूंग की दाल, नमक मिलाकर मट्ठा या छाछ आदि देना चाहिए।
  • पेट भर कर खाना, ठंड़े पानी से स्नान, लालमिर्च, मसाले, तली हुई चीजें, मांस आदि से दूर रहना चाहिए।
  • रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए।
  • रोगी को पूर्ण विश्राम करने का निर्देश दें। इसके साथ ही रोगी को मानसिक कष्ट पहुंचाने वाली बातें नहीं करनी चाहिए।
  • घी, तेल, मछली, मांस, मिर्च, मसाला एवं चर्बीयुक्त चीजों से सदा सावधान रहें।
  • मैदे की बनी चीजें, खटाई, उड़द एवं खेसाड़ी की दाल, सेम, सरसों युक्त गरिष्ट भोजन न खायें।
  • यदि पीलिया रोग में नमक न खायें तो अच्छा रहता है।

 

असाध्य पीलिया का साध्य इलाज हरियाणा के बहादुरगढ़ के पास छारा गाँव के पीलिया पोखर में विधिवत स्नान करने व उसके पानी को पीने से (मेरे कईं जानकारों के सगे सम्बंधी इस चमत्कारी दिव्य औषधगुणों से परिपूर्ण पोखर में स्नान कर स्वस्थ हुए हैं जरूरत है विश्वास की) विधिवत स्नान करने हेतु घर से ही लकड़ी का कोयला हल्दी की पाँच गाँठ,बताशा 100 ग्राम, चना दाल 50 100 ग्राम,माचिस,अगरबत्ती व 2 लीटर उस पोखर का पानी लाने के लिए बर्तन घर से लेकर जाये) वहाँ उपस्थित सैकड़ो लोगो के करते हुए विधिवत प्रकिया को देखते हुए करें व स्वस्थ व समृद्ध बने प्रकृति के द्वारा उपलब्ध दिव्य उपहारों को अपनाकर

 

विभिन्न औषधियों से उपचार:

पीलिया रोग में रोजाना गन्ने का रस पीना बहुत ही लाभकारी रहता है क्योंकि गन्ने के रस को पीलिया रोग का बहुत बड़ा दुश्मन माना जाता है। पथरी की शिकायत न हो तो दो गेहूँ के दाने के बराबर चुना मिलाकर लेना ही चाहिए यह लिवर सोरायसिस की भी रामबाण है

 

नीम:

  • नीम की जड़ का बारीक चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद के साथ मिलाकर खाने से पीलिया के रोग में आराम मिलता है। ध्यान रहें यदि घी और शहद अनुकूल न हो तो नीम की जड़ के एक ग्राम चूर्ण को गाय के पेशाब या पानी या दूध के साथ इसका सेवन कर सकते हैं।
  • 6 ग्राम नीम की सींक और 6 ग्राम सफेद पुनर्नवा की जड़ को पीसकर पानी के साथ कुछ दिनों तक लेते रहने से पीलिया रोग में आराम मिलता हैं।
  • 3 चम्मच नीम के पत्तों का रस, आधा चम्मच सोंठ का पाउडर और 4 चम्मच शहद को एकसाथ मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से 5 दिन में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
  • नीम के पेड़ की छाल के रस में शहद और सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीलिया के रोगी को देना चाहिए
  • पानी में पिसे हुए नीम के पत्तों के 250 मिलीलीटर रस में शक्कर (चीनी) मिलाकर गर्म-गर्म पीने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
  • पित्तनलिका मे मार्गावरोध होने के कारण यदि पीलिया रोग हो तो 100 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस को 3 ग्राम सौंठ के चूर्ण और 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर 3 दिन तक सुबह के समय सेवन करने से लाभ पहुंचता है। ध्यान रहे-  इसके सेवन के दौरान घी, तेल, शक्कर (चीनी) व गुड़ आदि का प्रयोग न करें।
  • 10 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस में 10 मिलीलीटर अड़ूसा के पत्तों के रस व 10 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह के समय पीलिया रोग में लेने से आराम पहुंचता है।
  • 200 मिलीलीटर नीम के पत्ते का रस में थोड़ी शक्कर (चीनी) को मिलाकर गर्म करें। इसे 3 दिन तक दिन में एक बार खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • नीम के 5-6 कोमल पत्तों को पीसकर, शहद में मिलाकर सेवन करने से मूत्रविकार (पेशाब के रोग) और पेट की बीमारियों में लाभ होता है।
  • 10 मिलीलीटर नीम के पत्तों के रस में 10 ग्राम शहद को मिलाकर 5 से 6 दिन तक पीने से आराम मिलता है।
  • कड़वे नीम के पत्तों को पानी में पीसकर 250 मिलीलीटर रस को निकालकर फिर उसमें मिश्री को मिलाकर गर्म करें। इसे ठंड़ा होने पर पीने से पीलिया रोग दूर होता है।
  • नीम की छाल, त्रिकुटा (सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल), बांसा, चिरायता, कुटकी तथा गिलोय का काढ़ा बनाकर ठंड़ा कर लें। फिर उसमें शहद मिलाकर पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • नीम की छाल, त्रिफला, गिलोय, अड़ूसा, कुटकी और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसमें शहद मिलाकर पीने से पीलिया जैसे रोग मिट जाते हैं।
  • नीम के पत्तों का आधा चम्मच रस, सोंठ 2 चुटकी और शहद 2 चम्मच को एकसाथ मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से पीलिया रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

 

गिलोय:

  • गिलोय, अड़ूसा, नीम की छाल, त्रिफला, चिरायता, कुटकी को बराबर मात्रा में लेकर जौकुट करके एक कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। फिर इसे छानकर थोड़ा-सा शहद मिलाकर पी जाएं। 20 दिन तक इसका सेवन पीलिया के रोगी को कराने से आराम मिलता है
  • गिलोय का रस एक चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार इस्तेमाल करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
  • लगभग 10 मिलीलीटर गिलोय के रस को शहद के साथ रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
  • गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर गले में पहनने से पीलिया के रोग में लाभ मिलता है।
  • गिलोय के रस का सेवन करने से पीलिया, पेचिश, आमाशय की अमलता, दिमाग के अनेक रोग, मूत्रविकार (पेशाब के रोगों में तथा नेत्र विकार (आंखों के रोगों में) आदि सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • गिलोय के पत्तें, नीम के पत्ते, गूमा के पत्ते और छोटी हरड़ को 6-6 ग्राम की मात्रा में कूटकर 200 मिलीलीटर पानी में पका लें। पकने पर 50 मिलीलीटर बचे पानी को छानकर 10 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। ध्यान रहें कि सेवन से पहले एक चौथाई से कम मात्रा में शिलाजीत को 6 ग्राम शहद के साथ अवश्य चाट लें।
  • गिलोय या कालीमिर्च या त्रिफला के 5 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर प्रतिदिन सुबह और शाम चाटने से पीलिया रोग मिट जाता है।

 

शिलाजीत:

शुद्ध शिलाजीत में केसर और मिश्री को मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करने से कफज पाण्डु (पीलिया) रोग दूर होता है।

 

निशोथ:

निशोथ के चूर्ण में 20 ग्राम चीनी को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से पित्तज पाण्डु रोग दूर होता है।

 

हल्दी :

  • 40 ग्राम दही मे 10 ग्राम हल्दी डालकर सुबह-शाम खाने से पीलिया रोग मे लाभ होता जिगर के रोगों में भी यह प्रयोग लाभदायक है।
  • 100 मिलीलीटर छाछ या मट्ठे मे 5 ग्राम हल्दी डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से 1 हफ्ते में ही पीलिया रोग में लाभ नजर आता है।
  • हल्दी को पानी में डालकर पीस लें। फिर कुछ हल्दी लेकर काढ़ा बना लें। कढ़ाही में घी, हल्दी की लुग्दी और काढ़ा डालकर धीमी आग पर चढ़ा दें और जब केवल घी रह जो (पानी जल जाय) तब उतार लें। इस घी का सेवन करने से पाण्डु  (पीलिया) रोग मिट जाता है।
  • 10 ग्राम हल्दी का चूर्ण और 50 ग्राम दही को मिलाकर रोजाना सुबह खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

लोहा:

  • 2 ग्राम लोहे की जंग को 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर 8 दिन तक खाने से पीलिया-रोग में लाभ होता है।
  • लोहे की जंग को तपाकर गोमूत्र में बुझा लें। लगभग आधा ग्राम लोहे का काट, 6 ग्राम शहद और 3 ग्राम घी मिलाकर चाटने से पीलिया रोग मिट जाता है।
  • लौहसार और सूखे आंवलों के चूर्ण को मिलाकर 2 ग्राम की मात्रा में खाने से पाण्डु (पीलिया) रोग मिट जाता है।

 

अड़ूसा:

  • अड़ूसे के रस में कलमीशोरा डालकर पीने से मूत्र-वृद्धि होकर पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

त्रिफला:

  • आधा चम्मच त्रिफला का चूर्ण, आधा चम्मच गिलोय का रस और आधा चम्मच नीम के रस को एकसाथ मिलाकर शहद के साथ 15 दिन तक खुराक के रूप में चाटने से पीलिया में आराम मिलता है।
  • त्रिफला, गिलोय, वासा, कुटकी, चिरायता और नीम की छाल को एक साथ मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा को लगभग 160 मिलीलीटर पानी में पका लें। जब पानी चौथाई बच जायें तो इस काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम के समय सेवन करने से पीलिया रोग नष्ट होता है।
  • त्रिफला, कुटज और ढाक मोटापे तथा शुक्रदोष को नष्ट करने वाले होते हैं। यह प्रमेह (वीर्य विकार), अर्श (बवासीर) और पीलिया रोग को समाप्त करते हैं।
  • 40 मिलीलीटर त्रिफला के काढ़े में 5 ग्राम शहद मिलाकर पीने से पीलिया दूर हो जाता है।
  • एक तिहाई कप त्रिफला का रस इतना ही गन्ने के रस में मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।

 

तम्बाकू:

तम्बाकू का धूम्रपान करने से पीलिया रोग में शीघ्र लाभ होता है।

 

हरड़:

  • हरड़ की छाल, बहेड़े की छाल, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, नागरमोथा, वायविडंग, चित्रक को थोड़ी-थोड़ी सी मात्रा में लेकर पीस लें। इसकी 4 खुराक तैयार करें। दिन भर में चारों खुराक शहद के साथ सेवन करें। इसी अनुपात में 15 दिनों की दवा तैयार कर लें। यह प्रसिद्ध योग है।
  • हरड़ को गाय के मूत्र में पकाकर खाने से पीलिया रोग और सूजन मिट जाती है।
  • 100 ग्राम बड़ी हरड़ के छिलके और 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर चूर्ण बनाकर 6-6 ग्राम की खुराक के रूप में सुबह-शाम ताजे पानी के साथ खाने से पीलिया मिट जाता है।
  • 5 ग्राम बड़ी हरड़ को करेले के पत्तों के रस में घिसकर पीने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
  • बड़ी हरड़ को गाय के पेशाब में भिगोकर फिर गोमूत्र में ही मिलाकर सेवन करने से कफज पाण्डु रोग दूर होता है।

 

गुग्गल:

गुग्गल को गाय के मूत्र के साथ लेने से पाण्डु (पीलिया) रोग और सूजन मिट जाती है।

 

सत्यानाशी:

सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण लगभग एक ग्राम तक लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

रीठा:

  • 15 ग्राम रीठे का छिलका और 10 ग्राम गावजवां को रात में 250 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। सुबह उठकर ऊपर का पानी पी जाएं। 7 दिन तक यह पानी पीने से भयंकर पीलिया रोग मिट जाता है
  • रीठे के छिलके को पीसकर रात को पानी में भिगोयें। सुबह ये पानी नाक में 3 बार दो-दो बूंद टपकाने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।

 

नींबू:

  • प्रतिदिन आंखों में 2-3 बूंद नीबू का रस डालने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
  • 14 से 28 मिलीलीटर नींबू के फलों का रस सुबह और शाम रोगी को देने से पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।
  • पीलिया रोग में कागजी नींबू का रस एक गिलास पानी में नित्य दो-तीन बार सेवन करना चाहिए।

 

मदार:

  • मदार के 25 पत्ते और उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर घोंट लें, फिर चने के बराबर गोलियां बना लें। 2-2 गोली दिन में 3 बार खाने से पीलिया में लाभ होगा। ध्यान रहें कि इस दौरान मिर्च और खटाई न खाएं।
  • 1 ग्राम मदार की जड़ की छाल और 12 कालीमिर्च को एकसाथ पीसकर ठंड़ाई की तरह दिन में 2 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • लगभग डेढ़ ग्राम मदार की छाल, 12 कालीमिर्च के दाने और 2-3 ग्राम पुननर्वा की जड़ को पानी में घोटकर और छानकर दिन में 2 बार पिलाएं। ध्यान रहें कि इस दौरान गर्म और चिकनी वस्तुओं से परहेज रखें।
  • 1 मदार के पके पत्ते को पोछकर उस पर आधे ग्राम से कम की मात्रा में चूना लगाकर बारीक पीस लें। चने के आकार की गोलियां बनाकर 2 गोली रोगी को प्रात: काल पानी से निगलवा दें। ध्यान रहें कि भोजन के रूप में दही तथा चावल लेना चाहिए।
  • आक की कोपल को सुबह उठते ही पान के पत्ते में रखकर चबाकर खाने से 3 से 5 दिन में पीलिया ठीक हो जाता है।

मेंहदी:

  • 10 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगों दें। सुबह इस पानी को छानकर रोगी को पिला दें। इससे कुछ दिन में ही पीलिया रोग जड़ से मिट जाता है।
  • पीलिया रोग में 50 ग्राम मेंहदी को कुचलकर आधा गिलास पानी में रात को भिगो दें। सुबह इस पानी को 8-10 दिनों तक लगातार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

 

आंवाहल्दी:

7 ग्राम आंवाहल्दी का चूर्ण और 5 ग्राम सफेद चंदन का चूरा शहद में मिलाकर सुबह और शाम 7 दिनों तक खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।

 

तोरई:

कड़वी तोरई के रस की 2-3 बूंदों को नाक में डालने से नाक द्वारा पीले रंग का पानी झड़ने लगेगा और एक ही दिन में पीलिया नष्ट हो जाएगा।

 

पुनर्नवा:

  • पुनर्नवा की जड़ को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। उन 21 टुकड़ों की माला बनाकर रोगी के गलें में पहना दें। पीलिया ठीक होने के बाद उस माला को किसी पेड़ पर लटका दें।
  • एक तिहाई कप पुनर्नवा के रस या मकोये के रस में शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • पुनर्नवा का 2 चम्मच रस सुबह-शाम भोजन करने के बाद शहद के साथ रोजाना सेवन करने से और पुनर्नवा की जड़ के 108 टुकड़ों से बनी माला को गले में धारण करने से पीलिया के रोग में लाभ होता हैं।
  • पुनर्नवा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) के 10-20 मिलीलीटर रस में हरड़ के 2 से 4 ग्राम चूर्ण को मिलाकर पीने से पीलिया रोग कम हो जाता है।

 

वायविडंग:

वायविडंग, हल्दी, त्रिफला, त्रिकुटा और मण्डूर को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को घी और शहद के साथ खाने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।

 

अदरक:

अदरक, त्रिफला और गुड़ को एकसाथ मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग दूर होता है।

 

द्रोणपुष्पी :

  • द्रोणपुष्पी के पत्तों का रस का अंजन यानी काजल के रूप में लगाने से कामला (पीलिया) शान्त हो जाता है।
  • द्रोणपुष्पी के पत्तों का 2-2 बूंद रस आंखों में हर रोज सुबह-शाम कुछ समय तक डालते रहने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

पित्तपापड़े:

पित्तपापड़े के फांट या घोल को पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है

 

मकोय:

  • मकोय के काढ़े में हल्दी के चूर्ण को डालकर पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है
  • मकोय के 40-60 मिलीलीटर काढ़े में हल्दी का 2 से 5 ग्राम चूर्ण डालकर पीने से पीलिया रोग मे लाभ मिलता है।
  • मकोय के 4 चम्मच रस को हल्का गुनगुना करके 7 दिनों तक पीने से पीलिया रोग दूर होता है।

 

कपास:

8 ग्राम कपास की मिंगी को रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसे घोटकर और छानकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर पीने से पीलिया दूर हो जाता है।

 

कसूम्बा:

कसूम्बा के 4 ग्राम सूखे फूलों का चूर्ण बनाकर फांकने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

 

आलू:

आलू या उसके पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से पीलिया दूर हो जाता है।

 

बकरी का दूध:

बकरी के दूध के साथ समुद्रफेन को घिसकर पीने से पीलिया में लाभ होता है

 

गाय का दूध :

  • 250 मिलीलीटर गाय के दूध में 2 ग्राम सोंठ मिलाकर सुबह-शाम पीने से पीलिया नष्ट हो जाता है। इसके सेवन के दौरान भोजन में केवल दूध-रोटी खायें
  • क्रीम निकाला हुआ दूध पीना पीलिया रोग में लाभप्रद होता है।

 

पोदीना:

  • पोदीना के अधिक सेवन से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • पोदीने की चटनी रोजाना रोटी के साथ खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • पोदीने के रस को शहद के साथ 15 दिनों तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

बबूल:

बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।

 

दारूहल्दी:

दारूहल्दी के फांट या घोल में शहद को मिलाकर पीने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है।

 

भांगरा:

भांगरे के रस में कालीमिर्च मिलाकर दही के साथ खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।

 

बेल :

  • बेल के पत्तों के रस में कालीमिर्च का चूर्ण डालकर पीने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है।
  • बेल के कोमल पत्तों के 10 से 30 मिलीलीटर रस में आधा ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

 

जामुन:

जामुन के रस में जितना सम्भव हो, उतना सेंधानमक डालकर एक मजबूत कार्क की शीशी में भरकर 40 दिन तक रखा रहने दें। इसके बाद आधा चम्मच की मात्रा में रोगी को सेवन कराने से पीलिया में लाभ होगा।

 

सज्जीखार:

10 ग्राम सज्जीखार और 10 ग्राम संचर नमक को नीबू के रस में घोंटकर तीन दिन पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।

 

तिलकेटा:

तिलकेटा और 21 कालीमिर्च को घोंटकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।

 

निशोत:

10-10 ग्राम निशोत, सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, वायविडंग, दारूहल्दी, चित्रक, कूट, चव्य, त्रिफला, इन्द्रजौ, कुटकी, पीपलामूल, नागरमोथा, काकडासिंगी, अजवाइन, कायफल, पुनर्नवा की जड़ को कूटकर और छानकर 150 ग्राम खांड़ में मिलाकर डेढ किलो पानी में पकाएं। इस पानी के गाढा होने पर या शहद मिलाकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। यह एक गोली सुबह खाली पेट और 1 गोली शाम को पानी से 15 दिन तक लें। यह गोली खांसी, दमा, टी.बी. अफारा, बवासीर, संग्रहणी, खून जाना, पेट के कीड़ो और पीलिया में लाभदायक है।

 

मूली :

  • 100 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 20 ग्राम चीनी को मिलाकर खाली पेट 15 से 20 दिन पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 25 मिलीलीटर मूली के रस में लगभग आधा ग्राम की मात्रा में पिसा नौसादर को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।
  • 1 चम्मच कच्ची मूली के रस में एक चुटकी जवाखार मिलाकर सेवन करें। कुछ दिनों तक सुबह, दोपहर और शाम को लगातार यह रस पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • 2 चम्मच मूली के पत्तों के रस में थोड़ी-सी मिश्री को मिलाकर रोजाना 8-10 दिन तक सेवन करने से पीलिया के रोग में आराम मिलता है।
  • कच्ची मूली रोजाना सुबह उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है
  • 125 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम चीनी मिलाकर और छानकर सुबह के समय पीने से हर प्रकार के पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • मूली की सब्जी का सेवन करने से सभी तरह के पीलिया रोग मिट जाते हैं।
  • मूली में विटामिन `सी´, `लौह´, `कैल्शियम´, `सोडियम´, `मैग्नेशियम´ और क्लोरीन आदि कई खनिज लवण होते हैं, जो जिगर की क्रिया को ठीक करते हैं इसलिए पीलिया रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है।
  • 10 से 15 मिलीलीटर मूली के रस को 1 उबाल आने तक पकाएं। बाद में इसे उतारकर इसमें 25 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर पिलाएं इसके साथ ही मूली और मूली का साग खाते रहने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • सिरके में बने मूली के अचार का सेवन करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • मूली के ताजे पत्तों को पानी के साथ पीसकर उबाल लें। उबालने पर इसमें दूध की तरह झाग ऊपर आ जाता है। इसको छानकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग मिट जाता हैं।
  • मूली के पत्तों के साथ उसका रस निकाल लें। दिन में 3 बार इस रस को 20-20 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 70 मिलीलीटर मूली के रस में 40 ग्राम शक्कर (चीनी) मिलाकर पीने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • 60 मिलीलीटर मूली के पत्ते का रस व 15 ग्राम खाड़ को एकसाथ मिलाकर पीने से पीलिया रोग कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है।
  • मूली के पत्तों के 100 मिलीलीटर रस में शर्करा मिलाकर प्रात:काल पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। सुबह मूली खाने या उसका रस पीने से भी पीलिया रोग नष्ट होता है। बिच्छू के डंक मारने पर मूली का रस लगाने और मूली का रस पिलाने से विष का प्रभाव कम होता है तथा जलन और पीड़ा भी नष्ट होती है।
  • गन्ने के रस के साथ मूली के रस को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है। मूली के पत्तों की बिना चिकनाई वाली भुजिया खानी चाहिए।
  • 100 मिलीलीटर मूली के रस में 20 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है। रोगी को खाने में मूली, संतरा, पपीता, खरबूज, अंगूर और गन्ना आदि दे सकते हैं।

 

बंदाल:

बंदाल को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छान करके नाक में 2-2 बूंद टपकाने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

 

सुहागा:

भूना सुहागा, भुनी फिटकरी, कलमीशोरा और नौसादर को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 1-1 ग्राम की मात्रा में पानी से भोजन के बाद दोनों समय लेने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।

 

कलमीशोरा:

कलमीशोरा और जवाखार को एक-एक चम्मच की मात्रा में पानी में मिलाकर दिन में 3 बार लेने से पीलिया के रोग में लाभ मिलता है।

 

जौ:

जौ का सत्तू खाकर ऊपर से एक गिलास गन्ने के रस को रोजाना 4-5 दिनों तक पीने से पीलिया कम हो जाता है।

 

बथुआ:

100 ग्राम बथुए के बीजों को कूट-पीसकर और छानकर दिन में 1 बार 15-16 दिन तक आधा चम्मच चूर्ण के रूप में पानी के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

लहसुन:

  • 4-5 लहसुन की कलियों को पीसकर दूध में उबालकर 8-10 दिनों तक पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • 4 कली लहसुन को पीसकर आधा कप गर्म दूध में मिलाकर पी लें और ऊपर से दूध पी लें। यह प्रयोग 4 दिन तक करने से पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।

 

ककड़ी:

ककड़ी के रस में गाजर का रस मिलाकर पीने से संधिवात (गठिया) जैसे रोगों को दूर किया जा सकता है। खून में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है तो संधिवात (गठिया) आदि की वेदना होती है। ककड़ी का रस एसिड को बाहर निकाल देता है। ककड़ी में पोटेशियम भी होता है, जो निम्न रक्तचाप के मरीजों के लिये भी गुणकारी होता है। ककड़ी से दांत और मसूढ़े भी मजबूत होते हैं। कई लड़कियां नाखूनों को बढ़ाकर सौंदर्य बढ़ाने की कामना करती है, परन्तु ना चाहते हुए भी उनके नाखून टूट जाते हैं, ऐसी औरतों को ककड़ी के रस का सेवन करना चाहिए। त्वचा के सफेद दाग आदि को दूर करने के लिये हरी घास का रस तथा 100 मिलीलीटर ककड़ी का रस मिलाकर हर रोज सुबह खाली पेट पीना चाहिए। बाल झड़ रहे हों तो इसके लिए गाजर एवं ककड़ी के रस को मिलाकर पीना चाहिए। ककड़ी के रस से बालों की लम्बाई बढ़ती है।

 

दशमूल:

दशमूल काढ़े का एक कप रस लेकर उसमें आधा चम्मच सोंठ तथा 2 चम्मच शहद को मिलाकर सुबह-शाम 8-10 दिन तक पीलिया के रोग के रोगी को आराम मिलता है।

 

आम:

मीठे आम का रस और थोड़ा सोंठ के चूर्ण को एक कप दूध (क्रीम निकला हुआ) मिलाकर उसमें 2 चम्मच शहद को डालकर रोगी को पिलाने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।

 

आंवला:

  • 10 मिलीलीटर हरे आंवले के रस में थोड़ा सा गन्ने का रस मिलाकर सेवन करें। जब तक पीलिया का रोग खत्म न हो जाए, तब तक उसे बराबर पीते रहें।
  • 60 मिलीलीटर ताजे आंवले का रस और 25 ग्राम शहद को आधा गिलास पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से पीलिया में आराम होता है।
  • हरे आंवले का रस शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • छाछ के साथ आंवले का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से पीलिया में आराम मिलता है।
  • आंवले और गन्ने का ताजा निकाले हुए आधा-आधा कप रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लगातार पीने से दो-तीन महीने में पीलिया का रोग दूर हो जाता है। इसके अलावा ज्वर या अन्य कारणों से उत्पन्न हुआ पीलिया भी समाप्त हो जाता है।
  • लगभग 3 ग्राम चित्रक के चूर्ण को आंवलों के रस में 3-4 उबाल देकर गाय के घी के साथ रात में चाटने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
  • आंवले का रस पीते रहने से पीलिया रोग कुछ ही समय में दूर हो जाता है।
  • जिगर की कमजोरी व पीलिया को दूर करने के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
  • लगभग आधा ग्राम से कम की मात्रा में लौहभस्म के साथ एक-दो आंवले का सेवन करने से पीलिया और खून की कमी जैसे रोगों में अत्यन्त लाभ होता है।

 

एरण्ड:

एरण्ड के पत्ते के रस को कच्चे नारियल के पानी में मिलाकर खाली पेट पीने से पीलिया रोग में राहत मिलती है।

 

गन्ना:

  • गन्ने के रस को पीलिया रोग की प्रमुख औषधि माना जाता है। जब गन्ने का मौसम न हो तो चीनी के शर्बत में नींबू डालकर पिया जा सकता है।
  • एक गिलास गन्ने के रस में 2-4 चम्मच ताजे आंवले का रस 2-3 बार रोजाना पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • गन्ने के टुकड़े करके रात के समय घर की छत पर ओस में रख देते हैं। सुबह मंजन करने के बाद उन्हे चूसकर रस का सेवन करें। इससे 4 दिन में ही पीलिया के रोग में बहुत अधिक लाभ होता है।
  • अमलतास के गूदे को अल्पमात्रा में लेकर गन्ने के रस के साथ रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया रोग में जल्दी लाभ होता है।
  • गन्ने का रस, अनार का रस और आंवला के रस को शहद के साथ सेवन करने से पीलिया दूर हो जाता है और शरीर में खून भी बढ़ता है।
  • जौ का सत्तू (जौ को रेत में सुखा भुनकर और पीसकर बनाया जाता है) खाकर ऊपर से गन्ने का रस पीयें। इसको पीने से 7 दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है। सुबह गन्ना भी चूसें। गन्ने का रस दिन में कई बार पीयें।

 

अड़ूसा (वासा):

आंवला, हर्रे, बहेड़ा, चिरायता, अड़ूसा के पत्ते, कुटकी और नीम की छाल को बराबर की मात्रा में बारीक कूटकर और पीसकर 25 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर जब 50 मिलीलीटर शेष रह जाए तब उसे ठंड़ा करके पीएं। इससे 10 दिनों में ही पीलिया रोग में लाभ हो जाता है।

 

भुई-आंवला:

भुई-आंवला को पीलिया रोग में बहुत लाभदायक माना जाता है। (यह एक छोटा सा पौधा है जो पानी के पास गीले स्थानों में हमेशा पाया जाता है। इसके पत्ते बहुत छोटे इमली के पत्तों जैसे होते है और पत्तों के पास ही इसमें छोटे-छोटे आंवले की तरह फल लगे रहते है जिससे इसे भुई-आंवला कहा जाता है।)

 

सोंठ:

  • आधा चम्मच सोंठ के चूर्ण को गर्म दूध (क्रीम निकाला हुआ) या गुड़ के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • गुड़ के साथ 10 ग्राम सोंठ खाने से पीलिया का रोग कुछ ही दिनों में जाता रहता है।

 

चीते की जड़:

चीते की जड़ को बारीक पीसकर छाछ में मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।

 

कुटकी :

  • 5 ग्राम कुटकी और 5 ग्राम हरड़ को पानी में पीसकर दिन में 2 बार 15 दिन तक इस्तेमाल करने से पीलिया में लाभ होता है।
  • कुटक 10 ग्राम और मुनक्का 10 ग्राम को रात में भिगों दे। सुबह इसे पीसकर दिन में 2 बार 15 दिनो तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 3 ग्राम कुटकी का चूर्ण दिन में 3 बार पानी के साथ खायें। साथ ही धनियां और गुड़ को मिलाकर 20-20 ग्राम के लड्डू बनाकर दिन में 2 बार खाने से भयंकर पीलिया भी 3-4 दिनों में ही पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • कुटकी और मिश्री को मिलाकर हथेलीभर फांककर ऊपर से गुनगुना पानी पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 10 ग्राम कुटकी और 10 ग्राम चिरायता को कूटकर आधे कप पानी में भिगों दें। फिर छानकर इसकी 3 खुराक को सुबह, दोपहर और शाम को पीलिया से पीड़ित रोगी को सेवन कराने से लाभ होता है।

 

गुरुच:

गुरुच का रस पीने से पीलिया में लाभ होता है। यह रस धातु को पुष्ट करने वाला भी है।

 

गेहूं:

गेहूं के नवजात पौधे का रस अल्प मात्रा में कुछ दिनों तक पीने से पुराने पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

गाजर:

  • 250 मिलीलीटर गाजर के रस में 2-3 चम्मच शहद डालकर पीने से पीलिया रोग जल्द ही दूर हो जाता है।
  • गाजर पीलिया के रोग की प्राकृतिक औषधि है। यूरोप में पीलिया के रोगियों को गाजर का रस, गाजर का सूप या गाजर का काढ़ा देने का रिवाज है

चना:

  • जौ के सत्तू की तरह चने का सत्तू भी पीलिया रोग में लाभदायक है।
  • एक मुट्ठी चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगो दें। फिर पानी में से उस दाल को निकालकर उसमें बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर 3 दिन तक खाना चाहिए। प्यास लगने पर दाल का वहीं पानी पीना चाहिए। इससे पीलिया रोग नष्ट हो जाता है

 

छाछ:

एक गिलास छाछ में 10 कालीमिर्च को पीसकर अच्छी तरह से मिलाकर एक बार रोजाना जब तक पीलिया रहे, पिलाते रहे।

 

तीसी:

  • तीसी की गर्म पोटली से जिगर वाले स्थान पर सिंकाई करने से पीलिया रोग में होने वाला पेट दर्द दूर होता है।
  • मौसमी, मीठा संतरा, विदाना : इनका रस पीलिया की बीमारी में पीने से लाभ होता है। यदि इनके रस में ग्लूकोज मिलाकर पीलिया से ग्रस्त रोगी को दें तो और अधिक लाभ होता है।

 

विष्णुकान्ता:

विष्णुकान्ता की जड़ को छाछ में डालकर पीने से पीलिया रोग कुछ ही दिन में समाप्त हो जाता है।

 

गुलचीन:

1 किलो गुलचीन की छाल को लेकर चौगुने पानी में डालकर उबालें। एक चौथाई शेष रह जाने पर इसे कपड़े से छानकर इस पानी को एक बोतल में भरकर रख लें। रोजाना सुबह-शाम खाली पेट इस पानी का सेवन करने से 15 दिनों में लाभ होता है। लेकिन 2 महीनो से ज्यादा इसका सेवन न करें। (यह एक प्रकार के फूल का पेड़ होता है जिसके पत्ते आम के पत्ते की तरह लंबे होते हैं।)

 

बादाम:

8 बादाम, 5 छोटी इलायची और 2 छुहारों को रात को मिट्टी के सिकोरे में भिगोकर रख दें। सुबह इनको पानी में से निकालकर छुहारे की गुठली, इलाइची व बादम के छिलके फेंक दे। शेष सभी वस्तुओं को कुण्डी में खूब घोटें। उसके बाद 70 ग्राम के लगभग मक्खन के साथ इसका सेवन करने से शीघ्र ही पीलिया के रोग में लाभ होने लगता है।

 

इमली:

इमली को पानी में भिगोकर रख दें। फिर इमली को पानी में ही मसलकर उस पानी को पीने से पीलिया रोग जल्दी ही दूर हो जाता है।

 

करेला:

  • एक करेले को पानी में पीसकर सुबह और शाम रोजाना सेवन कराने से पीलिया के रोगी को लाभ होता है।
  • एक चम्मच करेले का रस लेकर उसमें चुटकी भर कुटकी को पीसकर मिला दें। इस रस का कुछ दिनों तक सेवन करने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।
  • करेले के 15 मिलीलीटर रस को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से पीलिया में काफी लाभ मिलता है।

 

फिटकरी:

  • 200 ग्राम दही में चुटकी भर फिटकरी को घोलकर पीने से पीलिया रोग में आराम मिल जाता है। इस प्रयोग के समय दिनभर केवल दही ही सेवन करें। इससे पीलिया रोग शीघ्र ही ठीक हो जाता है। इसके सेवन से अगर किसी को उलटी हो जाये तो उसे घबराना नहीं चाहिए और छोटे बच्चों को यह कम मात्रा में देना चाहिए।
  • सफेद फिटकरी को भूनकर पीस लें। पीलिया रोग होने पर पहले दिन फिटकरी के आधा ग्राम चूर्ण को दही में मिलाकर खाएं, दूसरे दिन इस चूर्ण की मात्रा बढ़ाकर एक ग्राम और तीसरे दिन लगभग 2 ग्राम इसी प्रकार बढ़ाते हुए सातवें दिन साढ़े 4 ग्राम चूर्ण को दही में डालकर 7 दिनों तक लगातार खाने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
  • लगभग 18 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर 21 पुड़िया बना लें। रोजाना सुबह उठते ही बिना कुछ खाए एक पुड़िया गाय के 20 ग्राम मक्खन में मिलाकर खाने से पाण्डु रोग में लाभ होता है।
  • एक चुटकी फूली हुई फिटकरी को मिश्री में मिलाकर दिन में 3 बार पानी से सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।

 

फूलगोभी:

फूलगोभी का रस और गाजर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 गिलास दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

मण्डूर:

मण्डूर को गोमूत्र (मण्डूर 10 ग्राम और गोमूत्र 50 ग्राम) में पकाकर थोडे़-से गुड़ के साथ इसे 8-10 दिनों तक लगातार सेवन करने से पीलिया का रोग समाप्त हो जाता है।

 

साठी:

5-5 ग्राम की मात्रा में साठी की जड़, पीपल, कालीमिर्च, सोंठ, वायबिडंग, दारूहल्दी, चित्रक, त्रिफला, चक, इन्द्रयव, पीपलामूल, नागरमोथा, खुरासानी अजवाइन को एक साथ मिलाकर बारीक पीस लें। इसमें इन सबसे दुगनी मात्रा में मण्डूर मिला लें। इन सबको बकरी के दूध में पकाकर मावा बना लें। इस मावे की चने के बराबर की गोलियां बनाकर रख लें।सुबह-शाम 2-2 गोली को छाछ के साथ 15 दिन तक सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

रेवन्दचीनी:

चुटकीभर रेवन्द चीनी को आधा कप अनार के शर्बत में मिलाकर पीलिया के रोगी को 15 दिनों तक चटाने से लाभ होता है।

 

बांसा:

बांसा, त्रिकुटा, चिरायता, नीम की छाल, कुटकी तथा गिलोय को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। फिर इसे छानकर इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग जल्द ही दूर हो जाता है।

 

हरीतकी:

हरीतकी चूर्ण को गोमूत्र के साथ आधा चम्मच की मात्रा में लेने से पीलिया रोग में आराम मिलता है।

 

मेहंदी:

  • मेहंदी के 5 ग्राम पत्तों को लेकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दें और सुबह उठकर इन पत्तों को मसलकर तथा छानकर पीने से रोगी को आराम मिलता हैं। इसके एक सप्ताह के सेवन से पुराना पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
  • मेहंदी के सूखे पत्तों को 1 गिलास पानी में मिलाकर रात को भिगो दें। सुबह इसे छानकर रोजाना एक बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

 

हरीमेथी:

मेथी मे लौहतत्व अधिक होता है। इसलिए इसका सेवन पीलिया से ग्रस्त रोगी के लिए फायदेमन्द होता है।

 

हींग:

  • पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखो पर लगाने से आराम आ जाता है
  • हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ कूटकर खाने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

 

इन्द्रजौ:

काले इन्द्रजौ के बीजो का रस निकालकर थोड़ा-थोड़ा तीन दिन तक रोजाना सेवन करने से पीलिया में आराम मिलता है।

 

धनिया:

पीलिया होने पर धनिये का रस पीने से लाभ पहुंचता है।

 

द्रोणपुष्पी:

द्रोणपुष्पी के पत्तों का 2-2 बूंद रस आंखों में हर रोज सुबह-शाम कुछ हफ्ते तक डालते रहने से पीलिया में लाभ होता है।

 

मुलेठी:

पीलिया रोग में एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर या इसका काढ़ा पीने से लाभ होता है।

 

ककोड़ा:

सूखे ककोड़े का चूर्ण सूंघने से छीक आती हैं और दिमाग का गन्दा कफ बाहर निकल जाता है और सिर व नाक के रोग भी मिट जाते है। पीलिया रोग में इसको नाक से सूंघना चाहिये।

 

शहद:

  • रोजाना 3 बार 1-1 चम्मच शहद को पानी में डालकर पीलिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
  • त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पीलिया रोग जल्दी ही दूर हो जाता है।
  • पीलिया रोग में नीम के पत्तों का रस आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
  • कलमीशोरा तथा जवाखार को मिलाकर पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पीलिया रोग में पेशाब साफ आने लगता है।

 

अड़ूसा (वासा):

अड़ूसा के पंचाग के 10 मिलीलीटर स्वरस में शहद और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।

 

कलौंजी:

एक कप दूध मे आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर रोजाना 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 7 दिनों तक सेवन करने से पीलिया की बीमारी में लाभ मिलता है। ध्यान रहें कि भोजन में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग न करें।

 

संतरा:

संतरे का सेवन पीलिया रोग में काफी लाभदायक होता है।

 

इलायची:

10 ग्राम इमली की छाल की राख को 40 मिलीलीटर बकरी के पेशाब में मिलाकर लेने से पीलिया रोग जल्दी ही दूर हो जाता है।

 

सफेद पेठा:

सफेद पेठा जिगर की गर्मी को कम करता है। इसका सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है। पेठे को चबाकर खाने से या उसका रस पीने से पीलिया रोग जल्दी दूर हो जाता है।

 

ग्वारपाठा:

  • पीलिया के रोग में ग्वारपाठा का 10 से 20 मिलीलीटर रस दिन में 2-3 बार पीने से पित्त नलिका का अवरोध दूर होकर लाभ हो जाता है। इस प्रयोग से आंखों का पीलापन और कब्ज दूर हो जाता है। इसके रस को रोगी की नाक में बूंद-बूंद करके डालने से नाक में से पीले रंग का स्राव होना बन्द हो जाता है।
  • लगभग 3 से 6 ग्राम ग्वारपाठा के लवण को छाछ के साथ सेवन करने से प्लीहा (तिल्ली) वृद्धि, यकृत (जिगर) वृद्धि, आध्यमानशूल, तथा अन्य पाचन संस्थान के रोगों में लाभ होता है। ग्वारपाठा के पत्तों का गूदा निकालकर शेष छिलकों को मटकी में भरकर उसमें बराबर मात्रा में नमक मिलाकर मटकी का मुंह बन्द करके कण्डों की आग में रख देते हैं। जब मटकी के अन्दर का द्रव्य जलकर काला हो जाता है तो उसे बारीक पीसकर शीशी में भरकर रखते हैं।

 

कसौंदी:

पीलिया रोग में कासमर्द के 20 ग्राम पत्तों को कालीमिर्च के 2-4 दानों के साथ पीसकर और छानकर सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।

 

प्याज:

  • छोटे प्याज को छीलकर उनको चोकोर काटकर या उसके रस को सिरके या नींबू के रस में डाल दें। इसके ऊपर से उसमें नमक और कालीमिर्च डालकर खाल लें। इस तरह रोजाना सुबह और शाम एक प्याज खाने से पीलिया का रोग दूर होता हैं।
  • सफेद प्याज के आधा कप रस में गुड़ और पिसी हुई हल्दी मिलाकर सुबह और शाम पीने से या नाक के द्वारा लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

सरसो का तेल:

दस ग्राम गिलाय के रस में सरसों के तेल की आठ से दस बूंद मिलाकर सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।

 

कैथ:

कैथ की कोपलों का रस गाय के दूध मे मिलाकर रख लें और 50 ग्राम दिन में एक बार रोजाना पियें। इससे पीलिया रोग जल्द ही ठीक हो जाता है।

 

केला:

  • पके हुए केले के साथ शहद खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।
  • थोड़ा सा खाने वाले चूने (लगभग एक ग्राम) को 1 केले में रखकर रोजाना 4 दिनों तक खाली पेट खाने से पीलिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

 

अमलतास:

अमलतास का गूदा, पीपलामूल, नागरमोथा, कुटकी तथा हरड़ को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर एक कप पानी में डालकर उबालें। काढ़ा जब आधा कप बचा रह जाए, तो इसका सेवन करें। लगातार 15 दिन तक इस दवा का सेवन करने से पीलिया जल्दी दूर हो जाता है।

 

पिठवन:

  • 10 से 20 मिलीलीटर पिठवन के पत्ते और जड़ के रस को रोजाना पीलिया के रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
  • पिठवन के पत्तों को मोटा-मोटा पीसकर छाया में सुखाकर रखें। सुबह-शाम इसे 10 ग्राम की मात्रा में लेकर 400 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब 100 मिलीलीटर काढ़ा शेष रहें तब उसे छानकर पीने से प्लीहा (तिल्ली) में वृद्धि, जलोदर (पेट में पानी का भरना), यकृत (जिगर) और पेट के रोगों में आराम पहुंचता है।

 

अनानास:

  • पीलिया के रोगी को अनानास खिलाने व उसका रस पीने से बहुत लाभ होता है। अनानास का सेवन करने से रक्तवृद्धि होती है और पाचनक्रिया तीव्र होने से अधिक भूख लगती है।
  • अनानास के पके फलों के 10 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम हल्दी के चूर्ण और 3 ग्राम मिश्री को मिलाकर सेवन करने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।
  • अनानास का रस पीलिया रोग को दूर करता है।

 

अनन्तमूल:

2 ग्राम अनन्तमूल की जड़ की छाल और 11 दाने कालीमिर्च को 25 मिलीलीटर पानी के साथ पीसकर 7 दिनों तक पीने से आंखों एवं शरीर दोनों का पीलापन दूर हो जाता है और पीलिया रोग से पैदा होने वाली अरूचि (भोजन की इच्छा न होना) और बुखार भी नष्ट हो जाता है।

 

पीपल:

  • पीपल के पेड़ के 3-4 पत्तों को पानी में घोलकर मिश्री के साथ खरल करके घोटें। इन्हें बारीक पीसकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर छान लें। यह शर्बत रोगी को 2-2 बार पिलायें। 3 से 5 दिन तक यह प्रयोग करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 5 ग्राम छोटी पीपल, 5 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण और 5 ग्राम सहजन की छाल को एकसाथ मिलाकर 2 कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। पानी जब आधा कप बचा रह जाए, तो उसे उतारकर व छानकर 8-10 दिनों तक पीलिया के रोगी को काढ़े का सेवन कराने से लाभ होता है।
  • पीपल के 4 नए पत्ते और 4 लसोढ़े के नए पत्तों की चटनी बनाकर सेवन करने से पीलिया में आराम मिलता है।

 

छुई-मुई:

छुई-मुई के पत्तों का रस निकालकर पीने से पीलिया रोग दो हफ्ते में दूर हो जाता है

 

अनार :

  • अनार के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम लेने से थोड़े दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
  • अनार खाने और उसका रस पीने से शारीरिक कमजोरी नष्ट होती है और रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग से मुक्ति मिलती है।
  • 50 मिलीलीटर अनार के रस में रात को साफ लोहे का टुकड़ा डुबो दें। सुबह लोहे का टुकड़ा निकालकर, छानकर स्वादानुसार मिश्री और 25 ग्राम पानी मिलाकर पी जायें। इससे पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • लगभग 250 मिलीलीटर अनार के रस में 750 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। इस का सेवन दिन में 3-4 बार करने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
  • छाया में सुखाए हुए अनार के पत्ते का बारीक चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में गाय की छाछ तथा शाम को उसी छाछ के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • अनार का रस मलावरोधव यानी पेट में रुके हुए मल को दूर करता है और पीलिया रोग में फायदा करता है।

 

लौकी:

लौकी को धीमी आग में दबाकर भुर्ता-सा बना लें। फिर इसका रस निचोड़कर इसमें थोड़ी सी मिश्री को मिलाकर रोगी को पिलाना जिगर के रोग और पेट के अन्य रोगों के लिये लाभकारी होता है।

 

सिरस:

2 चम्मच सिरस की छाल को पीसकर 1 सिकोरे में रात को भिगो दें। रोजाना सुबह इसे छानकर खाली पेट पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

पपीता:

  • पपीते का सेवन करने से पीलिया व तिल्ली (प्लीहा) के रोगो में लाभ होता है।
  • जिन बच्चों को पीलिया रोग हो, उनका पेट बड़ा हो गया हो, हाथ-पैर पतले हो गए हो या जिगर बड़ा हो गया हो उन्हे आधा गिलास पपीते के रस में 1 कप अंगूर, संतरा व मौसमी तीनों का रस मिलाकर दिन में 2 बार कुछ दिन तक दें। साथ में गन्ना चूसने या 1 कप गन्ने का रस पिलाने से भी लाभ होता है।
  • पका पपीता, पपीता उबालकर तथा पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • 75 ग्राम छिलके सहित कच्चा पपीता चटनी की तरह बारीक पीसकर 250 मिलीलीटर पानी में घोलें। इसमें स्वाद के अनुसार चीनी या ग्लूकोज मिलाकर पीलिया के रोगी को 3 बार रोजाना पिलाने से कुछ ही दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है। इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए स्वादानुसार नींबू, कालीमिर्च मिला सकते हैं। बच्चों के लिए मात्रा कम लें। पपीते का यह शर्बत पीलिया ठीक कर देता है। पपीता ताजा होना चाहिए और पपीते में जो दूध होता है, वह लाभ करता है

अंगूर :

  • अंगूर पीलिया रोग को दूर करने में काफी उपयोगी माना जाता है।
  • मुनक्का का कल्क बीजरहित (पत्थर पर पिसा हुआ) 500 ग्राम, पुराना घी 2 किलो और पानी 8 लीटर सबको एक साथ मिलाकर पकाएं। जब केवल घी मात्र शेष रह जाये तो छानकर रख लें। इसे 3 से 10 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया आदि में विशेष लाभ होता है।

 

नागरमोथा:

वायबिडंग 75 ग्राम और नागरमोथा 75 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसे 150 ग्राम मण्डूर और 600 मिलीलीटर गाय के पेशाब में पकाएं। जब यह गाढ़ा हो जायें तो दो चम्मच की मात्रा में मट्ठे के साथ सुबह और शाम सेवन करने से पीलिया, मन्दाग्नि (भूख का कम लगना), अरूचि, बवासीर, संग्रहणी (अधिक दस्त का आना), कृमि (कीड़ें), प्लीहा (तिल्ली), उदर (पेट की बीमारी), गले के रोग जैसे रोगों में आराम मिलता हैं।

 

अपराजिता:

  • पीलिया, जलोदर और बच्चों के डिब्बा रोग में अपराजिता के भूने हुए बीजों के आधा ग्राम के लगभग बारीक चूर्ण को उष्णोदक के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से पीलिया ठीक हो जाता है।
  • पीलिया रोग में अपराजिता की जड़ का 3 से 6 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

 

बकुची:

10 मिलीलीटर पुनर्ववा के रस में आधा ग्राम पीसी हुई बकुची के बीजों का चूर्ण मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

 

टमाटर:

टमाटर का रस प्रतिदिन एक गिलास पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।

 

बंदाल:

बंदाल को नाक के द्वारा प्रयोग करने से पीलिया के रोग में लाभ मिलता है।

 

एरण्ड:

  • एरण्ड के डंठल को दही में पीसकर 6-7 दिन तक पीलिया के रोगी को देने से शरीर में जरा सुस्ती आ जाती है, परन्तु एरण्ड की जड़ को शहद के साथ देने से पीलिया रोग में लाभ होता है
  • गर्भवती महिला को यदि पीलिया हो जाये और गर्भ शुरुआती अवस्था में हो तो, एरण्ड के पत्तों का 10 मिलीलीटर रस सुबह-सुबह 5 दिन पीने से पीलिया दूर हो जाता है और सूजन भी दूर हो जाती है।
  • एंरड के पत्तों के 5 मिलीलीटर रस में पीपल का चूर्ण मिलाकर नाक में डालकर सूंघने से या आंखों में अंजन करने से पीलिया रोग मिट जाता है।
  • 6 मिलीलीटर एरंड की जड़ का रस, दूध 250 मिलीलीटर में मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
  • 10 मिलीलीटर एरण्ड के पत्तों के रस को 20 मिलीलीटर गाय के कच्चे दूध में मिलाकर सुबह-शाम पीने से 3 से 7 दिन में ही पीलिया नष्ट हो जाता है। ध्यान रहें पथ्य में रोगी को दही-चावल ही खिलायें और यदि कब्ज हो तो दूध अधिक पिलाएं।
  • 10 ग्राम एरण्ड के पत्ते लेकर, उन्हें 100 मिलीलीटर दूध में पीसकर छान लें। फिर उसमें 5 ग्राम चीनी को मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पीलिया रोग शान्त हो जाता है।

 

अर्जुन:

आधा चम्मच अर्जुन का चूर्ण जरा-से घी में मिलाकर नित्य दो बार लें।

 

होमेओपेथी द्वारा

  • इलाज शुरू करने के पहले दें – (सल्फर 30, की 3 खुराक 2-2 घंटे पर)
  • जब उबकाई आए, उल्टी लगे, बेचैनी व प्यास जल्दी – जल्दी लगे – (इपिकैक 30 और आर्सेनिक एल्ब 30, दिन में 3 बार)
  • जब उल्टी आनि बंद हो चुकी हो, शरीर में पीलापन नजर आने लगे – (कारडूअस Q या 6, दिन में 3 बार)
  • जब जिगर (Liver) बढ़ जाये, आंखे पीली व पेशाब पीला – (चेलीडोनियम Q या 6, दिन में 3 बार)
  • अगर रोगी शराबी हो या शराब पीने से लीवर की बीमारी हुई हो – (नक्स वोमिका Q या 6 या 30, दिन में 3 बार)
  • कालमेघ Q, चेलिडोनियम Q, केरिका पपाया Q, माइरिका Q इन सब को बराबर मात्रा में मिला लें और दस – दस बूंद पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार लें l
  • या LIVT लिवर सिरप होमेओपेथी SBL कंपनी की सुबह दोपहर शाम 10 से 20 ML जब तक पूर्णतः स्वस्थ न हो जाये

 

विभिन्न होम्योपैथी औषधी से पीलिया रोग का उपचार

ऐकोनाइट:

अगर पीलिया रोग की शुरुआत में ही रोगी को ऐकोनाइट औषधि दी जाए तो इससे पीलिया का रोग पूरी तरह से समाप्त हो सकता है। इसके अलावा पीलिया का तेज होना जिसके कारण रोगी पूरी रात करवटें बदलता रहता है, उसे घबराहट होती है, बेचैनी सी छाने लगती है, रोगी को बहुत तेज प्यास लगती रहती है जो बार-बार पानी पीने से भी नहीं बुझती बल्कि और भी बढ़ती जाती है, रोगी को पानी के सिवाय बाकी सारी चीजें कड़वी लगने लगती हैं, पेशाब का रंग काला हो जाता है, पेट के नीचे के भाग को छूने से दर्द होने लगता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को ऐकोनाइट औषधि की 3 शक्ति देना लाभ करती है। पीलिया के रोगी ने अगर पारे की बनी हुई औषधियों को सही तरह से उपयोग किया हो तो मर्क-सोल औषधि के सेवन से इस रोग को काबू में किया जा सकता है पीलिया के रोगी ने अगर ज्यादा मात्रा में पारे से बनी हुई औषधियों का सेवन किया हो तो उसे चायना औषधि देनी चाहिए।

 

ब्रायोनिया:

रोगी को पीलिया रोग होने के लक्षणो में किसी तरह की हरकत करने से ही रोग बढ़ जाता है, जिगर के भाग में हल्का सा दबाव ही रोगी को बर्दाश्त नहीं होता, रोगी से बिल्कुल भी हिला-डुला नहीं जाता, सांस लेने में परेशानी होती है, रोगी को खांसी होने पर ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसका जिगर अभी फट पड़ेगा। इस प्रकार के लक्षणो में रोगी को ब्रायोनिया औषधि की 30 शक्ति दी जा सकती है।

 

चियोनैन्थस:

चियोनैन्थस औषधि को जिगर के रोग की एक बहुत ही खास औषधि माना जाता है। रोगी की आंखें बिल्कुल पीली हो जाना, नाभि के भाग में दर्द होना, मल का रंग पीला और पतला सा आना। जिगर बड़ा हो जाना, रोगी का बिल्कुल कमजोर हो जाना, पेशाब काले रंग का आना आदि लक्षणों में चियोनैन्थस औषधि का रस लेने से लाभ मिलता है। इसके अलावा पुराने पीलिया के रोग की ये बहुत ही अच्छी औषधि मानी जाती है।

 

सल्फर:

पीलिया रोग की शुरुआत में ही अगर रोगी को सल्फर औषधि की 200 शक्ति दी जाती है तो इससे रोगी को बहुत जल्दी आराम मिलता है।

 

चैलीडोनियम:

पीलिया के रोगी को रोग की शुरुआत में अगर सल्फर औषधि से खास लाभ न हो तो उसे दूसरे दिन चैलीडोनियम औषधि दी जा सकती है। रोगी को अपने जिगर के भाग में दर्द सा महसूस होना, मुंह का स्वाद बिल्कुल कड़वा हो जाना, जीभ पर मैल की मोटी सी परत का जम जाना, जीभ के किनारे लाल होना, जीभ पर दांतों के निशान से पड़ जाना, आंखों का बिल्कुल पीला हो जाना, रोगी का चेहरा, हाथ और त्वचा पीली सी हो जाना, पेशाब पीला सा आना, भूख न लगना, जी मिचलाना, पित्त की उल्टी होना, रोगी को गर्म ही भोजन और गर्म ही पानी पीने की इच्छा होती रहती है। इस तरह के पुराने पीलिया या नए पीलिया रोग के लक्षणों में रोगी को चैलीडोनियम औषधि का रस या 3 शक्ति देने से लाभ होता है।

 

मर्क-सोल:

रोगी को पीलिया रोग के दूसरे लक्षणों के साथ अगर जिगर में सूजन आ जाती है जिसके कारण रोगी दाईं करवट लेट नहीं सकता, जिगर में किसी तरह का दबाव रोगी से सहा नहीं जाता या वहां पर सुई की तरह चुभता हुआ सा दर्द होता है।पित्त की नली में सूजन आना, रोगी की जीभ बिल्कुल तर होने पर भी रोगी को बार-बार प्यास लगती रहती है, रात को सोते समय बहुत ज्यादा खुजली होना, बिस्तर में लेटते ही गर्मी बढ़ने के कारण रोग का बढ़ जाना, मुंह क स्वाद कड़वा हो जाना, जीभ पर दांतों के निशान से पड़ जाना, रोगी को बहुत ज्यादा पसीना आने पर भी रोगी को किसी तरह का आराम नहीं मिलता, रोगी को पीला पसीना आता है जिसके कारण उसके कपड़े भी पीले हो जाते हैं। इस तरह के लक्षणों में रोगी को मर्क-सोल औषधि की 2 या 30 शक्ति देने से लाभ मिलता है।

अगर पीलिया रोग की शुरुआत में बुखार भी आता है तो उसकी चिकित्सा ऐकोनाइट औषधि के द्वारा शुरु की जा सकती है और उसके बाद मर्क-सौल औषधि दे सकते हैं। अगर इस रोग के साथ बुखार नहीं आता है और रोग थोड़े दिन पुराना हो गया है तो पहले 7 दिन तक चायना औषधि दी जाती है और इसके बाद मर्क-सौल दी जाती है।

 

पोडोफाइलम:

अगर किसी व्यक्ति को पीलिया रोग हुए कुछ दिन बीत चुके हैं और उसके सामान्य स्वास्थय पर इसका कोई ज्यादा बुरा असर नहीं पड़ा है तो यह औषधि लेने से लाभ मिलता है। रोगी को कब्ज और दस्त एक के बाद एक होते रहते हैं जैसे कभी तो मल बिल्कुल नहीं आता और कभी बहुत ज्यादा आता है, रोगी का पेट फूला हुआ सा रहता है, जिगर में दर्द होता है, खून की उल्टी आ सकती है, बहुत ज्यादा गंदी सी डकारें आती है। इस तरह के लक्षणों में अगर रोगी को पोडोफाइलम औषधि का रस या 6 शक्ति दी जाए तो उसके लिए अच्छा रहता है।

 

माइरिका-सेरिफेरा:

माइरिका-सेरिफेरा औषधि का जिगर पर बहुत अच्छा असर पड़ता है। पीलिया के रोग में रोगी को बिल्कुल नींद न आना, कंधे के अस्थि-फलक के नीचे और गर्दन के पीछे के भाग में दर्द होना, शरीर की सारी मांस-पेशियों में दर्द होना, त्वचा का रंग पीला होने के साथ उसमें खुजली होना, दाएं पैर के खोल में दर्द होना, जीभ पर गाढ़ा, पीले या काले रंग की परत जम जाना जैसे लक्षणों में इस औषधि का रस या 3 शक्ति देना लाभदायक होता है।

 

डिजिटेलिस:

पीलिया के रोगी का रोग बिगड़ जाने पर उसकी नाड़ी का अनियमित रूप से चलना या बीच में रुक-रुककर चलने में डिजिटेलिस औषधि अच्छा असर करती है। इसके अलावा अचानक जी मिचलाने लगना जैसे उल्टी आने वाली है। रोगी का नींद की अवस्था में रहना और कुछ समय के बाद उसका पूरा शरीर पीले रंग का पड़ जाना यहां तक की आंखें और नाखून भी पीले हो जाते हैं। मल का बेरंग आना, पेशाब का बीयर के रंग जैसा रंग हो जाना, नाड़ी चलने की गति एक मिनट में सिर्फ 30 की गति से ही चलती है। पीलिया रोग के इस तरह के लक्षण अगर दिल के रोग के कारण पैदा होते हैं तो इस औषधि का रस या 3 या 30 शक्ति लाभ करती है

 

नक्स-वोमिका:

अगर किसी व्यक्ति को गुस्सा आने के बाद पीलिया का रोग हो जाता है तो उस समय के लिए नक्स-वोमिका औषधि अच्छी रहती है। पीलिया रोग के कारण रोगी में मानसिक लक्षण पैदा हो जाते हैं जैसे दूसरे लोगों से बदतमीजी से बात करना, गालियां बकने लगना, छोटी-छोटी बातों पर ही झगड़ने लगना। इसके अलावा रोगी हर समय कपड़ों में ही ढका रहना चाहता है क्योंकि उसे ठण्ड बहुत ज्यादा महसूस होती है, रोगी बिस्तर में इस तरह से सिकुड़कर लेटता है कि कहीं से हवा न लग जाए, रोगी शीत प्रकृति का होता है। उसका चेहरा पीला पड़ जाता है, मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है जिसके कारण उसे रोटी भी कड़वी लगने लगती है। जिगर में सूजन आना, सख्त सा हो जाना जिसको छूते ही दर्द करने लगता है। इस तरह से रोगी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से कमजोर सा हो जाता है। इन लक्षणों के आधार पर अगर रोगी को नक्स-वोमिका औषधि की 6 या 30 शक्ति दी जाए तो लाभदायक रहती है

 

नैट्रम-सल्फ:

नैट्रम-सल्फ को जिगर के रोगों की एक बहुत ही असरदार औषधि माना जाता है। अगर रोगी को जिगर के रोगों के साथ अन्य लक्षण जैसे सिर में दर्द होना, जीभ पीली या भूरी सी होना आदि में भी ये औषधि बहुत लाभकारी रहती है।

 

चायना:

रोगी के जिगर में सूजन आ जाती है, जिगर कठोर सा हो जाता है जिसमें हाथ लगाते ही दर्द होने लगता है, पित्त-कोष में रुकावट आ जाती है, दर्द होने लगता है, मुंह का स्वाद खराब हो जाता है, पेट का फूल जाना, बहुत ज्यादा डकारें आना, रोगी को रात के समय बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है, उससे ज्यादा ठण्डी हवा भी बर्दाश्त नहीं होती, बहुत तेज भूख लगती है या बिल्कुल ही नहीं लगती, बे्रड, बीयर, मक्खन, मांस, घी, गर्म कॉफी या गर्म भोजन को देखते ही रोगी को अरुचि हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को चायना औषधि की 6 या 30 शक्ति देना लाभकारी रहता है।

 

सीपिया:

रोगी के जिगर में सूजन आ जाना, जिगर का बड़ा हो जाने के साथ ही दर्द होना, पेट का बहुत ज्यादा फूल जाना, जिगर के भाग में बेचैनी सी होना, बहुत ज्यादा चिड़चिडा हो जाना, किसी से भी प्यार से बातें न करना, बहुत ज्यादा भूख लगती है जो भोजन करने के बाद भी शांत नहीं होती, कब्ज बनना आदि लक्षणों में रोगी को सीपिया औषधि की 200 शक्ति लाभदायक रहती है।

 

डोलिकोस-प्युरियेन्स:

पीलिया रोग में रोगी को सफेद रंग का मल आता है, रोगी को पूरे शरीर में बिना किसी दानों के हुए बहुत तेज खुजली होने लगती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को डोलिकोस-प्युरियेन्स औषधि की 6 शक्ति देनी चाहिए।

 

कैमोमिला:

  • रोगी का बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा सा हो जाना, हर समय गुस्से में ही रहना, जिगर में सूजन आ जाना, इस तरह का दर्द होना जो रोगी के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को कैमोमिला औषधि की 30 शक्ति देना लाभदायक रहती है।
  • अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें
  • मेरी दिल की तम्मना है हर इंसान का स्वस्थ स्वास्थ्य के हेतु समृद्धि का नाश न हो इसलिये इन ज्ञान को अपनाकर अपना व औरो का स्वस्थ व समृद्धि बचाये। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जो भाई बहन इन सामाजिक मीडिया से दूर हैं उन्हें आप व्यक्तिगत रूप से ज्ञान दें।

 

 

डॉ.ज्योति ओमप्रकाश गुप्ता

Mobile: 9399341299

वन्दे मातरम

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