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ललिता पंचमी आज

ललिता पंचमी आज
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ललिता पंचमी का त्यौहार देवी ललिता को समर्पित है और पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (5वें दिन) को मनाया जाता है।
हिंदू इस दिन अपने देवी के सम्मान में उपवास रखते हैं और इस अनुष्ठान को ‘उपांग ललिता व्रत’ के नाम से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ललिता सबसे महत्वपूर्ण 10 महाविद्याओं में से एक हैं। उन्हें ‘षोडशी’ और ‘त्रिपुरा सुंदरी’ के नाम से भी जाना जाता है।

ललिता पंचमी की तिथि व समय
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07 अक्टूबर, सुबह 9:48 बजे से 08 अक्टूबर, सुबह 11:18 बजे तक

देवी ललिता को देवी दुर्गा या शक्ति का अवतार भी माना जाता है।
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इसलिए ललिता पंचमी नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाई जाती है , जो पांचवें दिन होती है। यह एक व्यापक मान्यता है कि देवी की पूजा करने और ललिता पंचमी पर व्रत रखने से सुख, ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में ललिता पंचमी का पालन बहुत लोकप्रिय है। इन राज्यों में, देवी ललिता की पूजा देवी चंडी की तरह ही ‘ललिता सहस्रनाम’, ‘ललितोपाख्यान’ और ‘ललितात्रिशती’ जैसे पूजा अनुष्ठानों के साथ की जाती है। इसलिए ललिता पंचमी का त्यौहार पूरे देश में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

ललिता पंचमी के दौरान अनुष्ठान
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ललिता पंचमी पर उपवास एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है और इसे ‘ललिता पंचमी व्रत’ के रूप में जाना जाता है। इस पवित्र व्रत को करने से भक्तों को अपार शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्ति होती है।

इस दिन देवी के सम्मान में विशेष अनुष्ठान और पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर सामूहिक पूजा होती है जिसमें सभी महिलाएं एक साथ प्रार्थना करती हैं। ललिता पंचमी पर देवी ललिता के साथ-साथ हिंदू भक्त भगवान शिव और स्कंदमाता की भी पूजा करते हैं।

ललिता पंचमी के दिन देवी ललिता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। वे दूर-दूर से इस दिन विशेष रूप से आयोजित पूजा अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए आते हैं। कुछ क्षेत्रों में, इस दिन भव्य मेलों का भी आयोजन किया जाता है जो बहुत उत्साह और उमंग प्रदान करते हैं।

इस दिन देवी ललिता को समर्पित वैदिक मंत्रों का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन की सभी समस्याएं, चाहे व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक, तुरंत हल हो जाती हैं।

ललिता पंचमी पर महत्वपूर्ण समय
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सूर्योदय 07 अक्टूबर, 6:24 पूर्वाह्न
सूर्यास्त 07 अक्टूबर, शाम 6:04 बजे
पंचमी तिथि का समय 07 अक्टूबर, 09:48 पूर्वाह्न – 08 अक्टूबर, 11:18 पूर्वाह्न

ललिता पंचमी का महत्व
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ललिता पंचमी का धार्मिक महत्व विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों जैसे ‘कालिका पुराण’ में पढ़ा जा सकता है। हिंदू संस्कृति में देवी ललिता की पूजा को बहुत महत्वपूर्ण और विशेष माना जाता है।
किंवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर देवी ललिता ‘भंडा’ को हराने के लिए प्रकट हुई थीं, जो कामदेव की राख से बना एक राक्षस था। इसलिए ललिता पंचमी को देवी ललिता के प्रकट होने या ‘जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। देवी ललिता देवी दुर्गा का अवतार हैं और ‘पंच महाभूतों’ (पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और अंतरिक्ष के रूप में दर्शाए गए पांच तत्वों) से जुड़ी हैं।
भारत के दक्षिणी क्षेत्र में देवी ललिता को देवी चंडी का ही एक रूप माना जाता है। ललिता पंचमी के दिन भक्त पूरे मन से देवी की पूजा करते हैं और उनके सम्मान में कठोर व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी के दर्शन मात्र से जीवन में आने वाले कष्टों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पूजा से प्रसन्न होकर देवी अपने भक्तों को संतोष और खुशी का आशीर्वाद देती हैं।

ललिता माता का मंत्र
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।

पंचमी के दिन इस ध्यान मंत्र से मां को लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र आदि भेंट कर इस मंत्र का अधिकाधिक जाप करने से जीवन की आर्थिक समस्याएं दूर होकर धन की प्राप्ति के सुगम मार्ग मिलता है।

ललिता पंचमी की विधि
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ललिता पंचमी के शुभ दिन, भक्त श्रद्धापूर्वक देवी ललिता त्रिपुरा सुंदरी की पूजा करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है:

पूजा की तैयारी:
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ललिता पंचमी के एक दिन पहले, पूजा की तैयारी कर लेनी चाहिए। इसमें पूजा स्थल की साफ-सफाई करना, स्नानादि करके स्वयं को शुद्ध करना और पूजा सामग्री जुटा लेना शामिल है।
पूजा सामग्री:
देवी ललिता त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति या तस्वीर
चौकी या आसन
गंगाजल
दीपक और तेल
अगरबत्ती या धूप
रोली, मौली और कलावा
सिंदूर
सफेद वस्त्र
पुष्प (गुलाब, कमल, जवाहर फूल आदि)
फल (शामिल करें – आम, केला, सेब)
मिठाई (पंचामृत या उनका पसंदीदा भोग)
पान के पत्ते
सुपारी
ललिता पंचमी की पूजा विधि:
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सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और चौकी या आसन बिछाएं।
देवी ललिता त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप जलाएं।
देवी ललिता को जल अर्पित करें और उन्हें स्नान कराएं।
रोली, मौली और कलावा चढ़ाएं।
सिंदूर का अर्पण करें।
सफेद वस्त्र अर्पित करें।
पुष्प, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
पान के पत्ते और सुपारी अर्पित करें।
ललिता सहस्रनाम का पाठ करें या “ॐ श्री ललितायै नमः” मंत्र का जप करें।
आरती करें और देवी ललिता का ध्यान करें।
प्रार्थना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।

ललिता पंचमी के उपाय
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ललिता पंचमी के दिन कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जिनसे देवी ललिता की कृपा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। ये उपाय इस प्रकार हैं:

लाल वस्त्र धारण करें
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लाल रंग को देवी ललिता का प्रिय रंग माना जाता है। इसलिए, इस दिन लाल वस्त्र धारण करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

कन्या पूजन
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कुछ स्थानों में ललिता पंचमी के दिन कन्या पूजन करने की परंपरा है। इसमें नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिया जाता है।

श्री यंत्र की स्थापना और पूजा
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श्री यंत्र को देवी ललिता का निवास स्थान माना जाता है। इस दिन श्री यंत्र की स्थापना करके उसकी विधिवत पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

ललिता चालीसा का पाठ
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ललिता चालीसा का नियमित पाठ करने से देवी ललिता की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ललिता पंचमी की कथा
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पुराणों के अनुसार जब माता सती अपने पिता दक्ष द्वारा अपमान किए जाने पर यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्‍याग देती हैं तब भगवान शिव उनके शरीर को उठाए घूमने लगते हैं, ऐसे में पूरी धरती पर हाहाकार मच जाता है।

जब विष्‍णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की देह को विभाजित करते हैं, तब भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
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