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माणिक रत्न पहनने के फायदे व नुकसान, …

माणिक रत्न पहनने के फायदे व नुकसान, माणिक रत्न जो बदलकर रख देगा आपकी जिंदगी

सभी जातकों के लिए सूर्य का प्रभाव शुभ व अशुभ दोनों प्रकार से होता है। सूर्य से सम्बन्धित समस्याओं के निवारण के लिए इस रत्न का प्रयोग किया जाता है। . माणिक्य रत्न धन लाभ,सम्पत्ति लाभ, मान प्रतिष्ठा लाभ, राजयोग लाभ, आदि शीर्ष पद जैसे डाक्टर, राजनेता, वकील, आएएस, पीसीएस, इंजीनियर, फिल्मी स्टार आदि दिलाने में माणिक्य रत्न प्रभावशाली होता है। सूर्य ग्रह सभी ग्रहों का राजा भी कहा जाता है इसीलिए यह राजयोग दिलाने मे सक्षम रहता है। सूर्य ग्रह रत्न
माणिक्य भी नीलम रत्न की तरह ही काम करता है तथा जातक पर अपना प्रभाव डालता है। और यह प्रचलन प्राचीन काल से है राजा लोग अपने मुकुट पर सूर्य ग्रह रत्न माणिक्य धारण करते थे। लेकिन रत्न धारण करने से पहले ज्योतिष कर्ता को अवश्य दिलाएँ।

माणिक्य रत्न चमत्कारी लाभ
माणिक्य रत्न सूर्य ग्रह का रत्न है और सूर्य जिसका प्रबल होता है उसके भाग्य खुल जाते है। इस रत्न के अनेकों फायदे है जो आप पहनकर ही महसूस कर सकते है।
1- हृदय और नेत्र सम्बन्धित रोगियों के लिए रामबाण तुरन्त फायदा।
2- अगर पंचम, नवम, दशम, एकादश भाव में सूर्य ऊच में स्थित हो तो माणिक्य रत्न बहुत ही शुभ संकेत देते है।
3- सूर्य ग्रह रत्न और सूर्य की उपासना का फल कयी गुना अधिक मिलता है।
4- तरक्की, मान प्रतिष्ठा, सरकारी नौकरी के योग,पदोन्नति, धन दौलत सभी सूर्य की कृपा से ही प्राप्त होते है।।
5- शारीरिक पुष्टता, आत्मविश्वास में वृद्धि, ललाट की चमक, तेज दिमाग सूर्य के प्रभाव से ही प्राप्त होते है।

सूर्य मनुष्य की जन्मकुंडली में उसकी आत्मा की स्थिति के विषय में बताता है की-इस मनुष्य की आत्मा केसी यानि तमगुण या रजगुण या सतगुण प्रधान है और उसमें भी शापित है या वरदानी है या केवल अभी इसका जन्म मनुष्य के जन्म में चलना प्रारम्भ हुआ है या ये देवताओं या योगी की श्रेणी में आने जा रहा है या ये इस जन्म के बाद अगले जन्म में नीच योनि में जायेगा।यो प्रत्येक जन्मकुंडली में सूर्य की डिग्री अवश्य देखे और उसमें देखे की-सूर्य बालक अवस्था में है तो अभी ये आत्मा इस जीवन में केवल अनुभव प्राप्त करेगी और वयस्क है तो ये आत्मा पीछे जन्म में सीखती आई और क्या सीखा वो भी पता चलता है

Note वैसे रत्न कोई भी हो राशि के हिसाब से यानि पूरे विधि विधान के अनुसार ही पहनना चाहिए, वरना ये रत्न फायदे की जगह बड़ा नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
कुरुविंद या कुरंड (Corundum) एक मणिभीय खनिज पत्थर है, जो संसार के विभिन्न स्थलों में पाया जाता है। भारत में भी कुरुविंद प्राप्य है। असम की खासी और जैंती पहाड़ियों, बिहार (हज़ारीबाग, सिंहभूम और मानभूम जिलों में), मद्रास (सेलम जिले में), मध्यप्रदेश (पोहरा, भंडारा तथा रीवाँ), उड़ीसा तथा मैसूर प्रदेशों में यह पत्थर मिलता है। मैसूर, मद्रास और कश्मीर में प्राप्त होनेवाली कुरुविंद अधोवर्ती वर्ग का है। इस पत्थर की दो विशेषाएँ हैं, एक तो यह कठोर होता है, दूसरे चमकदार।
सामान्य कुरुविंद में कोई आकर्षक रंग नहीं होता। यह साधारणतया धूसर, भूरा, नीला और काला होता है। कुछ रंगीन कुरु्व्राद विशिष्ट आकर्षक रंगों के होने के कारण रत्न के रूप में, माणिक, नीलम, याकूत आदि नामों से बिकते हैं। थोड़े अपद्रव्यों के कारण इसमें रंग होता है। ये अपद्रव्य धातुओं के आक्साइड, विशेषत: क्रोमियम और लोहे के आक्साइड, होते हैं। कुरुविंद की कठोरता 9 है, जबकि हीरे की कठोरता 10 होती है। इसका विशिष्ट गुरुत्व 3.94 से 4.10 होता है। यह ऐल्यूमिनियम का प्राकृतिक आक्साइड (Al2 O3) है, जिसके मणिभ षट्कोणीय तथा कभी-कभी बेलन या मृदंग की आकृति के होते हैं।

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